परियों की रहस्यमयी हवेली

सोनापुर गाँव में एक पुरानी हवेली थी जिसके बारे में डरावनी कहानियाँ फैली हुई थीं। ग्रामीण मानते थे कि हवेली में एक चुड़ैल का साया है, और उन्हें अक्सर वहाँ अजीबोगरीब घटनाओं का अनुभव होता था। गाँव के चौराहे पर बैठे लोग एक दिन हवेली के बारे में चर्चा कर रहे थे। एक आदमी ने कहा, “भैया, हवेली में भूत है! मैंने खुद पेड़ों से फूलों को हवेली की ओर उड़ते देखा है।” दूसरे ने जवाब दिया, “नहीं, वहाँ चुड़ैल का साया है। मैंने पायल की आवाज़ सुनी है।” एक तीसरे ने जोड़ा, “वहाँ राक्षस है! मेरी गाय का दूध अपने आप बर्तन में भरकर हवेली में चला गया।” चौथे आदमी ने ज़मींदार साहब से गाँव और हवेली के बीच एक मज़बूत दीवार बनाने का अनुरोध किया ताकि उनके बच्चों को कोई नुकसान न पहुँचे।

एक महिला ने अपने पति के साथ हुई घटना सुनाई, जब लकड़ियाँ काटते समय उनकी कुल्हाड़ी गिर गई और अचानक उड़कर वापस उनके हाथ में आ गई। एक बुढ़िया ने भी अपनी पोती के तालाब में डूबने की घटना साझा की, जहाँ अचानक तेज़ हवा चली और उसकी पोती तालाब से बाहर आ गई, जिससे सब यह सोचने पर मजबूर हो गए कि कोई उनकी मदद कर रहा था। ज़मींदार ने गाँव वालों से कहा कि उसका बेटा राजेश अमेरिका से आ रहा है और इन बातों से उसे दूर रखा जाए। उसने वादा किया कि उसके बेटे के जाने के बाद वह दीवार पक्की करवा देगा।

गाँव के किसान का बेटा भीखू शहर से खाद लेने जा रहा था, जिसका रास्ता हवेली के सामने से होकर गुजरता था। जब वह डरते हुए हवेली के पास पहुँचा, तो एक सुंदर लड़की उसके सामने आकर खड़ी हो गई। भीखू ने पूछा, “तुम कौन हो और यहाँ क्या कर रही हो? तुम्हें नहीं पता, ये हवेली भूतिया है?” लड़की ने जवाब दिया, “मेरा नाम किरन है। मैं यहीं रहती हूँ। हमने कभी भूत नहीं देखा।” भीखू यह सुनकर मन ही मन डरने लगा, सोच रहा था कि क्या गाँव की बातें सच हैं। किरन ने बताया कि वह हवेली में ही रहती है, और भीखू को अपने अन्य साथियों से मिलाने की पेशकश की ताकि उसका डर दूर हो सके।

भीखू, किरन के पीछे-पीछे चलने लगा। अचानक उसे ज़ोर का धक्का लगा और वह हवेली की पहाड़ी से नीचे गिर गया। गाँव वाले तुरंत दौड़कर भीखू के पास आए, लेकिन उसके मुँह से बस इतना निकला, “वो लड़की… किरन… हवेली।” इस घटना के बाद गाँव में डर का माहौल छा गया। सबको यकीन हो गया कि हवेली में किरन नाम की कोई चुड़ैल है जिसने भीखू को मार डाला है।

अगले दिन ज़मींदार साहब का बेटा राजेश अपने दोस्त मयंक के साथ गाँव आ रहा था। उनके ड्राइवर ने शाम होने पर हवेली के पास से गुजरने पर चिंता जताई और राजेश को हवेली की ओर न देखने की सलाह दी। मयंक ने इसे गाँव का अंधविश्वास बताया, जबकि राजेश ने ड्राइवर को चुपचाप गाड़ी चलाने को कहा, ये सब बातें मानने से इंकार करते हुए। ड्राइवर ने बताया कि आज तक कोई भी उस हवेली में एक रात नहीं गुज़ार पाया है।

मयंक ने कहा कि वे पढ़े-लिखे लोग हैं और इन अंधविश्वासों को नहीं मानते। उसने मज़ाक में कहा कि अगर उन्हें सचमुच भूत-प्रेत देखने को मिल जाएँ तो इन छुट्टियों का मज़ा आ जाएगा। तभी उनकी गाड़ी के आगे ढेर सारे फूल पड़े मिले। ड्राइवर ने इसे हवेली की चुड़ैलों का काम बताया, लेकिन राजेश ने इसे गाँव वालों की शरारत कहकर खारिज कर दिया। ड्राइवर ने ज़ोर देकर कहा कि एक रात हवेली में बिताने पर राजेश की सोच बदल जाएगी। मयंक ने कहा कि उन्हें बहुत भूख लगी है और बाद में देखेंगे।

कुछ ही देर में दोनों दोस्त घर पहुँच कर सो जाते हैं। अगले दिन जब वे गाँव घूमने जाते हैं, तो गाँव वाले उन्हें फिर से हवेली के पास जाने से रोकते हैं। आखिरकार, गाँव वालों की सोच बदलने के लिए, राजेश और मयंक उस हवेली में एक रात बिताने का फ़ैसला करते हैं। ज़मींदार ने इस पर सख्त ऐतराज़ जताया, लेकिन राजेश ने कहा कि वे अंधविश्वासों को नहीं मानते और हवेली को हेरिटेज होटल बनाना चाहते हैं। मयंक ने भी सुझाव दिया कि शायद कुछ लोगों ने हवेली पर कब्ज़ा करने के लिए ये अफवाहें फैलाई होंगी।

