अंजलि ने शहर की हलचल से दूर, एक शांत गाँव में स्थित पुराना पुश्तैनी घर खरीदा। उसे लगा था कि यह जगह उसे शांति देगी, लेकिन घर में घुसते ही एक अजीब-सी उदासी और सन्नाटा महसूस हुआ। लकड़ी की पुरानी फर्श से आती चरमराहट और दीवारों पर चढ़ी काई ने घर के इतिहास की कहानियाँ बयाँ कीं। पहली रात, हवा चलने पर खिड़कियों के पट अजीब तरीके से खड़खड़ाए, जैसे कोई अंदर आने की कोशिश कर रहा हो। उसे लगा कि वह अकेली नहीं है।
अगले कुछ दिनों तक, अंजलि ने कई अजीबोगरीब घटनाओं का अनुभव किया। रसोई से बर्तन गिरने की आवाज़ें आतीं, जबकि वहाँ कोई नहीं होता। उसकी किताबें अपनी जगह से हट जातीं। एक दिन, अटारी की सफाई करते समय, उसे एक पुरानी, बदरंग गुड़िया मिली। उसकी आँखें टूटी हुई थीं और होंठ पर एक स्थायी मुस्कान थी, जो अंजलि को घूर रही थी। उस गुड़िया को देखकर उसे असहजता महसूस हुई, मानो उसमें कोई जीवंत शक्ति हो।
रात में, गुड़िया उसके सपनों में आने लगी। उसे एक छोटी बच्ची की रोने की आवाजें सुनाई देतीं, जो मदद के लिए पुकार रही थी। अंजलि को लगा कि गुड़िया उस बच्ची से जुड़ी हुई है। उसने गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति से घर के इतिहास के बारे में पूछा। बूढ़े ने बताया कि दशकों पहले, इस घर में एक छोटी बच्ची की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी। उसकी पसंदीदा गुड़िया हमेशा उसके साथ रहती थी, और मृत्यु के बाद भी उसे गुड़िया से अलग नहीं किया गया।
बूढ़े ने चेतावनी दी कि बच्ची की आत्मा अभी भी घर में भटक रही है, अपनी गुड़िया के साथ। अंजलि ने घर लौटकर गुड़िया को एक बॉक्स में बंद करके फेंकने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने ऐसा सोचा, कमरे की सभी लाइटें टिमटिमाने लगीं और एक ठंडी हवा का झोंका उसे छूकर निकल गया। गुड़िया की टूटी हुई आँखें उसे लगातार घूर रही थीं। उसे महसूस हुआ कि यह आत्मा केवल घर में नहीं, बल्कि गुड़िया के अंदर कैद है।
डर के मारे अंजलि काँप उठी। उसने गुड़िया को एक कोने में रख दिया और सोने की कोशिश की। रात भर उसे महसूस होता रहा कि कोई उसके पलंग के पास खड़ा है। सुबह जब वह उठी, तो गुड़िया उसके तकिए के पास रखी थी, और उसके होंठों पर वही भयानक मुस्कान थी। अंजलि समझ गई कि वह इस घर और इस आत्मा से बच नहीं सकती। बच्ची अपनी गुड़िया और अपने घर को नहीं छोड़ना चाहती थी, और अब अंजलि को उसी आत्मा के साथ रहना होगा। यह उसका नया, भयानक सच था।