शापित दर्पण

सारा एक नए शहर में एक छोटे से अपार्टमेंट में शिफ्ट हुई थी। अपनी नई शुरुआत के लिए उत्साहित, उसने अपने कमरे को सजाना शुरू किया। एक पुराने फर्नीचर की दुकान में उसकी नज़र एक भव्य, नक्काशीदार दर्पण पर पड़ी। उसकी फ्रेम पर जटिल डिज़ाइन थे, लेकिन शीशे में एक अजीब-सी गहराई थी, जैसे वह कुछ सदियों पुराना रहस्य छुपाए हुए हो। सारा को एक पल के लिए बेचैनी हुई, पर उसकी सुंदरता ने उसे मोहित कर लिया और उसने उसे खरीद लिया।

सारा ने उस दर्पण को अपने बेडरूम की दीवार पर टाँग दिया। पहले कुछ दिन सब सामान्य था, लेकिन धीरे-धीरे उसे अजीब बातें महसूस होने लगीं। कभी-कभी, उसकी परछाई शीशे में एक पल के लिए ठहर जाती थी, या कभी वह खुद को उदास देखती, जबकि उसका मन प्रसन्न होता। रात को, उसे लगता जैसे शीशे के भीतर से कोई उसे घूर रहा हो, उसकी आँखों में एक अनजानी चमक होती।

एक रात, सारा की नींद अचानक टूट गई। कमरे में अँधेरा था, पर दर्पण से एक हल्की, अशुभ रोशनी निकल रही थी। उसने देखा, शीशे में उसकी परछाई उसे देख कर मुस्कुरा रही थी – एक भयानक, डरावनी मुस्कान, जो उसकी अपनी नहीं थी। सारा का दिल जोर से धड़कने लगा। परछाई का मुँह धीरे-धीरे खुल रहा था, जैसे वह उसे भीतर खींचने वाली हो। एक ठंडी, अदृश्य शक्ति उसे जकड़ रही थी।

भयभीत होकर, सारा ने उस दर्पण के बारे में छानबीन शुरू की। उसे एक पुरानी डायरी मिली जो उसी अपार्टमेंट में पहले रहने वाली एक महिला की थी। डायरी में उस महिला ने एक शापित दर्पण और उसके भीतर कैद एक आत्मा का ज़िक्र किया था। लिखा था कि वह आत्मा दर्पण से देखने वाले हर नए व्यक्ति को अपना शिकार बनाती है, धीरे-धीरे उसकी चेतना को निगल जाती है।

दर्पण की शक्ति बढ़ती जा रही थी। अब सारा को शीशे के अंदर साए घूमते हुए और फुसफुसाहटें सुनाई देती थीं। उसे लगता जैसे उसके अपने विचार भी अब उसके नहीं रहे। दर्पण उसे अपने भीतर खींचने की कोशिश कर रहा था। अंततः, उसने हिम्मत जुटाई और उस दर्पण को तोड़ने का फैसला किया। जैसे ही शीशा टूटा, एक चीख गूंजी और अपार्टमेंट में एक भयानक सन्नाटा छा गया, लेकिन सारा जानती थी कि वह आत्मा अभी भी कहीं आसपास मौजूद है, एक नए शिकार की तलाश में।

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