मेरा क्या कसूर? | Horror Story in Hindi

Horror Story in Hindi : मनीष अपनी पत्नि सीमा से बहुत प्यार करता था। सीमा भी मनीष के बिना रह नहीं सकती थी। उसका हीरों का व्यापार था।
पैसे की कोई कमी नहीं थी। एक दिन मनीष अपने ऑफिस में बैठा काम कर रहा था। तभी उसे एक बड़ा ऑडर मिलता है। मेरा क्या कसूर

मनीष अपने मैंनेजर से बात करता है।

मनीष: सुनों राकेश यह हमारा आज तक का सबसे बड़ा ऑडर है। मैं अभी बैंक जा रहा हूं इस ऑडर को पूरा करने के लिये मुझे बैंक से लोन लेना पड़ेगा। तुम स्टॉफ से कहो कि वे इसे पूरा करने के लिये तैयार रहें हो सकता है हमें दिन रात काम करना पड़े।

राकेश: जी सर आप चिन्ता न करें सब हो जायेगा।

मनीष सीधा बैंक पहुंच जाता है। बैंक मैंनेजर से अच्छी जान पहचान होने के कारण उसे आसानी से लोन मिल जाता है। बैंक मैंनेजर उससे कहता है कि वह  कल सारे पेपर जमा करा दे इसी हफ्ते में लोन की रकम उसके एकाउंट में आ जायेगी।

शाम को मनीष खुशी खुशी घर आकर सीमा को यह खुशखबरी देता है। सीमा बहुत खुश होती है।

सीमा: यह ऑडर पूरा होने पर तुम मुझे बाहर घुमाने ले जाओगे।

मनीष: हां ठीक है इंड्यिा से बाहर चलेंगे लेकिन कुछ दिनों तक मुझे मेहनत करनी होगी हो सकता है मैं घर भी न आ सकूं। तुम चिन्ता मत करना।

सीमा: आप बेफिक्र होकर काम कीजिये मेरी चिन्ता बिल्कुल मत कीजिये।
दो दिन बाद मनीष को ऑडर मिल जाता है।

मनीष: राकेश मैं डायमंड लेने के लिये गुजरात जा रहा हूं। तीन चार दिन में आ जाउंगा। तुम एक काम करो स्टाफ से बात करके रखो और जरूरत पड़े तो ज्यादा स्टॉफ हायर करने का प्रोसेस शुरू कर दो। ये ऑडर हमें हर हाल में समय से डिलीवर करना है। horror love story

राकेश: सब हो जायेगा सर लेकिन डायमंड लेने आप खुद क्यों जा रहे हैं।

मनीष: नहीं मैं इतने सारे डायमंड के लिये किसी पर भरोसा नहीं कर सकता। मुझे खुद ही लाने होंगे। तुम यहां ध्यान रखना मैं परसों तक आ जाउंगा।
अगले दिन मनीष दिल्ली से फ्लाईट लेकर गुजरात पहुंच जाता है। वहां अपने पुराने होलसेलर से मिल कर डायमंड खरीद लेता है।
उसी दिन की फ्लाईट से वापास आ जाता है। रात को करीब ग्यारह बजे फ्लाईट लेंड होती है। मनीष ड्राईवर को फोन कर गाड़ी मंगवा लेता है।
गाड़ी में बैठ कर वह अपने घर की ओर चल देता है।
रास्ते में सुनसान सड़क पर ड्राईवर तेजी से गाड़ी दौड़ा रहा था।

मनीष: सुनो इतनी जल्दी क्या है घर ही तो जाना है जरा आराम से चलो।

ड्राईवर: जी साहब
लेकिन वह अपनी स्पीड कम नहीं करता। इसी बीच रास्ते में एक बूढ़ा आदमी सड़क पार करते दिखाई देता है। वह इतना धीरे चल रहा था कि गाड़ी के नीचे आ जाता ड्राईवर ने उसे देख कर गाड़ी की स्पीड कम कर दी लेकिन वह बीच सड़क पर आकर खड़ा हो गया। ड्राईवर को गाड़ी रोकनी पड़ी।
गाड़ी के रुकते ही चारों ओर से चार पांच नकाबपोश रिवाल्वर निकाल कर खड़े हो जाते हैं और सामने बूढ़े के भेष में एक और आदमी गन लिये खड़ा था।
तभी गोलियों की गड़गड़ाहट सन्नाटे को चीर देती है। मनीष का शरीर गोलियों से छलनी हो जाता है। सभी लोग मनीष का सारा सामान लेकर भागने लगते हैं। उनमें वह ड्राईवर भी था।

