चार जिगरी दोस्त, अमन, रितु, वर्षा और सौरव, अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीते थे। दफ्तर के काम से फुर्सत मिलते ही, वे पार्टी और मौज-मस्ती में डूब जाते थे। शराब, सिगरेट और नशे की लत ने उनकी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बना लिया था। उनके लिए हर पल एक जश्न था, एक आज़ाद उड़ान, जहाँ कोई नियम या सीमा नहीं थी। हाल ही में काम के बढ़ते बोझ से अमन खीझ चुका था। “यार, इस वर्कलोड ने तो हमारी आधी ज़िंदगी यूं ही बर्बाद कर दी है,” उसने झुंझलाकर कहा।
रितु ने तुरंत सुझाव दिया, “तो क्यों न इस वीकेंड कुछ ऐसा करें जो हमने पहले कभी न किया हो?” वर्षा उत्साह से बोली, “हाँ! चलो पब चलते हैं, वहाँ पार्टी करते हैं।” सौरव ने सिर खुजाया, “पब तो हम हमेशा जाते हैं। इस बार कुछ हटके करते हैं।” वीकेंड आ गया, और अमन सबसे ज्यादा उत्साहित था। उसे नशे का गहरा शौक था, और वह खाली समय में इसी में डूबा रहता था। उसने बड़े गर्व से कहा, “इस बार पार्टी के लिए मैंने अपनी कार की डिग्गी पूरी दारू की बोतलों से भर ली है।”
सौरव ने चिंता जताई, “इतनी शराब पिएगा तो तेरा क्या होगा, अमन?” अमन ने बेफिक्री से जवाब दिया, “अरे यार, मौत से इतना क्यों डरना? जितने दिन जीना है, मज़े से जीना है।” वीकेंड की छुट्टियों पर चारों दोस्त गाड़ी लेकर निकल पड़े। रात भर वे तेज़ रफ्तार में गाड़ी चला रहे थे, जोर से संगीत बजाकर नाच रहे थे और शराब पी रहे थे। अमन नशे में चूर होकर गाड़ी चला रहा था। उसे कुछ भी ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था।
शहर से काफी दूर एक घने जंगल में पहुँचकर, अमन ने नशे में गाड़ी सीधे एक विशाल पेड़ से टकरा दी। चारों तरफ घना जंगल था और भयावह सन्नाटा पसरा था। सौरव चिल्लाया, “अमन, ये क्या कर दिया तूने? अब इस सुनसान रात में हमें मैकेनिक भी नहीं मिलेगा।” रितु नशे में धुत थी, “यहाँ से कौन जाना चाहता है? मैं तो इन जंगलों में खो जाना चाहती हूँ।” वर्षा ने देखा कि उन दोनों को पूरी तरह से नशा चढ़ चुका था, “इन दोनों को रोकना अब नामुमकिन है।”
अमन और रितु लड़खड़ाते हुए जंगल में इधर-उधर भटकने लगे। तभी उनकी नज़र जंगल के बीच में बनी एक पुरानी कब्र पर पड़ी। कब्र बहुत पुरानी लग रही थी, जिस पर उर्दू में कुछ लिखा था और चारों ओर छोटी-छोटी जंगली घास उग आई थी। अमन ने उत्सुकता से पूछा, “अरे! ये क्या चीज़ है? ओह भाई, कितने सालों से यहाँ पड़ा होगा?” रितु ने लापरवाही से कहा, “लगता है तुमने अपनी ज़िंदगी के मज़े खो दिए।”
