एक बड़े घर के कमरे में, नेहा नाम की लड़की बिस्तर पर दर्द से कराह रही थी। उसकी दो बहनें, दिशा और प्रियंका, उसके पास खड़ी थीं, जबकि उनकी माँ पल्लवी आँसू बहा रही थी। नेहा की चीखें पूरे घर में गूँज रही थीं। पल्लवी ने उसे दिलासा देने की कोशिश की, यह कहते हुए कि डॉक्टर आने वाले हैं, लेकिन नेहा अजीबोगरीब ढंग से हँसने लगी, उसका चेहरा अचानक भयानक हो गया।
नेहा ने एक डरावनी हँसी के साथ कहा कि वह नहीं बचेगी। अचानक, उसके चेहरे पर असहनीय दर्द उभर आया। उसकी आँखों और नाक से खून बहने लगा, और दर्द भरी चीखें उसके मुँह से निकलने लगीं। उसका पेट किसी गुब्बारे की तरह फूलने लगा, और कुछ ही पल में वह फट गया, जिससे बिस्तर पर खून फैल गया। नेहा की मौत हो चुकी थी, और परिवार सदमे में था।
कुछ महीने बाद, शाम के सात बजे थे। राजवीर अपनी मोटरसाइकिल चला रहा था और प्रियंका उसके पीछे बैठी हुई थी, दोनों एक-दूसरे से प्यार भरी बातें कर रहे थे। उसी समय, दिशा अपने कमरे में अकेली बैठी, बेचैनी से खिड़की की ओर देख रही थी, अपने प्रेमी करन के देर से आने पर चिड़चिड़ा रही थी। अचानक, उसके पैर को बिस्तर के नीचे से किसी ने पकड़ लिया।
दिशा डर से चीखी, लेकिन जब उसने नीचे देखा, तो वहाँ कोई नहीं था। तभी, खिड़की से एक व्यक्ति कमरे में दाखिल हुआ। वह करन था, जो मुस्कुराते हुए दिशा को कुछ देने वाला था। लेकिन उसकी आँखें फटी रह गईं। उसने देखा कि दिशा के ठीक पीछे एक काली पोशाक में एक भयानक औरत खड़ी थी, उसकी आँखें लाल थीं और मुँह से खून टपक रहा था।
करन की दहशत देखकर दिशा ने भी पीछे मुड़कर देखा। उस भयानक औरत को देखकर उसके मुँह से एक चीख निकली। वह प्रेतात्मा काले धुएँ का रूप लेकर दिशा के शरीर में समा गई, और दिशा ज़मीन पर गिरकर तड़पने लगी। पल्लवी और रौनित, आवाज़ सुनकर भागे हुए कमरे में पहुँचे, जहाँ उन्होंने देखा कि करन ज़मीन पर मृत पड़ा था और दिशा उसके सीने से मांस नोचकर खा रही थी।
दिशा ने बेसुध होकर कहा, ‘कितना स्वादिष्ट मांस है!’ और फिर वह बेहोश हो गई। कुछ ही देर में प्रियंका और राजवीर भी घर पहुँचे और यह भयावह दृश्य देखकर स्तब्ध रह गए। रौनित ने उदासी से कहा कि कुछ महीने पहले नेहा के साथ भी ऐसा ही हुआ था। पल्लवी ने रोते हुए कहा कि उसकी दिशा को कुछ नहीं होगा। वे दिशा को बिस्तर पर लिटाकर उसके पास बैठे रहे।
रात में कई बार दिशा जागती, अजीब आवाज़ें निकालती और फिर से बेहोश हो जाती। उसकी इस हालत से पूरा परिवार परेशान था। प्रियंका ने रौनित से डॉक्टर को बुलाने की विनती की, लेकिन रौनित को लगा कि इस वक्त कोई फायदा नहीं होगा। ठीक रात के 3:00 बजे, दिशा के शरीर में अजीब सी कपकपी होने लगी। एक दूसरी आवाज़ में दिशा बोली, ‘मैं इसको नहीं छोड़ने वाली, इसको साथ लेकर जाऊँगी!’
