पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि कैसे प्रेरणा ने अपनी सूझबूझ से मनोज को उस खूंखार पिशाचिनी के चंगुल से आज़ाद करवाया था। अब कहानी आगे बढ़ती है…
मनोज को जब प्रेरणा ने उस भयावह रात की पूरी दास्तान सुनाई, तो उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वह इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहा था कि उसने पिशाचिनी के प्रभाव में आकर प्रेरणा के साथ ऐसा व्यवहार किया होगा। गहरे पछतावे से भरकर, मनोज बार-बार प्रेरणा से माफ़ी मांगता रहा। प्रेरणा ने भी अपने प्यार और समझदारी से उसे सांत्वना दी और धीरे-धीरे दोनों ने उस डरावनी घटना को भुलाने की कोशिश की।
समय अपनी सामान्य गति से बीत रहा था। मनोज और प्रेरणा दोनों ही उस खौफनाक अनुभव से उबरकर अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में व्यस्त हो गए थे। उन्हें लगा कि अब सब कुछ ठीक हो गया है, वह पुरानी मुसीबत टल चुकी है।
लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ, जिसकी कल्पना न तो प्रेरणा ने की थी और न ही मनोज ने। एक ऐसी अनहोनी जिसने उनकी शांत ज़िंदगी में फिर से दहशत का साया फैला दिया।
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