अमन ने अट्टहास किया, “ना ना ना… मैं ऐसा नहीं होने दूँगा। तू मरने के बाद भी दारू पिएगा।” इतना कहकर अमन ने शराब की पूरी बोतल उस कब्र पर खाली कर दी और उसके ऊपर चढ़कर नाचने लगा। वर्षा डरकर बोली, “हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। प्लीज़, अमन को रोको। हमें नहीं पता ये कब्र किसकी है और ये इस जंगल में क्या कर रही है?” सौरव ने अमन को रोकने की कोशिश की, लेकिन वह रुकने को तैयार नहीं था।
तभी कब्र के अंदर से अजीब-सी आवाज़ें सुनाई देने लगीं। रितु ने हँसते हुए कहा, “अरे! दारू पीते ही इस मुर्दे में भी जान आ गई।” तभी उस कब्र के ऊपर से कुछ आवाज़ें आने लगीं, मानो कोई अंदर से ज़ोर से धक्का दे रहा हो। अचानक वर्षा को लगा कि अमन के साथ उस कब्र पर कोई और भी खड़ा है, जो उन चारों को घूर रहा है। वर्षा चिल्लाई, “ऐ! वहाँ कोई है। अभी-अभी मैंने वहाँ किसी को देखा है।”
अमन ने नशे में कहा, “ऐ! जो भी है, सामने आओ। हमारी वर्षा मैडम तुम्हें अपना दिल दे चुकी हैं।” तभी अचानक पास के एक पीपल के पेड़ की एक मोटी लट नीचे आई और अमन को अपनी गिरफ्त में लपेटते हुए ऊपर की ओर खींचने लगी। सभी डर गए। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है। अमन हवा में झूलते हुए चिल्लाया, “देखो, मैं हवा में उठ रहा हूँ। इसलिए मैं तुम लोगों से कहता हूँ कि दारू मत पिया करो। तुम लोग भी बिल्कुल बेकार हो।”
पीपल की वो काली लटें अमन को धीरे-धीरे अपनी गिरफ्त में कसती जा रही थीं, जैसे कोई अदृश्य हाथ उसे ऊपर खींच रहा हो। उसकी चीखें जंगल की खामोशी को चीर रही थीं, लेकिन कोई मदद नहीं थी। एक भयावह झटके के साथ, लटों ने उसे सैकड़ों फुट ऊपर ले जाकर छोड़ दिया। अमन धड़ाम से कब्र पर गिरा। उसके शरीर का हर अंग चकनाचूर हो गया, खून का एक फव्वारा सा निकला और उसकी ज़िंदगी वहीं थम गई।
वर्षा और सौरव यह देखकर सिहर उठे। वर्षा ने कांपते हुए कहा, “अमन, तुम्हें क्या हो गया? आँखें खोलो।” सौरव चिल्लाया, “भागो यहाँ से। हमने यहाँ आकर बहुत बड़ी गलती कर दी है।” वर्षा ने घबराकर कहा, “हमने इस कब्र में सोई हुई आत्मा को जगा दिया। अब यह आत्मा हमें नहीं छोड़ेगी।” तीनों वहाँ से अपनी जान बचाकर भागने लगे, लेकिन उनके पीछे एक वर्षों पुरानी खूँखार आत्मा पड़ चुकी थी।
अचानक वहाँ तेज़ हवा चलने लगी, जिससे सारे सूखे पत्ते उड़ने लगे। तीनों एक-दूसरे से अलग हो गए। रितु नशे में भागते हुए वापस उसी कब्र के पास पहुँच गई। “अरे! मैं वापस यहाँ कैसे पहुँच गई?” उसने हैरानी से कहा। तभी अमन के शरीर के बिखरे हुए हिस्से अचानक जुड़ने लगे और वह किसी खूँखार प्राणी की तरह खड़ा हो गया। वह रितु के पीछे भागने लगा। रितु ने चीखकर कहा, “अमन, होश में आओ! मैं तुम्हारी दोस्त रितु हूँ।”
