राज़ ने अपनी टूटती साँसों के साथ कहा, “मैं हार गया हूँ इस ज़िंदगी से। तुम्हें दिल-ओ-जान से चाहा, पर तुमने चंद सिक्कों के लिए मेरा साथ छोड़ दिया। मुझमें क्या कमी थी? क्या मैं तुम्हारी दौलत के काबिल नहीं था? आख़िर क्यों छोड़ा मुझे कुश के लिए, श्रुति? याद रखना, जिस तरह मैं तड़प रहा हूँ, तुम भी ऐसे ही तड़पोगी, मौत की भीख मांगोगी।” ये राज़ के आखिरी शब्द थे, जिसके बाद मोबाइल की बैटरी ख़त्म हो गई और फ़ोन बंद हो गया।
राज़ के अंकल फ़ोन पर उसकी आत्महत्या का वीडियो देखकर फूट-फूट कर रो रहे थे। “अरे, किस मनहूस घड़ी में मेरा भतीजा उस चुड़ैल के पाले पड़ा? उस डायन ने मेरे राज़ को खा लिया,” उन्होंने तांत्रिक को फ़ोन थमाते हुए कहा। तांत्रिक ने राज़ का मोबाइल लिया, उस पर लाल सिंदूर लगाया, एक नींबू रखा, और कुछ मंत्र बुदबुदाने लगा।
इधर, श्रुति शादी के जोड़े में आइने के सामने सँवर रही थी। बाहर बारातियों के स्वागत का शोर सुनाई दे रहा था। तभी मिलन हाँफते हुए उसके कमरे में आया। श्रुति ने राज़ का नाम सुनते ही घबराकर पूछा, “क्या कह रहा है, मिलन? आज मेरी शादी है और तू राज़ का नाम लेकर इसे तोड़ना चाहता है? तुझे सब पता है ना?”
मिलन ने तुरंत जवाब दिया, “हाँ, मुझे सब पता है, लेकिन तुम्हें यह नहीं पता कि राज़ ने आत्महत्या कर ली है।” यह सुनते ही श्रुति खड़ी हो गई। राज़ का नाम उसके मन में गूँज उठा। बाहर के शोर के बावजूद, श्रुति का दिल और दिमाग सुन्न पड़ गया था। मिलन ने फिर दोहराया, “श्रुति, क्या तुमने सुना? राज़ ने खुदकुशी कर ली है।” श्रुति बस बुदबुदाई, “राज़ का मोबाइल…”
“क्या मोबाइल? तुम क्या बोल रही हो?” मिलन ने हैरानी से पूछा। श्रुति ने कहा, “हाँ, मुझे राज़ का मोबाइल चाहिए, वरना सब खत्म हो जाएगा, मिलन।” मिलन ने उसे बेसुध बताते हुए कहा, “कुछ घंटों में तुम्हारी शादी है और तुम्हें राज़ का मोबाइल चाहिए! तुम सच में पागल हो गई हो। मैं तो बस तुम्हें यह बताने आया था। वैसे, तुमने उस बेचारे के साथ अच्छा नहीं किया।”
श्रुति ने अपनी बात रखी, “हर किसी को अपने लिए बेहतर चुनने का हक है, और मैंने वही किया। इसमें क्या सही, क्या गलत, मुझे नहीं पता। वैसे, तुम्हें यह खबर कहाँ से मिली?” मिलन ने जवाब दिया, “क्या मतलब? मैं अभी उसकी लाश मुर्दाघर में देखकर आया हूँ। अभी उसका पोस्टमॉर्टम भी नहीं हुआ है।” मिलन की बात सुनकर श्रुति ने बुदबुदाते हुए कहा, “तो शायद उसका फ़ोन उसकी लाश के पास ही होगा।”
श्रुति ने मिलन का हाथ पकड़ा और घर के पीछे के दरवाज़े से सीधा मुर्दाघर की ओर चल दी। मिलन ने उसे रोकने की कोशिश की, “श्रुति, तुमने पहले भी गलत किया था और अब भी कर रही हो। कुछ घंटों में तुम्हारी शादी है और तुम्हें अभी भी फ़ोन सूझ रहा है।” श्रुति ने अपनी बात स्पष्ट की, “मैं पागल नहीं हूँ कि दो कौड़ी के फ़ोन के लिए अपनी शादी छोड़ दूँ। राज़ के फ़ोन में मेरी कुछ निजी तस्वीरें और वीडियो हैं। अगर वे पुलिस या किसी और के हाथ लग गईं, तो मेरा पूरा खानदान तबाह हो जाएगा।”
