काम पिशाचिनी का प्रतिशोध: एक अनोखा प्रेम

पेशेवर फोटोग्राफर आरव, अपनी बचपन की प्रेमिका अनुष्का और दोस्त नील के साथ, एक सुनसान गाँव रत्नपुर पहुंचा था। उनका मकसद वर्षों से वीरान पड़ी एक पुरानी हवेली की तस्वीरों की एक विशेष श्रृंखला शूट करना था। जैसे ही वे हवेली के पास पहुंचे, नील ने उन्हें चेतावनी दी, “कहते हैं, रात को यहाँ किसी औरत की सिसकियाँ सुनाई देती हैं।” अनुष्का ने डरते हुए पूछा, “क्या बकवास है? तो हम यहां क्यों जा रहे हैं?” आरव ने उसे यह सब अंधविश्वास कहकर शांत करने की कोशिश की, लेकिन नील ने आगे कहा, “कुछ लोगों का दावा है कि यहां काम पिशाचिनी रहती है, एक आत्मा जो सुंदर रूप में प्रकट होती है और पुरुषों की हवस का इस्तेमाल करके उनकी आत्मा चूस लेती है।”

शाम के छह बजे तक, वे तीनों हवेली पहुंच चुके थे। जर्जर दरवाजा, मकड़ी के जालों से लिपटा प्रवेश द्वार, और भीतर गहरा सन्नाटा। लेकिन जैसे ही आरव ने पहला कदम अंदर रखा, उसे एक अजीब सी, मीठी खुशबू महसूस हुई, मानो किसी स्त्री के गीले बालों की। तभी उसे लगा जैसे कोई लड़की हंसी हो। आरव ने चौंककर पूछा, “ये क्या, सुना तुम लोगों ने?” नील और अनुष्का ने कुछ नहीं सुना था। अनुष्का ने वापस चलने का सुझाव दिया, पर आरव ने इसे अपना वहम कहकर टाल दिया और शूटिंग की तैयारी शुरू कर दी।

आरव ने अपने कैमरे और लाइट्स सेट किए, लेकिन तभी हवेली की ऊपरी मंजिल से एक काला साया गुजरा। नील ने उसे देखकर कहा, “भाई, ऊपर कोई है!” आरव ने फिर इसे नजरअंदाज कर दिया, इसे लाइट शैडो या प्रोजेक्शन बताकर। उन्होंने कुछ तस्वीरें खींची और फिर हवेली के बाहर आकर टेंट लगाकर बैठ गए। रात दस बजे, नील और अनुष्का टेंट में आराम कर रहे थे, लेकिन आरव अपना कैमरा लेकर वापस हवेली में चला गया। अनुष्का ने चिंता जताई, “ये आरव अंदर क्यों जा रहा है?” नील ने सोचा कि शायद वह कोई सामान भूल गया होगा।

हवेली के अंदर, आरव को एक लड़की मिली, जिसका नाम कामिनी था। उसका रंग सांवला था, गीले बाल थे और उसने लाल चुनरी ओढ़ रखी थी। उसकी आँखों में कुछ ऐसा था जो सीधा मन के भीतर उतरता था। कामिनी ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम आ ही गए। मैं जानती थी।” आरव ने पूछा, “तुम कौन हो? यहां क्या कर रही हो?” कामिनी ने जवाब दिया कि वह यहीं रहती है और अब आरव भी उसके साथ रहेगा। आरव को लगा कि वह शायद किसी लोकल थिएटर की कलाकार है, अभिनय कर रही है।

कामिनी ने आरव के संदेह को दूर करते हुए कहा, “मैं अभिनय नहीं करती, नरक दिखाती हूं।” आरव ने हैरानी से “मतलब?” पूछा। कामिनी ने कहा कि वह जानती है कि आरव अपनी प्रेमिका से संतुष्ट नहीं है और वह उसे प्यार का असली मतलब सिखाएगी। उसने आरव को अपनी आँखों में देखने को कहा। एक पल के लिए आरव को उसकी आँखों में सुर्ख आग दिखी, और उसका बदन ठंडा पड़ गया। फिर भी, उसका मन कामिनी की ओर खींचा चला गया। उसकी आँखों में कोई जादू या शायद कोई श्राप था।

