Ghost Kahani in Hindi : अगले दिन सुबह शिखर और रौनक गांव की ओर चल दिये। लेकिन जैसे ही वे गांव के पास पहुंचे वहां हाथों में लट्ठ लिये चार गांव वाले पहरा दे रहे थे। तांत्रिक की चेतावनी
चारों गांव वाले उनके पास आये उनमें से एक बोला – ‘‘साहब हम आपको गांव में घुसने नहीं देंगे। आप पर नरपिशाचों का साया है। अगर आप गांव में आये तो हमारे गांव में भी नरपिशाच घुस आयेंगे।’’
शिखर बोला – ‘‘तुम कौन होते हो हमें रोकने वाले। हमें माली काका से मिलना है।’’
तभी एक काला मोटा आदमी लट्ठ दिखाते हुए बोला – ‘‘चले जाओ नहीं तो तुम्हें यहीं ढेर कर देंगे।’’
रौनक ने बात संभालते हुए कहा – ‘‘भैया हम तो बस माली काका से मिलना चाहते हैं आप उन्हें बुला दीजिये हम उनसे बात करके चले जायेंगे।’’
पहले वाले आदमी ने इशारे से दूसरे आदमी से माली को बुलाने के लिये कहा।
वह चला गया कुछ देर बाद माली काका को अपने साथ लेकर आ गया।
माली काका – ‘‘अरे साहब आप यहां क्या हुआ सब ठीक है न?’’
रौनक बोला – ‘‘काका आप किसी को जानते हैं क्या जो इस सब से हमारा पीछा छुड़वा सके।’’
माली काका ने कहा – ‘‘हां एक तांत्रिक है जो यहां से बीस किलोमीटर दूर एक गांव में रहता है। वह कुछ कर सकता है। उसने ही नरपिशाचों को बांध रखा था।’’
‘‘तो आप हमें उसके पास ले चलिये।’’ daravani kahaniya
शिखर की बात सुनकर माली उनके साथ चलने के लिये तैयार हो गया।
बाईक पर किसी तरह बैठ कर तीनों उस गांव में पहुंच गये।
वहां पहुंच कर वह तांत्रिक से मिले तंत्रिक ने शिखर के हाथ को अपने हाथ से छुआ और अचानक झटके से अपना हाथ पीछे खींच लिया – ‘‘ये क्या कर दिया तूने एक आदमी को टक्कर मार दी। वह तड़पता रहा और तू वहां से भाग गया।’’
माली काका यह सुनकर बोले – ‘‘यह क्या कह रहे हो बाबा। साहब आप तो कह रहे थे आपको कुछ नहीं पता।’’
शिखर बिना कुछ बोले सिर झुकाये बैठा था। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे।
तांत्रिक ने आगे कहना शुरू किया – ‘‘दो नरपिशाचों ने उसका खून पीकर उसे मार दिया। अब वे तीनों मौका ढूंढ रहे हैं तुझे और तेरे परिवार को मारने का।’’
रौनक जो यह सब सुन रहा था। वह बोला – ‘‘बाबा अब क्या कर सकते हैं जो होना था हो गया। हमें किसी तरह बचा लो। हम कहीं और चले जायेंगे।’’
यह सुनकर तांत्रिक बोला – ‘‘तुम कहीं नहीं जा सकते। तुम और तुम्हारे साथ जितने लोग जुड़े हैं सबकी जान को खतरा है। उस पार कौन रहता है तुम्हार?’’
रौनक ने घबराते हुए सारी बात बता दी यह सुनकर तांत्रिक बोला – ‘‘भूल जा उस लड़की को नहीं तो उसका परिवार भी खत्म हो जायेगा। न वो कभी तुझसे
मिलने आये और न तू कभी उससे मिलने जायेगा। और माली तू भी अपने गांव में रह इनके घर मत जाना अपनी जान प्यारी है तो इनसे दूर रह।’’
माली घबरा जाता है। वह कहता है – ‘‘बाबा आप तो कुछ भी कर सकते हैं। इनकी मदद कीजिये। बचा लीजिये इन्हें।’’
यह सुनकर तांत्रिक बोला – ‘‘जिस रास्ते पर लोग जाने से डरते हैं। वहां इन्होंने खून बहाया है। इन्हें कोई नहीं बचा सकता। मेरी शक्तियां भी सीमित हैं। मैं कुछ देर के लिये इनकी मौत को टाल तो सकता हूं। लेकिन वो इन्हें नहीं छोड़ेंगे। वह आदमी जिसे तुमने मारा है वह नरपिशाच बन चुका है। उसका एक ही मकसद है इंतकाम जब उसका इंतकाम पूरा होगा तब उसकी शक्ति चार गुना बढ़ जायेगी। तुमने अपने साथ यहां रहने वाले सब लोगों के लिये मुसीबत पैदा कर दी है।’’
रौनक ने गिड़गिड़ाते हुए कहा – ‘‘बाबा आप तो सब जानते हैं। मेरे भैया भाभी को बचा लीजिये।
यह सुनकर तांत्रिक बोला – ‘‘मैं कोशिश करके तुझे बचा सकता हूं। भूल जा अपने भाई-भाभी को तू उस गाड़ी में नहीं था। इसलिये तुझे बचा सकता हूं वो भी इस शर्त पर कि तुझे उस लड़की को भूलना होगा। गलती से भी तू उस रास्ते पर चला गया तो उन्हें पता लग जायेगा कि तू इसका भाई है और तेरे साथ साथ वो उस लड़की के परिवार को भी खत्म कर देंगे।’’
रौनक यह सुनकर रोने लगा उसका प्यार उसका जिसके बिना वह जिंदा नहीं रह सकता था। उसे कैसे भूल सकता है।
