वीरान गाँव का रहस्य

राजन एक अकेले यात्री था जो पहाड़ों में एक नया रास्ता खोजने निकला था। सूरज ढलने लगा और घना कोहरा छा गया, जिससे वह रास्ता भटक गया। उसकी कार अचानक बंद पड़ गई, और मोबाइल का नेटवर्क भी चला गया। चारों ओर सन्नाटा पसरा था, सिवाय पत्तियों की सरसराहट और दूर से आती किसी अज्ञात, धीमी आवाज़ के। उसे एक पुरानी, कच्ची सड़क दिखी जो जंगल के और भीतर जा रही थी। उसे लगा कि शायद यह उसे किसी गाँव या आबादी तक ले जाए।

वह उस पगडंडी पर चलने लगा, जहाँ पेड़ इतने घने थे कि चाँद की रौशनी भी मुश्किल से ज़मीन तक पहुँच पा रही थी। थोड़ी देर बाद, उसे दूर से कुछ हल्की रोशनी दिखी। उम्मीद की एक किरण जागी। पास पहुँचने पर पता चला कि वे मशालें नहीं, बल्कि बहुत पुरानी, टूटी-फूटी झोपड़ियाँ थीं, जिनमें से हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी। यह एक वीरान गाँव लग रहा था, जहाँ सब कुछ धूल और मकड़ी के जालों से ढका था। हवा में एक अजीब, सड़ी हुई गंध थी।

गाँव में एक भी इंसान नज़र नहीं आ रहा था। सब कुछ जैसे समय के साथ रुक गया था। राजन एक झोपड़ी के अंदर झाँका। वहाँ पुराने मिट्टी के बर्तन और कुछ फटे-पुराने कपड़े पड़े थे। तभी, उसे किसी के फुसफुसाने की आवाज़ सुनाई दी। आवाज़ इतनी धीमी थी कि वह पहचान नहीं पाया कि यह हवा का धोखा है या कोई सच में बोल रहा है। उसने देखा कि एक कोने में रखी हुई लकड़ी की गुड़िया की आँखें अजीब तरह से चमक रही थीं।

गुड़िया की चमकती आँखों ने राजन को भयभीत कर दिया। वह पीछे हटा, लेकिन तब तक पूरे गाँव की झोपड़ियों से वैसी ही चमकती आँखें उसे घूरने लगी थीं। हर खिड़की, हर दरवाजे से मानो अनगिनत आँखें उसे देख रही थीं। हवा में फुसफुसाहट और तेज़ हो गई, अब ऐसा लग रहा था जैसे हज़ारों लोग एक साथ धीमी आवाज़ में कुछ कह रहे हों। राजन ने भागने की कोशिश की, लेकिन उसके पैर भारी हो गए थे, जैसे किसी ने उन्हें ज़मीन से जकड़ दिया हो।

अचानक, गाँव के बीचों-बीच एक पुराना कुआँ था, उसमें से एक ठंडी, नीली रोशनी निकलने लगी। रोशनी तेज़ी से ऊपर उठी और एक धुंधली आकृति में बदल गई। वह आकृति एक औरत जैसी थी, जिसके बाल बिखरे हुए थे और आँखें पूरी तरह काली थीं। उसने राजन की ओर अपना हाथ बढ़ाया, और उस हाथ की उँगलियाँ बहुत लंबी और पतली थीं। राजन को महसूस हुआ कि उसकी आत्मा खींच ली जा रही है। उसने अपनी बची हुई शक्ति से चीख मारी, लेकिन आवाज़ उसके गले में ही घुट गई।

आकृति उसके करीब आती गई, और राजन को लगा कि अब उसका अंत निश्चित है। उस ठंडी, भयावह स्पर्श से ठीक पहले, एक ज़ोरदार बिजली चमकी और उसके बाद बादल गरजे। जंगल में दूर कहीं से एक उल्लू की आवाज़ आई, जिसने उस भयानक चुप्पी को तोड़ा। आँखें झपकते ही, वह आकृति और चमकती हुई गुड़िया की आँखें गायब हो गईं। राजन को लगा जैसे वह किसी बुरे सपने से जागा हो। वह हाँफते हुए अपनी कार की ओर भागा, बिना पीछे देखे।

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