कामिनी आरव को ऊपर के कमरे में ले गई। नीचे टेंट में, अनुष्का सो चुकी थी, लेकिन अचानक उसकी आँख खुली। उसे किसी औरत की हंसी सुनाई दी, जो कोई साधारण हंसी नहीं थी। यह वही भयानक हंसी थी जिसे वह बचपन के बुरे सपनों में सुनती आई थी। अनुष्का ने नील को जगाया और घबराहट में कहा, “नील, मुझे यकीन है यह वही काम पिशाचिनी है!” नील ने इसे सपना समझा, लेकिन तभी ऊपर से आरव की चीख सुनाई दी, “बचाओ… मुझे बचाओ!”

नीचे टेंट में अनुष्का और नील के पैरों तले जमीन खिसक गई। अनुष्का ने पछतावे से कहा, “मैंने उसे कहा था, रात में अंदर मत जाना, पर वह नहीं माना।” नील ने पूछा कि अब क्या करें, क्या ऊपर चलें। अनुष्का ने दृढ़ता से कहा, “नहीं, मुझे खुद जाना होगा क्योंकि मैं उसे बहुत पहले से जानती हूं।” ऊपर हवेली के अंदर, आरव एक बिस्तर पर पड़ा था। उसकी आँखें लाल थीं। कामिनी उसके सामने खड़ी थी, अब वह काम पिशाचिनी के अपने भयानक रूप में थी।

कामिनी का चेहरा अब मासूम नहीं, बल्कि भयानक था, उसकी गर्दन टेढ़ी थी, आँखें अंधेरे में जल रही थीं, और बाल हवा में लहरा रहे थे। उसने आरव से कहा, “जानते हो आरव, मर्द जब किसी औरत को सिर्फ उसके शरीर से देखता है, तो वह खुद को शिकार बना लेता है।” आरव ने कांपते हुए पूछा, “तो… तू कौन है?” कामिनी ने बताया कि वह वह औरत है जिसे हवस की आग में जला दिया गया था। वह काम पिशाचिनी थी, और आरव उसका सौवां शिकार था।

कामिनी की आँखें धीरे-धीरे काली से लाल होने लगीं। पीछे बने आइने में, आरव ने देखा कि उसके शरीर से धुंध जैसी परछाइयां एक-एक करके निकल रही थीं, मानो उसकी आत्मा खींची जा रही हो। तभी अनुष्का ने कमरे में प्रवेश किया, उसके पीछे भागते हुए नील भी आ गया। नील ने कहा, “हम इसे नहीं रोक सकते, वह पिशाचिनी है, इंसान नहीं।” लेकिन अनुष्का ने जवाब दिया, “उसे मैं ही रोक सकती हूं।”

नील कुछ और कहता, उससे पहले ही अनुष्का से लाल रोशनी फूटी। नील ने घबराकर पूछा, “तू… तू कौन है?” अनुष्का ने खुलासा किया, “मैं भी एक काम पिशाचिनी हूं। बरसों पहले, आरव ने अनजाने में मेरा आवाहन किया था, जब वह सिर्फ पंद्रह साल का था। तब से मैं उसकी प्रेमिका बनकर उसके साथ हूं।” आरव यह सुनकर स्तब्ध रह गया। अनुष्का ने आगे कहा, “आरव के साथ रहते-रहते, मैं भी खुद को इंसान समझने लगी थी, लेकिन आज मुझे अपना असली रूप सामने लाना होगा।”

अनुष्का ने दृढ़ता से कहा कि उसे अपने आरव को दूसरी काम पिशाचिनी से बचाना होगा। उधर, कमरे में कामिनी आरव को मारने की तैयारी कर चुकी थी। उसने आरव से उसकी आखिरी ख्वाहिश पूछी और कहा कि उसके बाद वह उसके दोस्त नील को भी मौत के घाट उतारेगी। आरव ने बचाने की गुहार लगाई, “नहीं, ऐसा मत करो! मैं तो तुम्हारे साथ कुछ भी करना नहीं चाहता था, बस सम्मोहित हो गया था।” कामिनी ने उसकी आँखों में हवस देखकर उसे झूठा बताया।