ड्राईवर: साहब आपको तो कोई नहीं जानता लेकिन मैं साहब को एयरर्पोट से लेकर आ रहा हूं। मैं पकड़ा जाउंगा।

राकेश: मैंने सारा प्लान बना लिया है। तुझे तेरा हिस्सा बाद में मिल जायेगा। फिलहाल तू ये एक लाख रुपये रख और यहां से दूर किसी अनजाने गॉव में चला जा जहां तुझे कोई पहचान न सके और अपना फोन तोड़ दे। मेरे इस नये नम्बर पर दो महीने बाद फोन करना और अखबार पढ़ते रहना। अपने परिवार से भी बात मत करना। सब सही रहा तो पूरी जिन्दगी काम नहीं करना पड़ेगा।
सीमा को जब यह पता लगा तो उसका बुरा हाल हो गया। घर में रिश्तेदारों का तांता लगा था। हर कोई हैरान था। पुलिस इंवेस्टिगेशन कर रही थी। लेकिन कुछ भी पता नहीं लगा।

रात के समय सब सो रहे थे तभी सीमा को अहसास हुआ जैसे कोई उसके बालों को सहला रहा है। सीमा की आंख खुली लेकिन वहां कोई नहीं था। तभी उसे खिड़की के बाहर एक परछाई सी दिखाई दी। वह उठ कर वहां गई तो देखा वह परछाईं छत की ओर जा रही है। सीमा बेहोश सी उस परछाई के पीछे चल दी। छत पर जाकर उसने देखा कोई नहीं था।
वह लौटने लगी उसे लगा उसका बहम था।
तभी उसे किसी के रोने की आवज सुनाई दी। सीमा ने पलट कर देखा तो काले कपड़े पहने एक इंसान रो रहा है।

सीमा: कौन हो तुम यहां कैसे आये।
सीमा कुछ आगे बढ़ी तो उस इंसान का चेहरा दिखाई दिया। भयानक काली आंखें लाल सुर्ख एक दम काला पड़ा चेहरा। मुंह से खून निकल रहा था।
सीमा के पैर जम गये वह भागना चाह रही थी लेकिन भाग न सकी। चीखना चाह रही थी लेकिन उसके गले से आवाज नहीं निकली। वह आदमी रो रहा था। मैं मरना नहीं चाहता था। उसने कहा यह सुनकर सीमा का दिल धक से बैठ गया। यह तो मनीष की आवाज थी।

सीमा तेजी सी चीखी घर की सारी लाईटें जल गईं। सीमा वहीं बेहोश होकर गिर पड़ी घर में सारे रिश्तेदार सीमा को ढूंढ रहे थे। तभी किसी ने छत के गेट खुले देखे दो तीन लोग भाग कर छत पर आये और सीमा को उठा कर नीचे ले गये।
सीमा को पानी के छींटे मारे जिससे उसे होश आ गया। वह होश आने पर चीखने लगी।

सीमा: मनीष, मनीष जाने दो मुझे वो छत पर मुझे बुला रहे हैं।
सबने मिल कर सीमा को पकड़ा। लेकिन वह रुकने का नाम नहीं ले रही थी।
सीमा की मां ने उसे संभाला पानी पिलाया।

मां: बेटी क्या बात है तू छत पर क्यों गई थी?

सीमा: मां वो छत पर हैं। वो रो रहे हैं और कह रहे थे मैं मरना नहीं चाहता था।

मां: बेटी मनीष अब कहां से आयेंगे उनका तो अंतिम संस्कार भी हो गया। तुझे गहरा सदमा लगा है। तू सोने की कोशिश कर।

सीमा: नहीं मां वो यहीं हैं।
अगले दिन पुलिसवालों ने आकर बताया कि उनके ऑफिस का मैंनेजर राकेश और ड्राईवर लापता हैं इन्होंने ही शायद मिल कर यह काम किया है। राकेश को पता था कि मनीष डायमंड खरीदने गये हैं।
सीमा चुपचाप बैठी थी जैसे उसे इस सब से कोई मतलब नहीं था।

