पिशाच का प्रतिशोध: अनकही वापसी

अनुज आज कई साल बाद अपने पैतृक गाँव, देवपुर, जा रहा था। उसका बचपन वहीं बीता था, लेकिन एक भयानक घटना के बाद उसे शहर भेज दिया गया था। उसके साथ उसका जिगरी दोस्त राहुल भी था, जो गाँव की कहानियों और अनुज के रहस्यमय अतीत को जानने के लिए उत्सुक था। दोनों ने सुबह की ट्रेन पकड़ी थी, उम्मीद थी कि शाम तक गाँव पहुँच जाएँगे।

ट्रेन में, खाना खाने के बाद, वे बाहर के बदलते नज़ारों को देख रहे थे। हरे-भरे खेत धीरे-धीरे घने जंगलों में बदल रहे थे और सूरज डूबने के साथ आसमान नारंगी रंग का हो गया। जैसे-जैसे वे गाँव के करीब पहुँच रहे थे, अनुज के मन में एक अजीब सी बेचैनी बढ़ने लगी। उसे याद आया कि कैसे गाँव के बुजुर्ग रात में एक खास जगह के पास से गुज़रने से मना करते थे, और कैसे कुछ रहस्यमय मौतें गाँव में डर का माहौल बनाए रखती थीं। राहुल ने अनुज के शांत चेहरे को देखकर पूछा, “क्या बात है, अनुज? तुम इतने गुमसुम क्यों हो?”

अनुज ने गहरी साँस ली। “कुछ नहीं, बस गाँव की पुरानी बातें याद आ रही हैं।” उसने राहुल को गाँव की सबसे पुरानी और डरावनी कहानी के बारे में नहीं बताया था – एक पिशाच की कहानी, जो सदियों से देवपुर के जंगलों में भटक रहा था, और जिसकी क्रूरता की गूँज आज भी गाँव के लोगों के दिलों में थी। यह पिशाच, जो कभी एक शक्तिशाली तांत्रिक था, एक अनुष्ठान के दौरान मारा गया था, और उसकी आत्मा कभी शांति नहीं पा सकी थी। कहा जाता था कि पूर्णिमा की रात को वह और भी शक्तिशाली हो जाता था।

ट्रेन जैसे ही देवपुर के छोटे से स्टेशन पर रुकी, एक अजीब सी खामोशी ने उनका स्वागत किया। स्टेशन पर इक्का-दुक्का लोग ही थे, और उनकी आँखों में एक अनजाना डर साफ झलक रहा था। अनुज ने महसूस किया कि गाँव पहले से भी ज़्यादा सूना और डरावना लग रहा था। रात हो चुकी थी, और हवा में एक अजीब सी ठंडक थी, जो हड्डियों तक को कंपा रही थी।

गाँव पहुँचकर, वे अनुज के पुराने घर गए। घर की दीवारों पर नमी की परत थी और लकड़ियों से बनी सीढ़ियाँ चीख रही थीं। राहुल ने मज़ाक में कहा, “लगता है इस घर को भी भूतों ने ही संभाल रखा है।” लेकिन अनुज जानता था कि यह मज़ाक नहीं था। रात जैसे-जैसे गहरी होती गई, घर के अंदर से अजीबोगरीब आवाज़ें आने लगीं – कभी फुसफुसाहट, कभी किसी के चलने की धीमी आवाज़, और कभी-कभी तो ऐसा लगता था जैसे कोई उनका नाम पुकार रहा हो। राहुल ने शुरू में इसे थकान का असर समझा, लेकिन धीरे-धीरे उसे भी महसूस होने लगा कि कुछ तो गलत है।

अगली सुबह, अनुज अपनी दादी से मिलने गया, जो गाँव के बाहर एक छोटी सी झोपड़ी में रहती थीं। दादी ने अनुज को देखते ही पहचान लिया और उन्हें गले लगा लिया, लेकिन उनकी आँखों में एक गहरी चिंता थी। “बेटा, तुम यहाँ क्यों आए? इस गाँव पर अब भी पिशाच का साया है,” दादी ने धीमी और कांपती हुई आवाज़ में कहा। उन्होंने बताया कि कैसे कुछ दिन पहले ही गाँव के एक चरवाहे की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी, और उसकी लाश पर अजीब निशान थे, ठीक वैसे ही जैसे सालों पहले हुई मौतों पर पाए गए थे। अनुज को याद आया, सालों पहले उसके छोटे भाई की भी ऐसी ही रहस्यमय मौत हुई थी, जिसकी वजह से उसका परिवार शहर चला गया था। उसे शक था कि यह वही पिशाच था।

दादी ने बताया कि पिशाच की शक्ति उस पुराने बरगद के पेड़ में छिपी है जो गाँव के शमशान घाट के पास है। उन्होंने कहा कि अगर पिशाच को हमेशा के लिए शांत करना है, तो पूर्णिमा की अगली रात, बरगद के पेड़ के नीचे एक खास अनुष्ठान करना होगा। उस रात पूर्णिमा थी।

अनुज ने राहुल को सब बताया। राहुल शुरू में डर गया, लेकिन अनुज को अकेला छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। उस रात, वे दोनों, दादी के दिए हुए कुछ ताबीज पहनकर, शमशान घाट की ओर निकले। हवा तेज़ चल रही थी, और पेड़ों की डालियाँ ऐसे हिल रही थीं जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें हिला रही हो। शमशान घाट पहुँचते ही, उन्होंने देखा कि बरगद के पेड़ के नीचे एक काली छाया नाच रही थी, और उसकी आँखों से लाल लपटें निकल रही थीं। यह वही पिशाच था।

पिशाच ने उन्हें देखते ही एक भयानक चीख मारी, जिससे पूरा जंगल कांप उठा। अनुज ने हिम्मत जुटाई और दादी के बताए मंत्रों का जाप करना शुरू किया। पिशाच उन पर हमला करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन ताबीज और मंत्रों के कारण वह पास नहीं आ पा रहा था। राहुल ने देखा कि अनुज का शरीर मंत्रों के जाप से कांप रहा था, और पिशाच धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ रहा था। जैसे ही अनुज ने आखिरी मंत्र पूरा किया, एक तेज़ रोशनी निकली और पिशाच एक चीख के साथ अदृश्य हो गया। चारों ओर खामोशी छा गई, सिर्फ हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी।

अनुज और राहुल थक चुके थे, लेकिन उन्हें जीत की खुशी थी। सुबह होने से पहले वे वापस घर आ गए। गाँव में शांति लौट आई थी। अनुज ने अंततः अपने बचपन के उस भयानक रहस्य का सामना किया था और उसे समाप्त कर दिया था। अब उसे समझ आया कि सालों पहले वह गाँव छोड़कर क्यों गया था, और अब वह वापस क्यों आया था। वह पिशाच का प्रतिशोध खत्म कर चुका था, और गाँव अब truly स्वतंत्र था।

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