तभी अनुष्का काले धागे से बंधा लोहे का त्रिशूल लेकर कमरे में घुस गई। आरव और नील ने उसे हैरानी से देखा। कामिनी ने अनुष्का को चिढ़ाया, “तू क्या करेगी? आधी औरत, आधी शैतान।” अनुष्का ने पलटवार किया, “मैं क्या हूं, उससे फर्क नहीं पड़ता। मैं आरव से प्यार करती हूं और उसे बचाकर रहूंगी।” तांत्रिक युद्ध शुरू हुआ। कामिनी हवा में उड़ने लगी, उसके चीत्कार से खिड़कियां फटने लगीं। अनुष्का ने मंत्रों का जाप करते हुए त्रिशूल से उस पर वार किया। कामिनी के शरीर से कई छायाएं निकलीं और चीखकर जलने लगीं।

जैसे ही अनुष्का ने कामिनी को मारा, वह जमीन पर गिर गई और बुदबुदाई, “मैंने सिर्फ उन्हीं को मारा जिन्होंने औरतों के जिस्म से खेला। तेरा आरव भी ऐसा ही है, और तू काम पिशाचिनी होकर एक इंसान का साथ दे रही है। पछताएगी… पछताएगी तू।” ये कहते-कहते कामिनी राख में बदल गई और हवेली शांत हो गई। आरव ने राहत की सांस लेते हुए पूछा, “सब खत्म हो गया, है ना?” अनुष्का ने जवाब दिया, “हाँ, अब सब ठीक है। चलो यहां से।”

वे शहर वापस आ गए। तीन दिन बाद एक शाम, नील ने आरव से कुछ कहा जिससे आरव के मन में शक पैदा हो गया। नील ने आरव को याद दिलाया कि अनुष्का इंसान नहीं है, बल्कि वही काम पिशाचिनी है जिसे आरव ने पंद्रह साल की उम्र में अनजाने में बुलाया था। नील ने सवाल उठाया, “वह शायद तुमसे प्यार भी करती हो, पर है तो वह काम पिशाचिनी ही ना। क्या भरोसा?” आरव के होश उड़ गए, और अनुष्का का चेहरा उसके लिए एक पहेली बन चुका था।

उसी रात, आरव एक बाबा से मिला, जिन्होंने उसे अनुष्का को बांधने का एक उपाय बताया। बाबा ने कहा, “उसे विवाह का प्रस्ताव दो। जब वह मंडप में तुम्हारे पास बैठे और अग्नि के चारों ओर फेरे लेने को तैयार हो, तभी मैं एक पंडित के रूप में उसे बंद करने वाले मंत्रों का जाप शुरू कर दूँगा।” बाबा ने आरव को चेतावनी दी कि जैसे ही अनुष्का को धोखे का एहसास होगा, वह भयानक रूप ले लेगी, और आरव को हिम्मत रखनी होगी।

अगले दिन, आरव ने अनुष्का से शादी का प्रस्ताव रखा। अनुष्का पहले चौंकी, फिर मुस्कुराई और तुरंत हाँ कह दी। उसी रात, एक मंदिर में मंडप सजाया गया। बाबा एक पंडित के रूप में बैठे थे और नील पास ही खड़ा था। शादी शुरू हो गई, फूल बरस रहे थे और मंत्र गूंज रहे थे। अनुष्का ने अग्नि के चारों ओर पहला फेरा लिया। आरव ने मन ही मन अनुष्का से माफी मांगी।

तभी, बाबा ने “ओम कालरात्रि स्वाहा। ओम महाविनाशिनी स्वाहा। ओम काम पिशाचिनी बंधनाय नमः।” जैसे बंधन मंत्रों का जाप शुरू कर दिया। अनुष्का ने चौंककर पूछा, “ये… ये क्या मंत्र है? तुम पंडित नहीं हो। ये शादी नहीं, ये… ये चाल है।” नील ने आरव से उसे पकड़ने को कहा। अगले ही पल, अनुष्का की आँखों से खून टपकने लगा, उसका चेहरा विकृत हो गया, बाल बिखर गए और अगले ही क्षण, उसने चीखकर कहा, “धोखा… आरव तुमने भी?”