तांत्रिक ने आगे कहना शुरू किया – ‘‘उस लड़की को कुछ मत बताना न ही उससे फोन पर रिश्ता तोड़ दे। अगर उसे पता लग गया। तो वह तुमसे मिलने आयेगी। उसे और उसके उसके परिवार को बचाना है तो दूर हो जा उससे।
अब तुम सब जाओ मैं तुम्हारे घर पूजा करने आउंगा। उस पूजा से मैं तुम्हारे घर को बांध दूंगा। तुम्हें उस घर में कोई खतरा नहीं है। लेकिन घर के बाहर तुम्हें कुछ भी हो सकता है।’’
तांत्रिक की बात सुनकर तीनों वापस चल दिये। बाहर आकर माली ने कहा – ‘‘साहब जैसा बाबा कह रहे हैं कर लो वरना कोई जिन्दा नहीं बचेगा। मैं तो अब आपके घर आ नहीं सकता न ही आप मुझसे मिलने आना जब भी कोई परेशानी हो तांत्रिक बाबा के पास पहुंच जाना।’’
घर आकर शिखर सोफे पर बैठ गया। अवन्तिका ने पानी लाकर दिया। पानी पीकर शिखर अपने कमरे में चला गया। अवन्तिका ने रौनक से पूछा तो उसने सारी बात बता दी।
अवन्तिका अपने बेडरूम में पहुंची शिखर आंखे बंद किये लेटा हुआ था। अवन्तिका बोली – ‘‘श्खिर जब तक सब ठीक नहीं हो जाता हम घर में ही रहेंगे। क्या पता धीरे धीरे सब ठीक हो जाये।’’
शिखर बोला – ‘‘तुम लोग मेरी बात नहीं मानते मुझे तो मरना ही है तुम दोंनो शहर मुंबई चले जाओ मैं जिन्दा बचा तो आ जाउंगा। वहीं अमृता को बुला कर रौनक की शादी करा देना वहां रहोगे तो कुछ नहीं होगा।’’
अवन्तिका बोली – ‘‘एक काम करते हैं रौनक को भेज देते हैं वैसे भी तांत्रिक कह रहा था। वह रौनक को बचा लेगा। हमें कुछ हो भी गया तो रौनक तो बच जायेगा। अमृता को भी समझा कर वहीं भेज देते हैं। वे दोंनो हमारे चक्कर में क्यों पिसें हम दोंनो साथ रहेंगे। जो होगा देखा जायेगा।’’
शिखर ने हां में सर हिलाते हुए अपनी सहमती जता दी। यह सुनकर अवन्तिका को कुछ तसल्ली हुई वह बोली – ‘‘चलो दोपहर हो रही है खाना खा लेते हैं। मैं खाना लगा रही हूं आप आ जाओ। वहीं रौनक से बात भी कर लेंगे।’’
यह कहकर अवन्तिका किचन में चली गई और बाहर लगी हुई डायनिंग टेबल पर खाना सजाने में व्यस्त हो गई।
इधर अपने कमरे में पहुंच कर रौनक रोने लगा। वह अपने प्यार को कैसे भूल सकता था। एक तरफ उसके भैया भाभी मौत के मुंह में जाने वाले थे। दूसरी और उसका प्यार उससे छिन रहा था। वह तकिये में सिर छिपाये रोता जा रहा था। तभी अवन्तिका ने आवाज दी – ‘‘रौनक जल्दी से तैयार होकर आ जाओ मैंने खाना लगा दिया है। तुम्हारे भैया भी आ रहे हैं।’’ bhoot kahani hindi
रौनक का बिल्कुल मन नहीं था खाने का लेकिन अगर वह नहीं खायेगा तो शिखर भी नहीं खायेगा। इसलिये वह हाथ मुंह धोकर डायनिंग टेबल पर पहुंच गया। कुछ ही देर में शिखर भी आकर बैठ गया। अवन्तिका खाना परोस रही थी। तभी रौनक बोला – ‘‘भैया क्या सोचा है आपने अब हमें क्या करना चाहिये ऐसा करते हैं हम कुछ समय के लिये यहां से बाहर चले जाते हैं मेरा मतलब है देश से बाहर अमेरिका या लंदन कहीं भी सैटल हो जायेंगे।’’
शिखर ने गहरी सांस लेते हुए कहा – ‘‘तुमने सुना नहीं वो हमें कहीं नहीं जाने देंगे। हम दोंनो का बचना मुश्किल है लेकिन तांत्रिक भी कहा रहा था तुम्हें बचाया जा सकता है। मैंने और अवन्तिका ने यह फैसला किया है कि तुम मुंबई चले जाओ वहीं अमृता को बुला लेना और शादी करके सैटल हो जाना। हम बच गये तो आ जायेंगे नहीं तो हमें भूल जाना। मैं तुम्हारे जाने का इंतजाम कर देता हूं जाने से पहले तांत्रिक से तुम्हारे लिये उपाय भी करवा देंगे।’’
रौनक बोला – ‘‘एक बात आप सुन लो भैया मैं आपको छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाला जब आप दोंनो नहीं रहोगे तो मैं जीकर क्या करूंगा। मैं आपको अपने माता पिता की जगह मानता हूं।’’
अवन्तिका बोली – ‘‘भैया हम भी तो आपको किसी कष्ट में नहीं देख सकते कम से कम इस खानदान का वंश चलाने वाला कोई तो जिन्दा बचे। मेरी बात मानों जैसा तुम्हारे भैया चाहते हैं वो करो। क्या पता हम भी बच जायें। तो तुम्हारे पास आ ही जायेंगे।’’
रौनक मानने को तैयार नहीं था। शिखर और अवन्तिका बहुत देर तक उसे समझाते रहे।