इन्तकाम – भाग – 3 | नरपिशाच का श्राप

अवन्तिका और शिखर बहुत देर रात तक जागते रहे। सुबह माली के दरवाज़े की घंटी बजाने से शिखर चौंककर उठा। बाहर निकलकर उसने माली से पूछा –
‘‘क्या बात है माली काका?’’ नरपिशाच का श्राप

माली ने बताया – ‘‘साहब, पौधों को पानी देते हुए मैंने देखा कि आपकी कार का आगे का हिस्सा टूटा हुआ है और उस पर खून लगा है। क्या कोई एक्सीडेंट हुआ था?’’ daravani kahaniya

शिखर घबरा गया लेकिन खुद को संभालते हुए बोला –
‘‘शायद जंगल में किसी जानवर से टक्कर हो गई होगी। मैं मैकेनिक को बुला लूंगा।’’

माली का चेहरा पीला पड़ गया। उसने गंभीर स्वर में कहा –
‘‘साहब, वो जंगल नरपिशाचों का इलाका है। ये खून उन्हें घर तक खींच लाएगा।’’

शिखर ने उसे डांटते हुए कहा – ‘‘ये सब बकवास है, अपना काम करो।’’

लेकिन तभी अवन्तिका भी बाहर आ गई और माली से पूरी बात पूछी। माली ने एक रहस्यमयी कहानी सुनानी शुरू की…

नरपिशाच की कहानी और डरावनी भविष्यवाणी

माली ने बताया –
यह इलाका पहले एक आदिवासी कबीले का था। कबीले के सरदार मंगलसिंह ने अपने बेटे के बजाय एक नौजवान, सुन्दर को उत्तराधिकारी बना दिया। इससे नाराज़ होकर बेटे ने दोनों की हत्या कर दी। बाद में कबीले वालों ने उसे पत्थरों से मार डाला।

इसके बाद हर शनिवार एक व्यक्ति की रहस्यमयी मौत होने लगी। मृतकों के शरीर पर दांतों के निशान होते थे और खून की एक बूंद भी नहीं होती थी। माना जाता है कि सरदार का बेटा नरपिशाच बन गया।

कई वर्षों तक यह सिलसिला चला। सरकार ने रास्ता पक्का करवाया और गार्ड तैनात किए, तब जाकर मौतें रुकीं। मगर कुछ समय बाद फिर से घटनाएं शुरू हो गईं।

माली ने चेतावनी दी –
‘‘आपकी गाड़ी से जो खून बहा है, वो नरपिशाच की सेना को आकर्षित करेगा। अगर आपकी कार से किसी को चोट लगी है, तो वे आपको ढूंढते हुए घर तक आयेंगे।’’ bhutiya kahaniyan

अवन्तिका ने घबराकर पूछा – ‘‘अब क्या करें?’’

माली बोला –
‘‘इस गाड़ी को या तो बेच दीजिए या जला दीजिए। और गलती से भी उस जंगल की तरफ मत जाइए।’’

शिखर ने माली की बातों को नजरअंदाज कर दिया, लेकिन माली जाते-जाते कह गया –
‘‘मेमसाहब, मेरी बातों को हल्के में मत लीजिए, नहीं तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा।’’

शेष आगे…

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