दिशा की आँख, कान और मुँह से खून निकलने लगा, और उसका पेट भी गुब्बारे की तरह फूलने लगा। पल्लवी और प्रियंका उसे बचाने की कोशिश में उससे लिपट गईं, लेकिन दिशा ने प्रियंका के बालों को ज़ोर से नोचा। उसने प्रियंका के बालों की एक लट तोड़कर अपने मुँह में रख ली, और फिर उसका पेट भयानक रूप से फट गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
दिशा की मौत से परिवार पूरी तरह से टूट गया था। अगले दिन उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया, और सभी उसकी जलती चिता को देखकर रो रहे थे। प्रियंका गहरे सदमे में थी। रौनित ने उसे कुछ खाने को कहा, लेकिन प्रियंका ने कहा कि उसने दो बहनों को खो दिया है और वह अब इस घर की इकलौती बेटी है। वह बाथरूम जाने के लिए उठ गई।
बाथरूम में, प्रियंका ने वॉशबेसिन में अपना चेहरा धोया। जब उसने आईने में देखा, तो वही भयानक काली पोशाक वाली औरत उसके ठीक पीछे खड़ी थी। औरत ने एक डरावनी हँसी हँसी। प्रियंका ने पूछा, ‘कौन है?’ और जैसे ही वह पीछे मुड़ी, औरत ने उसकी गर्दन पकड़ ली। प्रियंका ने खुद को छुड़ाया और बाहर भागी, खौफ से काँपते हुए अधूरी बातें कह रही थी।
रात के वक्त, प्रियंका अपने कमरे में सो रही थी, लेकिन उसकी आँखें बंद थीं और नींद कोसों दूर थी। तभी उसे महसूस हुआ कि उसके चेहरे पर कुछ टपक रहा है। उसने आँखें खोलीं तो देखा कि छत के पंखे पर वही भयानक औरत बैठी है, और उसके मुँह से खून प्रियंका के चेहरे पर टपक रहा है। इससे पहले कि प्रियंका उठ पाती, औरत उस पर कूद गई।
प्रियंका चीखी, ‘मम्मी, बचाओ! राजवीर!’ ये तीनों उसके कमरे की तरफ भागे और देखा कि वह अपने बिस्तर पर नहीं थी। राजवीर ने पूछा, ‘प्रियंका, कहाँ हो तुम?’ एक दूसरी आवाज़ में प्रियंका बोली, ‘तेरी बेटी यहाँ है, रौनित।’ तीनों ने ऊपर गर्दन उठाई तो प्रियंका को अलमारी के ऊपर पैर लटकाए बैठे देखा। उसकी आँखें लाल थीं, बाल बिखरे हुए थे, और उसकी ज़ुबान से खून टपक रहा था।
प्रियंका अचानक रौनित पर कूद गई। राजवीर ने प्रियंका को रौनित से अलग किया। शांत भाव से अपने पापा को देखते हुए, प्रियंका ने कहा, ‘तेरी वजह से मेरी बेटी चित्रलेखा की जान गई थी। अब तू भी अपनी इस आखिरी बेटी को अपनी आँखों के सामने मरते हुए देखेगा।’ यह सुनते ही रौनित के पैरों तले ज़मीन खिसक गई, और वह घुटनों पर बैठ गया, उसकी आँखों से आँसू ऐसे फूट पड़े मानो उसे अपनी किसी बड़ी गलती का पछतावा हो रहा हो।
राजवीर ने रौनित से चित्रलेखा के बारे में पूछा। रौनित ने बताया कि यह 23 साल पुरानी बात है। वह गाँव की एक लड़की चित्रलेखा से प्यार करता था, जिसके पिता नहीं थे और सिर्फ एक माँ थी। वह उससे प्यार करता था लेकिन शादी के लिए तैयार नहीं था। फिर उसके पापा ने उसे शहर भेज दिया, जहाँ वह चित्रलेखा को भूल गया और पल्लवी से शादी कर ली।
राजवीर ने पूछा कि क्या उसे चित्रलेखा और उसकी माँ के साथ क्या हुआ, इसका कुछ पता था। रौनित ने जवाब दिया कि उसे कुछ नहीं पता था। राजवीर ने रौनित से उसके गाँव माधवगढ़ का नाम पूछा और तुरंत वहाँ के लिए निकल गया। माधवगढ़ पहुँचकर, उसकी मुलाकात एक आश्रम में रहने वाले स्वामी से हुई, जिन्होंने उसे पूरी कहानी सुनाई।
स्वामी ने बताया कि चित्रलेखा गाँव की सबसे खूबसूरत लड़की थी और रौनित से बहुत प्यार करती थी। जब रौनित शहर चला गया, तो वह बहुत परेशान रहने लगी। उसका कोई खत नहीं आया और वह खुद भी नहीं आया। चित्रलेखा उसके गम में खाना-पीना छोड़कर एक दिन दुनिया से चली गई। चित्रलेखा की माँ ने शपथ ली थी कि रौनित ने उसकी बेटी के दिल से खेला है, और वह भी अपनी हर बेटी को मरते हुए देखेगा।
