खामोश हवेली का राज़

रीना अपनी दादी माँ के निधन के बाद गाँव में अपनी पुरानी पुश्तैनी हवेली में रहने आई थी। यह शहर की भाग-दौड़ से बहुत दूर, सुनसान जगह पर स्थित थी। हवेली में कदम रखते ही उसे एक अजीब सी ठंडक और खामोशी ने घेर लिया। धूल की मोटी परत हर चीज़ पर जमी थी, मानो सदियों से यहाँ कोई आया ही न हो। उसकी दादी ने उसे कभी इस घर के बारे में ज़्यादा नहीं बताया था, बस इतना कहा था कि यह ‘जीवित’ है। पहली रात उसे लगा जैसे कोई लगातार उसे देख रहा है, उसकी हर हरकत पर नज़र रखे हुए है। उसने खिड़की से बाहर देखा, लेकिन अमावस की रात में अँधेरा इतना घना था कि कुछ भी दिखाई नहीं दिया। एक अनजानी दहशत ने उसे भीतर तक जकड़ लिया था।

कुछ ही दिनों में, अजीबोगरीब घटनाएँ शुरू हो गईं। रसोई में अपने आप बर्तनों की आवाज़ें आतीं, रात में गलियारों से फुसफुसाहटें सुनाई देतीं, जो किसी भाषा में नहीं थीं। बिजली बार-बार आती-जाती, जिससे पूरा घर पल भर में अँधेरे में डूब जाता। रीना को लगा कि शायद वह थकन और अकेलेपन के कारण ऐसा महसूस कर रही है, पर एक रात उसकी नींद एक ज़ोरदार धड़ाम की आवाज़ से खुली। वह उठकर हॉल में गई और देखा कि दीवार पर टंगी एक पुरानी पेंटिंग ज़मीन पर गिरी पड़ी है, उसका काँच टूटा हुआ है। उसकी नज़र सामने रखे एक लकड़ी के पुराने झूले पर पड़ी, जिस पर रखी एक गुड़िया की आँखें उसे घूर रही थीं। उसे यकीन हो गया कि वह अकेली नहीं है।

घबराहट में, रीना ने दादी की पुरानी चीज़ें खंगालना शुरू किया। एक संदूक में उसे एक पुरानी, चमड़े की बंधी हुई डायरी मिली। पन्ने पीले पड़ चुके थे और उन पर स्याही धुँधली पड़ रही थी। दादी की लिखावट में कुछ अजीबोगरीब मंत्र और अनुष्ठानों का ज़िक्र था। डायरी के बीच में एक सूखा हुआ गुलाब और एक धुँधली पड़ चुकी तस्वीर थी, जिसमें उसकी दादी बहुत जवान दिख रही थीं, और उनके बगल में एक रहस्यमयी आकृति धुँधली सी दिख रही थी। जैसे-जैसे वह पन्ने पलटती गई, उसे एक गहरे राज़ का एहसास हुआ। हर पन्ने पर डर और बेचैनी बढ़ती जा रही थी, मानो दादी ने अपनी कलम से किसी भयानक सत्य को उजागर किया हो।

डायरी में लिखा था कि कैसे परिवार को गरीबी और दुर्भाग्य से बचाने के लिए उसकी दादी ने एक प्राचीन, भयानक शक्ति के साथ एक समझौता किया था। इस समझौते के तहत, हर पीढ़ी में एक सदस्य को उस शक्ति के हवाले करना पड़ता था, ताकि बाकी परिवार सुरक्षित रहे। दादी ने यह समझौता अपनी जान बचाने के लिए किया था, लेकिन इसकी कीमत चुकाने का समय अब आ गया था। डायरी के आखिरी पन्नों में लिखा था: “वह इंतज़ार कर रहा है। वह अपना हिस्सा लेगा।” रीना के रोंगटे खड़े हो गए। वह समझ गई कि उसकी दादी ने उसे हवेली में अकेले क्यों छोड़ दिया था। वह अकेली नहीं थी, वह उस शक्ति का अगला ‘हिस्सा’ थी।

डर से काँपते हुए रीना ने भागने की कोशिश की, पर जैसे ही वह दरवाज़े की ओर बढ़ी, दरवाज़ा अपने आप ज़ोर से बंद हो गया और ज़ंजीरें चढ़ गईं। खिड़कियों से बाहर झाँकने पर उसे सिर्फ़ घना अँधेरा और अजीबोगरीब चीखें सुनाई दीं, मानो जंगल की हवा में कुछ भयानक तैर रहा हो। घर की दीवारें हिलने लगीं, छत से प्लास्टर गिरने लगा। कोने से एक काली, धुआँदार आकृति धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ी। उसकी आँखें लाल थीं और वह भयानक तरीके से मुस्कुरा रही थी। रीना चीखना चाहती थी, पर उसकी आवाज़ गले में ही अटक गई। उसे एहसास हुआ कि हवेली ने उसे पकड़ लिया है, और अब वह हमेशा के लिए इस खामोश, शापित घर का हिस्सा बन जाएगी।

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