आरव ने नील को अनुष्का को पकड़ने के लिए कहा, लेकिन अनुष्का ने एक जोरदार झटका मारा और नील हवा में उड़कर सीधा अग्निकुंड में जा गिरा। नील की भयानक चीखों के बीच उसका शरीर जलने लगा और अग्नि से काले धुएं की लपटें उठने लगीं। बाबा ने “ओम छिनस्ता चतुर्भुजा कपाल दंड धारणी स्वाहा।” मंत्र का जाप जारी रखा। अनुष्का ने बाबा को धमकी दी, “मैं तुझे चीर दूँगी। तुझे नर्क से भी गहरी पीड़ा होगी।” आरव ने उसे रोकने की विनती की।

अनुष्का ने आरव से कहा, “मैं तुम्हें नहीं मार सकती, आरव क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूं। पर ये बाबा…” उसके आँसू पहली बार इंसानों जैसे हुए, पर उसका शरीर अब भी दहक रहा था। आखिर बाबा ने उसे मंत्रों से बांध लिया। अनुष्का ने अपने अंतिम शब्द कहे, “एक काम पिशाचिनी प्यार कर सकती है। वफादार हो सकती है। लेकिन इंसान… इंसान कभी वफादार नहीं होता। मैंने गलती कर दी आरव, एक इंसान से प्यार करके।” फिर धरती दहक उठी। अनुष्का की देह एक पल में राख में बदल गई।

हवा में उसकी चीखें गूंजी और फिर सब शांत हो गया। आरव की आँखों से आँसू बह रहे थे, पछतावे से भरे हुए। वह जानता था कि उसने एक राक्षसी को नहीं, बल्कि एक प्रेमिका को खो दिया था, जिसने उसके लिए अपनी ही जाति की दूसरी पिशाचिनी से लड़ाई लड़ी थी। इस त्रासदी ने आरव के जीवन में एक गहरा, कभी न भरने वाला घाव छोड़ दिया था, एक ऐसी कहानी जो उसके साथ हमेशा एक भयानक सच्चाई बनकर रहेगी।

परछाई का साया

अमित को हमेशा से पुरानी, वीरान जगहों में एक अजीबोगरीब आकर्षण महसूस होता था। जब उसे अपने परदादा की दूरदराज ...

हवेली का शाप

एक ठंडी, बरसाती रात थी जब विक्रम सुनसान सड़क पर अपनी गाड़ी चला रहा था। शहर से दूर, एक पुराने ...

प्रेतवाधित गुड़िया का रहस्य

अंजलि ने शहर की हलचल से दूर, एक शांत गाँव में स्थित पुराना पुश्तैनी घर खरीदा। उसे लगा था कि ...

वीरान हवेली का रहस्य

रोहन अपने दोस्तों के साथ गांव के किनारे बनी वीरान हवेली के सामने खड़ा था। यह हवेली कई सालों से ...

लालची सास का श्राप

ममता देवी का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने राहुल से कहा, "इस अभागन के पेट में फिर से लड़की ...

प्रेतवाधित कलाकृति का अभिशाप

पुराने शहर के एक सुनसान कोने में, एक पेंटर रहता था जिसका नाम था रमेश। उसकी कला में एक अजीबोगरीब ...

भूतिया गुफा का खौफ

मोहन नगर राज्य में राजा विक्रम सिंह का राज था, जहाँ समृद्धि पर एक प्राचीन अभिशाप का साया मंडरा रहा ...

ब्रह्मदैत्य का ब्रह्मास्त्र

आईने के सामने खड़ी मोइला अपने सीने पर उभरे त्रिशूल के निशान को भय से निहार रही थी। तभी एकाएक, ...

वीरान गाँव का रहस्य

राजन एक अकेले यात्री था जो पहाड़ों में एक नया रास्ता खोजने निकला था। सूरज ढलने लगा और घना कोहरा ...

काल भैरवी का क्रोध

कालीबाड़ी गाँव में हर तीन साल पर काल भैरवी की एक विशेष आरती होती थी। यह एक प्राचीन परंपरा थी, ...

प्रेतवाधित हवेली का निर्माण

माया ने शहर की भागदौड़ से दूर, एक छोटे, शांत गाँव में एक पुराना मकान किराए पर लिया। मकान थोड़ा ...

अंधेरे की आहट

माया ने शहर की भागदौड़ से दूर, एक छोटे, शांत गाँव में एक पुराना मकान किराए पर लिया। मकान थोड़ा ...