“अब ये क्या नई बकवास शुरू कर रही हो तुम?” मिलन ने पूछा। श्रुति ने समझाया, “हाँ मिलन, यह सच है। अगर वह फ़ोन मुझे नहीं मिला, तो आने वाली ज़िंदगी का हर एक लम्हा मैं डर के साये में जिऊँगी। मेरी शादी प्रदेश के चीफ मिनिस्टर के साले से हो रही है, और मैं उसके लिए एक संस्कारी और आदर्श बहू बनने वाली हूँ। तुम्हें तो पता ही है, मिनिस्टर कितना कमीना है? तुम खुद भी एक रिपोर्टर हो, सारे कच्चे चिट्ठे जानते हो।”
श्रुति की सारी बातें सुनकर मिलन ने भी अपनी गर्दन झुका ली और चुपचाप मुर्दाघर की ओर चल पड़ा। श्रुति के तेज़ कदम उसकी घबराहट साफ़ ज़ाहिर कर रहे थे। मुर्दाघर लाशों से भरा था, यहाँ तक कि ज़मीन पर भी कुछ लावारिस लाशें बिखरी हुई थीं। लाशों की इतनी तादाद थी कि राज़ की लाश तक पहुँचना वार्ड बॉय के लिए भी मुश्किल हो रहा था। तभी श्रुति ज़ोर से चीख पड़ी, क्योंकि उसका दुपट्टा एक सिरविहीन लाश के हाथ में फंस गया था। फिर भी उसने खुद को संभाला और राज़ को देखने आगे बढ़ी।
श्रुति को राज़ के अंतिम दर्शन कराए गए। वह लाश पर सिर रखकर फूट-फूट कर रोने लगी, पर उसके हाथ अभी भी राज़ के फ़ोन की तलाश कर रहे थे। लेकिन उसे वह फ़ोन कहीं नहीं मिला। लाश को देखकर लग रहा था कि अभी तक उसका पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ है, तो फिर फ़ोन कहाँ जा सकता है? श्रुति इन सब सवालों से जूझ ही रही थी कि अचानक ही मुर्दाघर की लाइट चली गई। चारों तरफ घना अंधेरा पसर गया।
तभी श्रुति ने एक आवाज़ सुनी। कोई अंधेरे में उसे अपने पास बुला रहा था। आवाज़ ने कहा, “श्रुति… इधर श्रुति, अरे! देख तो सही, तेरे सामने हूँ मैं।” श्रुति अंधेरे में देखने लगी, पर उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। “मिलन, ये तुम हो क्या? क्या तुम मुझे बुला रहे हो?” श्रुति मिलन को आवाज़ लगाती हुई अंधेरे में लाशों के ऊपर चलते हुए भटक रही थी, कि तभी मुर्दाघर की लाइट आ गई।
पर अब पूरे मुर्दाघर में सिर्फ श्रुति अकेली ज़िंदा बची थी। खुद को अकेला पाकर उसकी साँसें और तेज़ हो गईं। उसने बाहर जाने की ओर कदम बढ़ाया ही था कि तभी एक-एक करके लाशें खड़ी होने लगीं। लाशें अपने आप ही उठकर श्रुति की तरफ चली आ रही थीं। किसी लाश की आँखें नहीं थीं, तो किसी के हाथ या पैर, तो किसी की अंतड़ियाँ पेट से साफ़ लटक रही थीं, तो किसी का सिर ही नहीं था।
इतना भयानक मंजर देख श्रुति मदद के लिए आवाज़ तो लगा रही थी, पर उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया। क्योंकि वह चीख रही थी, चिल्ला रही थी, पर बिना किसी आवाज़ के। उसके गले से शब्द ही नहीं फूटे थे। देखते ही देखते एक-एक कर लाशों ने उसे दबा दिया। उसका दम घुटने लगा था। उसकी हालत इतनी बदतर हो चुकी थी कि उसका नाखून तक लाशों के नीचे दब चुका था।
तभी सब कुछ एकदम शांत हो गया कि अचानक ही श्रुति का फ़ोन वाइब्रेट करने लगा और अगले ही पल वह लाशों को चीरते हुए बाहर आ गई। उसका बदन खून से भीगा था और कोने में उसे मिलन की उथड़ी हुई लाश भी दिखी। उसकी नज़र मोबाइल की स्क्रीन पर गई। राज़ का कॉल आ रहा था, जबकि राज़ की लाश ठीक उसके सामने थी। उसने काँपते हुए मोबाइल कान पर लगाया और बस इतना कहा, “हैलो राज़!”