ज़मींदार ने उनकी बात मान ली, लेकिन सुरक्षा के लिए दो गार्ड, बंदूक और अन्य सामान साथ ले जाने को कहा। गार्ड्स (धीरज और मुन्ना) बाहर बैठे थे, और उन्होंने दोस्तों को सोने को कहा। रात में, मयंक ने राजेश को जगाया, क्योंकि पलंग हवा में उड़ रहा था, गाने की आवाज़ें आ रही थीं, और कमल के फूलों की खुशबू फैल रही थी। राजेश ने सोचा कि इतनी मीठी आवाज़ें सिर्फ परियों की हो सकती हैं, भूतों की नहीं, या शायद उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है।

शुरुआत में डरने के बाद, मयंक को लगा कि यह कोई हॉरर इफ़ेक्ट जानने वाले व्यक्ति का काम है। वे हवेली की लाइब्रेरी में गए। राजेश को एक किताब मिली जो दूसरी दुनिया की परियों के बारे में थी, जो कभी-कभी इस दुनिया में घूमने आती थीं। यह हवेली 150 साल पहले उन्हीं परियों का अतिथिगृह हुआ करता था। मयंक यह जानकर चकित था कि वे परियों के गेस्ट हाउस में थे। उन्होंने चुपचाप परियों का इंतज़ार करने का फ़ैसला किया।

तभी अचानक जादुई संगीत बजने लगा और बहुत सारी परियाँ उनके सामने प्रकट हो गईं। एक परी ने अपना नाम हुस्न परी बताया और उनका स्वागत किया। मयंक ने परियों से पूछा कि लोग उनसे क्यों डरते हैं, जिस पर परियों ने कहा कि इसका जवाब वे ही दे सकते हैं। परियों ने उनसे हवेली की सफ़ाई में मदद करने को कहा, जिसके लिए राजेश तुरंत तैयार हो गया। जब गार्ड्स आवाज़ सुनकर अंदर आए, तो उन्हें राजेश और मयंक हवा में उड़ते हुए दिखे, पर परियाँ नहीं दिखीं।

गार्ड डरकर उन्हें छोड़कर भाग गए और ज़मींदार के पास पहुँचे। उन्होंने बताया कि राजेश और मयंक को भूतों ने अपने कब्ज़े में ले लिया है और वे हवा में उड़ रहे थे। ज़मींदारनी ने कहा कि भूतों ने नहीं, चुड़ैलों ने कब्ज़ा किया है, क्योंकि लड़कियों की आवाज़ें और पायल की आवाज़ें आ रही थीं। सभी गाँव वाले बुरी तरह डर गए। अगले दिन सूरज उगते ही मयंक और राजेश ने परियों को अलविदा कहा।

हुस्न परी ने राजेश और मयंक को उन पर विश्वास करने के लिए धन्यवाद दिया। उसने बताया कि गाँव वाले उन पर भरोसा नहीं करते, लेकिन हवेली से उनकी यादें जुड़ी हैं, इसलिए वे समय बिताने यहाँ आती हैं। मयंक ने भीखू पर हुए हमले का ज़िक्र किया। तब हुस्न परी ने खुलासा किया कि उन्होंने भीखू पर हमला नहीं किया था। वे दरअसल गाँव वालों को शहर से भागे हुए तस्करों से बचा रही थीं, जो दिन में हवेली में छुपे रहते थे और रात को तस्करी के लिए निकल जाते थे।

परियों ने बताया कि जिस दिन भीखू पहाड़ी से गिरकर मरा था, उस दिन एक परी उसकी रक्षा कर रही थी, लेकिन वह केवल भीखू को दिखाई दे रही थी। तस्करों ने भीखू को हवेली की तरफ आते देख उसे पीछे से धक्का दे दिया ताकि उनका रहस्य किसी को पता न चले। मयंक ने पूछा, “तो क्या तस्कर आपको नहीं देख सकते?” तीसरी परी ने जवाब दिया, “नहीं, हमें वही देख सकता है जिसके आगे हम अपने आप को दिखाना चाहें। हमने गाँव वालों को तस्करों के बारे में बताने की बहुत कोशिश की, लेकिन डरपोक गाँव वाले हवेली में नहीं आए।”

राजेश ने परियों से कहा कि उन्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि उन्होंने इतने सालों तक गाँव की रक्षा की है। उसने वादा किया कि वह सभी गाँव वालों को उनकी सच्चाई बताएगा और अगले हफ़्ते दीपावली मनाने सभी के साथ हवेली आएगा। राजेश और मयंक ने सारी कहानी गाँव वालों को बताई। पुलिस को तस्करों की सूचना दी गई। पुलिस ने छापा मारा और सभी तस्करों को गिरफ्तार कर लिया। इंस्पेक्टर टोंडे ने उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा दिलाने का वादा किया, क्योंकि उन्होंने भीखू की हत्या भी की थी।

इंस्पेक्टर ने गाँव वालों से कहा कि अब उन्हें हवेली से डरने की ज़रूरत नहीं है, और ये भूत-प्रेत कुछ नहीं होते। उन्होंने सभी को राजेश और मयंक की तरह समझदार बनने की सलाह दी। गाँव वालों को राजेश की बात पर भरोसा होने लगा। दिवाली के दिन सभी गाँव वाले हवेली की ओर चल दिए। परियों ने पूरी हवेली को दीपों से सजाया हुआ था और हवा में आतिशबाजी हो रही थी। परियाँ सबके सामने प्रकट हो गईं। परियों को देखकर सभी बहुत खुश हुए और उनके साथ मिलकर दिवाली मनाई। इसके बाद सभी हँसी-खुशी से गाँव में रहने लगे।

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