हरियाणा के रोहतक जिले में स्थित महम की बावड़ी सदियों से एक रहस्यमयी स्थान रही है। इसे स्थानीय लोग “ज्ञानी चोर की गुफा” और “स्वर्ग के झरने” जैसे कई नामों से जानते हैं। यह बावड़ी अपनी जटिल सुरंगों और गुफाओं के जाल के लिए प्रसिद्ध है, जिसके बारे में कई हैरान कर देने वाली कहानियाँ प्रचलित हैं। यह स्थल न सिर्फ ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि इसके भीतर छिपे अनसुलझे राज इसे और भी आकर्षक बनाते हैं।
इस बावड़ी की सबसे चौंकाने वाली कहानियों में से एक उस बारात की है, जो यहाँ से गुजरने के बाद कभी लौटकर नहीं आई। ब्रिटिश शासन के दौरान, एक बारात दिल्ली की ओर जाने के लिए इस बावड़ी की एक सुरंग में दाखिल हुई थी। दुखद रूप से, वह बारात न तो कभी अपने गंतव्य तक पहुंची और न ही कभी वापस बावड़ी से बाहर निकली। इस भयावह घटना के बाद, अंग्रेजों ने उस विशेष सुरंग को हमेशा के लिए बंद करवा दिया, और वह आज भी बंद पड़ी है, अपने अंदर कई अनुत्तरित प्रश्न समेटे हुए। भारतीय पुरातत्व विभाग अब इस ऐतिहासिक स्थल का रखरखाव करता है।
इस बावड़ी को “ज्ञानी चोर की गुफा” के नाम से भी जाना जाता है, जिसके पीछे एक दिलचस्प लोककथा है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, उस समय एक बहुत ही चतुर और बुद्धिमान चोर हुआ करता था जिसका नाम ज्ञानी था। वह अपनी हर चोरी के बाद पुलिस से छिपने के लिए अक्सर इन्हीं गुफाओं का सहारा लेता था। उसकी इसी चतुराई और इन गुफाओं में छिपने की आदत के कारण, इस जगह को ज्ञानी चोर की गुफा कहा जाने लगा।
गायब हुई बारात के रहस्य पर कई कयास लगाए जाते हैं। एक संभावना यह है कि बारात के सदस्य इन विशाल और जटिल सुरंगों में भटक गए होंगे। भूख और प्यास के कारण वे गुफाओं के अंदर ही दम तोड़ गए होंगे। दूसरी ओर, यह भी माना जाता है कि इन सुरंगों के भीतर डाकुओं या लुटेरों का कोई गिरोह सक्रिय था, जिन्होंने बारात को लूटने के बाद सभी लोगों को मौत के घाट उतार दिया होगा। चूंकि इन सुरंगों की गहराई से कभी कोई व्यापक पड़ताल नहीं की गई, इसलिए इस रहस्य पर कोई ठोस निष्कर्ष निकलना मुश्किल है।
यह महम की बावड़ी आज भी अपने गहरे रहस्यों को अपने सीने में दबाए खड़ी है। इस पर चिंतन करने से कई सवाल मन में उठते हैं। क्या बारात वाकई भटक गई थी, या उन्हें किसी खौफनाक वारदात का शिकार होना पड़ा? इन सुरंगों की असली लंबाई और उनके भीतर छिपे राज आज भी अज्ञात हैं। इन कहानियों और अनसुलझे रहस्यों ने महम की बावड़ी को एक भूतिया और अविश्वसनीय स्थल बना दिया है, जहाँ आज भी अतीत के किस्से हवाओं में तैरते प्रतीत होते हैं।