रेगिस्तान के बीचोंबीच, जहां ज़िंदगी का नामोनिशान नहीं, वहाँ मौजूद है — “मौत का कुआँ”।
कहते हैं, ये कुआँ सिर्फ़ पानी नहीं, रहस्य और मौत से भरा हुआ है। इस कुएँ की तलाश में, न जाने कितने ज़िंदा लोग रेत में दफ़न हो चुके हैं। शहर से दूर, वीरान रेत के समुद्र में, जहां सूरज की आग हर कण को भस्म कर देती है — वहीं छुपा है ये भूतिया कुआँ, जो आज भी इंसानी लालच पर भारी पड़ता है।
लालच की शुरुआत
रेगिस्तान के आसपास खनिज मिलने की अफ़वाहें उड़ने लगी थीं। सुनकर कई लोग वहाँ पहुँचने की कोशिश करते — कुछ वापस लौट आते, कुछ कभी लौटे ही नहीं। जो लौटे भी, वे कभी उस रेगिस्तान के “भीतर” नहीं जा सके।
लेकिन एक दिन…
कृपाल सिंह — एक अनुभवी ऊँट चालक, जो रेत में सामान ढोने का काम करता था — गलती से उस दिशा में निकल पड़ा। rahasyamayi kahani in hindi
उसका ऊँट अचानक रुक गया। ज़मीन कांपने लगी। हवा जैसे कुछ कह रही थी। कृपाल ने महसूस किया, कि कुछ तो है वहाँ… कुछ खौफ़नाक।
ऊँट पीछे हट गया — और कृपाल भी।
अंधेरे की दस्तक
कुछ महीने बाद, एक बड़ी सोलर कंपनी उस रेगिस्तान में रिसर्च के लिए पहुँची। उनका लक्ष्य था — सबसे तेज़ सूरज की रोशनी वाले स्थान को चिन्हित करना ताकि सोलर प्लांट लगाया जा सके। हाईटेक गाड़ियों और सैटेलाइट मॉनिटरिंग के साथ, टीम रेगिस्तान की गहराई में उतरती चली गई।
लेकिन जैसे ही वो मौत के कुएँ के करीब पहुँचे — गाड़ी फिसलने लगी।
ब्रेक बेकार। स्टीयरिंग जाम।
गाड़ी, गहरी रेत में समा गई — मानो ज़मीन ने उसे निगल लिया हो।
रेत उस पर ऐसे गिरी, जैसे सालों का बदला ले रही हो।
अनदेखा अंधकार
जब टीम से संपर्क टूटा, कंपनी ने सैटेलाइट से लोकेशन ट्रैक करने की कोशिश की।
शुरुआत में गाड़ी दिखी… फिर ग़ायब।
ना कोई रेडियो सिग्नल, ना कोई लोकेशन। मानो धरती ने खुद अपना राज छुपा लिया हो।
कृपाल की वापसी
सभी सुराग कृपाल सिंह की ओर इशारा कर रहे थे।
अधिकारियों ने उसे ढूँढ निकाला। जब उससे मदद मांगी, तो उसने साफ़ मना कर दिया।
“वो जगह इंसानों के लिए नहीं है। वहाँ कोई शक्ति है जो हमें नहीं चाहती।”
लेकिन जब लालच की रक़म सामने आई — और अपने सिर पर उधार का बोझ — कृपाल मान गया।
इस बार, रिसर्च टीम के साथ कृपाल ऊँट पर सबसे आगे चल रहा था। वह जानता था — ऊँट की संवेदनाएँ रेत के डर को पहचान लेंगी।
दूसरा सामना
टीम ने फिर वही रास्ता पकड़ा।
इस बार ऊँट शांत था।
लेकिन अचानक, रिसर्च की गाड़ी खुद-ब-खुद तेज़ होने लगी। कृपाल चिल्लाता रह गया, लेकिन गाड़ी फिसलती हुई आगे निकल गई — और ठीक मौत के कुएँ में जा गिरी। भूत की कहानी
एक बार फिर — रेत ने सबकुछ निगल लिया।
लेकिन कृपाल? वह फिर भी वहीं खड़ा था — सुरक्षित।
उसे समझ नहीं आया — रेत उसके पैरों के नीचे स्थिर क्यों है, लेकिन गाड़ी के नीचे फिसलन क्यों?
अंतिम चेतावनी
उस हादसे के बाद, सरकार और कंपनी दोनों ने उस क्षेत्र को “डेड ज़ोन” घोषित कर दिया।
कहा गया — वो कुआँ रेगिस्तान का रक्षक है। कोई चेतन शक्ति वहाँ वास करती है, जो उस प्राकृतिक संतुलन को बिगड़ने नहीं देना चाहती।
वो कुआँ, जो नज़र नहीं आता, लेकिन निगल जाता है। जो चेतावनी नहीं देता, बस ख़ामोशी से दंड देता है।