लेकिन अमन ने दौड़कर रितु का गला पकड़ लिया। उसने उसे पेड़ के ऊपर खींच लिया और रितु की गर्दन एक नुकीली डाल में फँसा दी। रितु का शरीर उस पेड़ से लटक गया और उसकी मौत हो गई। उसके शरीर से खून बहकर नीचे टपकने लगा। वर्षा जंगल में भागते-भागते उसी पेड़ के नीचे पहुँच गई, जहाँ रितु की लाश लटकी हुई थी। उसने डरी हुई आवाज़ में पुकारा, “सौरव, रितु, कहाँ हो तुम दोनों? मुझे बहुत डर लग रहा है।”
तभी वर्षा के ऊपर खून की बूँदें टपकने लगीं। उसने ऊपर देखा और रितु की लटकती हुई लाश देखकर बुरी तरह घबरा गई और चिल्लाने लगी। “रितु, तू भी अमन की तरह हमें छोड़कर चली गई?” तभी अचानक रितु का पेड़ से लटका शरीर हिलने लगा। उसकी लटकी गर्दन सीधी हो गई और वह अपने हाथों से पेड़ को पकड़कर नीचे उतर आई। यह देखकर वर्षा बुरी तरह घबरा गई और वहाँ से भागने लगी। भागते हुए वह सौरव से टकरा गई।
वर्षा ने राहत की साँस ली, “अच्छा हुआ सौरव, तुम मिल गए। रितु… रितु को भी अमन ने नहीं छोड़ा। हम सब मारे जाएँगे। हमें यहाँ आना ही नहीं चाहिए था।” सौरव ने कहा, “चलो भागो यहाँ से, मैंने यहाँ से निकलने का रास्ता देख लिया है। चलो मेरे साथ।” वर्षा ने कांपते हुए कहा, “मैं मरना नहीं चाहती। मुझे यहाँ से बाहर निकलना है।” सौरव वर्षा का हाथ पकड़कर भागने लगा। उस अंधेरे जंगल में कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। दोनों बस भागते जा रहे थे।
तभी वर्षा ने देखा कि वे दोनों घूम फिरकर उसी कब्र के सामने आकर खड़े हो गए हैं। “सौरव, तुम इस जंगल से निकलने वाले थे न? लेकिन ये कब्र तो…,” वर्षा ने घबराकर कहा। तभी वर्षा ने सौरव की ओर देखा। सौरव के चेहरे पर आँखें नहीं थीं। यह देखकर वर्षा बुरी तरह घबरा गई। तभी सामने से अमन और रितु, दोनों ही विकृत रूप में उसकी ओर बढ़ते दिखाई दिए। अमन ने कहा, “वर्षा, तुम तो वहाँ पेड़ पर लटकी हुई थी न?”
वर्षा के दिमाग में भ्रम छा गया, “सौरव, रितु मर चुकी है। मुझे पता है ये बात तुम्हें इस रितु ने बताया होगा।” सौरव ने डरी हुई आवाज़ में कहा, “मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि सच क्या है और क्या झूठ?” तभी रितु ने सौरव के गले पर हमला कर दिया और उसका खून पीने लगी। वर्षा डर के मारे वहाँ से भागने लगी। लेकिन उसके पीछे अमन भागता हुआ आ रहा था।
वर्षा का पैर किसी चीज़ में उलझ गया और वह वहीं गिर पड़ी। अमन ने उसका पैर पकड़कर खींचा और उसे उस कब्र के पास ले गया। वहाँ पर सौरव की आधी खाई हुई लाश पड़ी थी। वर्षा उसे देखकर बुरी तरह डर गई। “ये क्या कर दिया तुम दोनों ने? हम तीनों दोस्त हैं न? और आज… आज तीनों एक-दूसरे की जान के पीछे पड़े हैं,” उसने गिड़गिड़ाकर कहा। तभी सौरव अपनी आँखों की जगह गहरे गड्ढे लिए हुए खड़ा हो गया और वर्षा के बाल पकड़कर उसे कब्र के अंदर धकेल दिया। वहाँ पर तेज़ हवाएँ चलने लगीं। उस खूनी रात ने उन चारों दोस्तों की जान ले ली। चारों एक गुमनाम, भयावह मौत मर गए।











