शहर के शोरगुल से दूर, रिया एक छोटे से गाँव में एक पुराने, जीर्ण-शीर्ण घर में रहने आ गई थी। गाँववालों ने उसे घर के बारे में अजीबोगरीब कहानियाँ सुनाईं, जैसे वहाँ कोई बुरी आत्मा भटकती है, लेकिन रिया इन सब बातों पर हँसती रही। वह एक आधुनिक सोच वाली लड़की थी और इन अंधविश्वासों पर यकीन नहीं करती थी। उसे लगा कि इतनी कम कीमत में ऐसा घर मिलना उसकी किस्मत थी। उसने गाँववालों की चेतावनी को अनसुना कर दिया और अपने नए घर में जीवन की शुरुआत करने का फैसला किया। घर का शांत माहौल उसे अच्छा लगा, हालांकि एक अजीब सी उदासी हमेशा वहाँ छाई रहती थी।
एक दिन, सफाई करते समय, रिया को अटारी में एक छिपा हुआ कंपार्टमेंट मिला। अंदर एक बहुत पुरानी, लकड़ी की गुड़िया रखी थी। उसकी आँखें कांच की बनी थीं, जो अंधेरे में भी चमकती थीं, और उसके चेहरे पर एक अजीब सी, शांत मुस्कान थी। गुड़िया को देखते ही रिया को एक सिहरन हुई, लेकिन उसने उसे उठाया और अपने कमरे में ले आई, यह सोचकर कि यह एक दिलचस्प सजावट का सामान हो सकता है। जैसे ही उसने गुड़िया को बिस्तर के पास रखा, उसे लगा जैसे कमरे का तापमान अचानक गिर गया हो। एक हल्की सी आहट सुनाई दी, जैसे कोई फुसफुसा रहा हो।
गुड़िया के घर आने के बाद से अजीब घटनाएँ घटने लगीं। कभी रात में दरवाज़े अपने आप खुलते-बंद होते, कभी सीढ़ियों से किसी के चलने की आवाज़ आती। रिया को लगने लगा जैसे कोई उसे हर पल देख रहा है। अक्सर जब वह अपनी आँखें बंद करती, तो उसे गुड़िया की चमकती हुई आँखें दिखाई देतीं। एक दिन वह नहा कर निकली तो देखा कि गुड़िया जो बैठक में थी, अब उसके बिस्तर पर बैठी उसे घूर रही थी। रिया ने सोचा कि शायद वह उसे भूल गई होगी, लेकिन एक अजीब सी बेचैनी उसे सताने लगी।
डर कर रिया ने गुड़िया को घर से बाहर फेंक दिया। अगली सुबह जब वह उठी, तो देखा कि गुड़िया फिर से उसकी मेज़ पर रखी थी, मानो कभी गई ही न हो। इस बार उसके चेहरे पर एक गहरी, भयावह मुस्कान थी। रिया समझ गई कि यह सामान्य गुड़िया नहीं है। उसने गाँव के एक बुजुर्ग से बात की, जिसने उसे बताया कि यह घर एक छोटी बच्ची का था, जो कई साल पहले रहस्यमय परिस्थितियों में मर गई थी। उसकी आत्मा अपनी प्यारी गुड़िया में कैद हो गई थी और वह अब भी उस घर में भटकती है।
रात को रिया सो रही थी जब उसे एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ। उसकी आँखें खुलीं तो देखा, एक छोटी सी लड़की की परछाई गुड़िया के पास खड़ी थी, जो उसे अपनी ओर बुला रही थी। उस परछाई की आँखों में एक अजीब सी चमक थी और उसकी आवाज़ में एक दर्द था। रिया को लगा कि अब उसका बचना मुश्किल है। उसने हिम्मत करके उस बुजुर्ग से पूछे गए मंत्र को याद किया, जो उसने गुड़िया को शांत करने के लिए बताया था। उसने काँपते हाथों से गुड़िया को उठाया और मंत्र का उच्चारण करना शुरू किया। कमरे में एक चीख गूँज उठी और गुड़िया रिया के हाथों से छूटकर ज़मीन पर गिर गई, जिससे उसके टुकड़े-टुकड़े हो गए।
टुकड़ों में बिखरते ही गुड़िया से एक धुंधली रोशनी निकली और हवा में घुल गई। घर में अचानक शांति छा गई, लेकिन रिया उस रात के बाद कभी उस घर में नहीं रह पाई। वह उस गाँव को छोड़कर वापस शहर चली गई, लेकिन उस गुड़िया की चमकती आँखें और छोटी बच्ची की परछाई उसे आज भी सपनों में डराती हैं। उसने कभी किसी पुराने घर में रहने का विचार नहीं किया और हमेशा अंधविश्वासों को गंभीरता से लेने लगी।