इंस्पेक्टर: मेडम आप इस बारे में कुछ जानती हैं।

सीमा: आप चिंता न करें मेरे पति उन्हें सबक सिखायेंगे।

मां: इंस्पेक्टर साहब इसे गहरा सदमा लगा है। आप बाद में पूछताछ कर लीजियेगा।
इधर राकेश सारे डायमंड लेकर एक अन्जान शहर में एक फ्लेट किराये पर लेकर रहने लगता है।
रात को वह अपने फ्लेट में सो रहा था। तभी उसे कुछ खटका सुनाई दिया उसने देखा तो बॉलकनी में एक परछाई है। वह देखने गया तो उसे वहां एक आदमी दिखाई दिया। वही काले कपड़े, बाल बिखरे हुए, आंखे लाल और मुंह से खून बह रहा था।

राकेश: कौन हो तुम?

मनीष: अपने मालिक को भूल गया तू।

राकेश: कौन मनीष। लेकिन वह तो मर गया।

मनीष : लेकिन मुझे मुक्ति नहीं मिली। तूने विश्वासघात किया तुझे सजा दिये बगैर मुझे मुक्ति कहां मिलेगी।
राकेश अंदर की तरफ भागता है। लेकिन जा नहीं पाता तभी कुछ लोग नीचे से देखते हैं एक आदमी बॉलकनी की रेलिंग पर खड़ा है वे चिल्लाते हैं लेकिन वह आदमी रेलिंग से कूद जाता है। बीसवीं मंजिल से सीधा सड़क पर आकर गिरता है।
तभी पुलिस बुलाई जाती है। पुलिस लाश को पोस्टमार्टम के लिये ले जाती है। बाद में यह खबर सीमा को मिलती है। कि राकेश ने आत्महत्या कर ली उसके फ्लेट से सारे डायमंड मिल जाते हैं। bhoot ki kahani

पुलिस: मेडम आपके पति की कंपनी में काम करने वाले राकेश ने आत्महत्या कर ली। उसके घर से डायमंड भी मिल गये।

सीमा: उसे तो मरना ही था। अभी तो ड्राईवर की बारी है। उसे ढूंढ लो नहीं तो मनीष उसे मार देंगे। यह कहकर वह मुस्कुराने लगी।
उसकी मुस्कुराहट में मौत का पैगाम छिपा था।
कुछ दिन बाद मनीष का ड्राईवर रात को सो रहा था। तभी सपने में उसी भयानक रूप में उसे मनीष दिखता है।

मनीष: सपीड कम रखो इतनी भी क्या जल्दी है। मैंने तुझसे बोला था।
ड्राईवर उठ कर बैठ जाता है। वह अंधेरे में डर के बाहर आ जाता है। सड़क पर तभी सामने से एक कार तेजी से उसकी ओर आ रही होती है। ड्राईवर तेजी से सड़क पर भागने लगता है। लेकिन वह कार तेजी से उसे टक्कर मार देती है वह सड़क पर तड़पने लगता है। तभी उसे मनीष दिखाई देता है। उसी भेष में।

मनीष: मेरा क्या कसूर था?

ड्राईवर: मुझे माफ कर दो साहब पैसों के लालच में मैं अंधा हो गया।
मनीष मुस्कुरा रहा था। कुछ देर तड़प कर वह मर जाता है।
अगले दिन सीमा को ड्राईवर की खबर भी मिल जाती है।
उसी रात सीमा छत पर जाती है

सीमा: मनीष तुम कहां हो मुझे भी साथ ले चलो।

मनीष: नहीं सीमा तुम्हारे आगे पूरी जिन्दगी पड़ी है।

सीमा: मैं भी तुम्हारे पास आ रही हूं तुम्हारे बगैर सब बेकार है।

मनीष: सीमा ऐसा मत करो। बस एक अरमान रह गया तुम्हें घुमाने ले जाना था।

सीमा: चलो दोंनो साथ चलते हैं। यह कहकर वह छत से कूद जाती है।

एक डरावनी रसोई में "लाचुंग की आत्मा" कहानी के अनुसार दिखाया गया दृश्य, जहाँ एक महिला बुरी आत्मा के वश में है, उसका चेहरा विकृत और आँखें उलटी हुई हैं। सामने खड़ा पिता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है, जबकि बच्चा डर के मारे चीख रहा है और माँ स्तब्ध खड़ी है। बैकग्राउंड में पुराने ज़माने की रसोई और धुंधली रोशनी डर का माहौल बना रही है।

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