श्रुति के पिता बारातियों के स्वागत के लिए जा रहे थे और चिल्ला रहे थे, “श्रुति कहाँ है? बारात दरवाज़े पर खड़ी है और उसका कुछ पता नहीं है। किसी ने देखा क्या उसको?” बारात भी पूरे ज़ोर-शोर के साथ दरवाज़े पर खड़ी थी, पर इससे पहले कि वह दरवाज़े तक पहुँच पाते, शादी का शोर मैयत की शांति में बदल गया और सबकी नज़रें भीड़ को चीरती हुईं खून से लथपथ एक लड़की पर जा अटकी।
वह लड़की कोई और नहीं, बल्कि श्रुति ही थी। वह अपनी बारात को चीरती हुई, अपने कंधे पर राज़ की लाश लिए सीधा मंडप की ओर चले जा रही थी। पिता ने उसे रोकने की कोशिश की, “श्रुति, ये क्या हाल बना रखा है तुमने अपना? आज तुम्हारी शादी है और मैंने इस राज़ से दूर रहने के लिए मना किया था। पर तुम इसे अपने कंधे पर उठाकर सीधा शादी में ले आई, तुम्हें पता भी है तुम्हारी इस हरकत से हमारी जान भी जा सकती है?”
श्रुति ने अपने पिता की बात सुनी तो थी पर वह रुकी नहीं। वह मंडप पर पैर रखने ही वाली थी कि तभी पिता ने श्रुति का हाथ पकड़ उसे वापस खींचा। श्रुति ने अपने पिता को एक लात मार मंडप से दूर फेंक दिया और चीखते हुए बोली, “खबरदार जो तूने मेरे होने वाले पति को छूने की भी कोशिश की, तो मैं तेरा भी वही हाल करूँगी, जो तूने मेरे राज़ का किया था।”
पिता ने उसे शांत करने की कोशिश की, “ये क्या अनाप-शनाप बक रही हो तुम? पहले अंदर चलो, बैठकर बात करते हैं।” पर श्रुति ने अपने पिता की एक नहीं सुनी और सीधा मंडप में बैठ गई। राज़ की लाश को अपने बगल में बिठा पंडित से गुस्से में कहा, “अगर तू अपनी जान की सलामती चाहता है तो जल्दी मंत्र पढ़ना शुरू कर, वरना इसी हवन कुंड की अग्नि में मैं तुझे ज़िंदा जला दूँगी।”
श्रुति की बात सुन पंडित भी डर गया। उसने तुरंत ही मंत्र पढ़ना चालू कर दिए और अग्नि कुंड में आहुति डालने लगा। प्रदेश की सारी मीडिया इसको लाइव न्यूज़ की तरह टेलीकास्ट कर रही थी। सब लोग ये देखकर हैरान थे कि भला कोई लड़की किसी लाश से कैसे शादी कर सकती है? तभी श्रुति राज़ की लाश को गोद में उठाये फेरे लेने लगी।
तब उसके पिता ने अपने सिर पर बंदूक तानते हुए कहा, “रुक जा श्रुति, वरना मैं खुद को गोली मार लूँगा और मेरी मौत की ज़िम्मेदार तू होगी।” श्रुति ने पलटकर जवाब दिया, “ठीक उसी तरह जिस तरह राज़ की मौत के ज़िम्मेदार आप हैं… सिर्फ और सिर्फ आप।” पिता ने कहा, “मैंने राज़ को नहीं मारा, बल्कि उसने तो आत्महत्या…।” श्रुति ने बीच में टोक दिया, “नहीं पिताजी, बल्कि आपने उसे इस तरह से मारा कि सबको आत्महत्या लगे।”