स्वामी ने बताया कि चित्रलेखा की माँ, मंजरी, ने खुद को बंद करके काली विद्या शुरू की। एक दिन रहस्यमयी तरीके से उसकी मौत हो गई। उसने अपनी आत्मा को काली शक्तियों को समर्पित कर दिया था, इसलिए मरने के बाद वह और शक्तिशाली हो गई। फिर उसने रौनित की सबसे छोटी बेटी नेहा के शरीर पर कब्ज़ा करके उसकी जान ले ली।
एक बार किसी के शरीर में घुस जाने के बाद, मंजरी को उसके मरने पर दूसरे शरीर की ज़रूरत पड़ती है। इसलिए नेहा के मरते ही उसने दिशा के शरीर में वास किया, और दिशा के मरते ही अब वह प्रियंका के शरीर के अंदर है। राजवीर ने स्वामी जी से प्रियंका को बचाने का कोई रास्ता पूछा। स्वामी ने उसे तीन रातों की एक विशेष साधना करने की विधि बताई।
राजवीर सभी सामग्री के साथ कुंड के सामने ज़मीन पर बैठ गया और अपने सामने एक कील रखकर साधना शुरू की। इस तरफ रौनित और पल्लवी प्रियंका के पास बैठे हुए थे। पल्लवी को राजवीर की कोई खबर नहीं मिल रही थी और उसका मोबाइल भी नहीं लग रहा था। रौनित ने कहा कि उन्हें भगवान पर भरोसा रखना होगा; वह अपनी बेटियों को नहीं बचा पाए, लेकिन राजवीर ज़रूर अपने प्यार को बचा पाएगा।
राजवीर की कोई खबर नहीं थी, और प्रियंका की हालत बिगड़ती जा रही थी। कभी वह हँसती तो कभी रोती, कभी कमरे से भागकर बाहर निकल जाती, तो कभी घर की चीज़ों को इधर-उधर फेंक देती। पल्लवी ने रौनित से कहा कि आज तीसरी रात है और राजवीर का कोई पता नहीं है, उसे बहुत डर लग रहा है। तभी एक दूसरी आवाज़ में प्रियंका बोली, ‘आज की रात तेरी बेटी की आखिरी रात होगी।’
प्रियंका उठी और कमरे से बाहर भाग गई। रौनित और पल्लवी हॉल में पहुँचे तो देखा कि प्रियंका चिमनी में लगी आग से जलते हुए कोयले उठाकर खा रही थी। रौनित ने ‘नहीं, प्रियंका!’ कहकर उसे रोकने की कोशिश की। प्रियंका ने ‘मम्मी, मेरा मुँह जल रहा है!’ कहा, और फिर अचानक उसकी आवाज़ बदल गई। ‘आज की रात मैं जी भर के इसके साथ खेलूँगी,’ उसने कहा।
प्रियंका वहाँ से वापस अपने कमरे में भाग गई, और फिर उसकी आँख और कान से खून आने लगा। पल्लवी और रौनित उसे संभालने की कोशिश कर ही रहे थे, लेकिन उसने उन दोनों को एक तरफ धकेल दिया। अब उसका पेट भी उसी तरह फूलने लगा, जैसा पिछली दोनों बहनों का फूला था। रौनित ने ‘नहीं प्रियंका बेटा, मैं तुम्हें नहीं खोना चाहती’ कहते हुए उसे बचाने की कोशिश की।
प्रियंका का पेट फटने ही वाला था कि तभी अचानक राजवीर वहाँ आ गया। उसने अपने हाथ में पकड़ी हुई वही अभिमंत्रित कील प्रियंका के कंधे में गाड़ दी। प्रियंका ‘नहीं’ चीखते हुए बुरी तरह झटपटाने लगी, लेकिन राजवीर ने उसे नहीं छोड़ा। फिर एक तेज़ चीख उसके मुँह से निकली। उसका पेट वापस से कम होने लगा और वह कील, जो उसके कंधे में गड़ी थी, चमकने लगी।
राजवीर ने राहत की साँस ली। उसने वह कील उसके कंधे से निकाल ली। फिर उसने अपने झोले से एक नारियल और एक हथौड़ी निकाली। उस कील को राजवीर ने नारियल के अंदर ठोक दिया। प्रियंका बेहोश हो गई, और राजवीर ने चैन की साँस ली। पल्लवी ने पूछा, ‘राजवीर, प्रियंका के साथ तुमने क्या किया? इसे कुछ हो तो नहीं गया?’
राजवीर ने समझाया, ‘नहीं मम्मी, मैंने प्रियंका को बचाने के लिए एक तंत्र साधना करके कील को अभिमंत्रित किया था। जब मैंने वो कील प्रियंका के कंधे में गाड़ी, तो कील ने उस आत्मा को अपने अंदर खींच लिया। और मैंने ये कील जब इस नारियल में गाड़ दी, जिससे वह आत्मा हमेशा के लिए इसमें कैद हो गई। हमारी प्रियंका अब बिल्कुल ठीक है।’ यह सुनकर उसके माँ-बाप की आँखों से खुशी के आँसू निकल पड़े। राजवीर ने उस नारियल को घर के पिछवाड़े ज़मीन में गाड़ दिया, और तभी प्रियंका भी वहाँ आकर राजवीर के गले लग गई।