श्रुति ने आगे खुलासा किया, “आपको पता चल गया था कि मैं और राज़ आज रात भागने वाले हैं, इसलिए कल को कोई हंगामा ना खड़ा हो जाए, आपने पहले उससे आत्महत्या का वीडियो रिकॉर्ड करवाया और फिर उसे मौत के घाट उतार दिया। वह तो मिलन की वजह से मुझे राज़ की मौत का पता चला और मैं बहाने से उस तक पहुँच गई, वरना आपने तो उसकी लाश को भी ठिकाने लगाने का सोच लिया था।”
श्रुति की बात सुन सारे मीडिया के कैमरे उसके पिता पर ही तन गए। सबको अब एक प्यार करने वाले जोड़े पर तरस आ रहा था और एक बाप से घिन। तभी पिता ने गरजते हुए कहा, “हाँ, मैंने मरवाया राज़ को, वो भी तेरे भले के लिए। तेरी अच्छी ज़िंदगी के लिए, लेकिन तूने सब बर्बाद कर दिया श्रुति, सब बर्बाद कर दिया।”
पिता ने गुस्से में श्रुति पर बंदूक ताने हुए कहा, “पर अगर तूने अपना ये आखिरी फेरा पूरा किया, तो मैं तुझे गोली मार दूंगा।” श्रुति भी राज़ की लाश को गोद में उठाए आखिरी फेरा लेने के लिए बढ़ चुकी थी। इधर पिता की उंगलियाँ भी ट्रिगर दबाने के लिए मजबूर थीं। तभी किसी ने पिता का हाथ पकड़कर उसकी दिशा बदल दी, और गोली घोड़े पर बैठे दूल्हे को जा लगी। चारों ओर एक दम से हल्ला हो गया। लोग बेसुधी में इधर-उधर भागने लगे।
दूल्हे के चाचा ने चीखते हुए कहा, “मेरे भतीजे को मारा तूने, मैं तुझे ज़िंदा नहीं छोडूंगा। मैं तो पहले ही तेरी बेटी पर काला जादू करके उसे मारने की सोच रहा था, पर तांत्रिक ने राज़ की आत्मा से मेरी बात कराई। तब मुझे सच का पता चला। उसे मारने में मिलन का भी हाथ था, इसलिए मैंने उसे मुर्दाघर में ही ख़त्म करवा दिया। पर तेरी बेटी को छोड़ दिया, इसलिए ही तेरी बेटी मुर्दाघर से ज़िंदा वापस आई है। सच जानने पर मैंने तेरी बेटी को काली शक्तियों से इतना ताकतवर कर दिया कि अब वो तेरी भी नहीं सुनेगी।”
राज़ के अंकल श्रुति के पिता से झड़पते हुए ये सब बोल ही रहे थे कि तभी दो गोली और चलीं, पर भीड़ ने रुकने का नाम नहीं लिया। कुछ पल बाद जब सब कुछ शांत हो गया तो ज़मीन पर तीन लाशें मिलीं: एक दूल्हे की, दूसरी श्रुति के पिता की और तीसरा इंसान था राज़ के अंकल, जिसने उसके पिता को गोली चलाने से रोका था और उसी झड़प में अपनी और श्रुति के पिता की भी जान गँवा दी। श्रुति और राज़ का कुछ पता नहीं चला। मामला पहले ही हाई प्रोफाइल था, इसलिए श्रुति को ढूँढने के लिए सीबीआई एन्क्वायरी भी बैठी। अब इस हादसे को कुछ 4 साल हो गए और श्रुति का किसी को कुछ पता नहीं है।