इन्तकाम – भाग – 2 | बदला एक रक्तरंजित आत्मा का

Ghost Story in Hindi : कुछ ही देर में घंटी बजी। शिखर ने गेट खोला तो देखा सामने रौनक खड़ा था। रौनक अंदर आया। शिखर ने जल्दी से गेट बंद करके शिखर से सवाल किया। इन्तकाम

शिखर ने पूछा – ‘‘तू वहां से आया रास्ते में कुछ देखा।’’

रौनक बोला – ‘‘नहीं भैया रास्ते में तो कुछ नहीं था।’’

यह सुनकर शिखर को और ज्यादा घबराहट होने लगी। वह उसे अपने बेडरूम में ले गया जहां अवन्तिक बैठी रो रही थी। भाभी को रोता देख कर रौनक ने कहा – ‘‘क्या हुआ भैया आप दोंनो लड़ाई हुई है क्या? भाभी क्यों रो रहीं हैं?’’

शिखर ने झुझलाते हुए कहा – ‘‘क्या बकवास कर रहा है? मैं जो पूछ रहा हूं उसका जबाब दे जंगल में रोड पर तुझे कोई घायल आदमी मिला था क्या?’’

अब रौनक के सब्र का बांध टूट रहा था – ‘‘भैया साफ साफ बताओ बात क्या है? भाभी क्यों रोये जा रही हैं।’’

शिखर उसे सारी बात बता देता है। यह सुनकर रौनक सिर पकड़ कर बैठ जाता है – ‘‘हे भगवान् ये क्या कर दिया आपने? लेकिन उस रास्ते पर तो कोई नहीं मिला।’’ rahasyamayi kahani

शिखर ने अवन्तिक की ओर देखते हुए कहा – ‘‘तुम रो क्यों रही हों? हो सकता है कोई उसे उठा कर अस्पताल ले गया हो।’’

रौनक भी शिखर की बात का समर्थन करता है और अवन्तिका को दोंनो चुप कराने की कोशिश करते हैं।

तीनों सोने चले जाते हैं। शिखर और अवन्तिका अपने बेड रूम में लेटे थे। नींद किसी को नहीं आ रही थी। उधर रौनक भी जाग रहा था।

जंगल में घायल पड़े उस आदमी के साथ क्या हुआ यह सब जानना चाहते थे।

रात के गहरे सन्नाटे में वह करीब चालीस साल का आदमी। जो कि आखिरी बस छूट जाने के कारण ही पैदल अपने गांव की ओर जा रहा था। वह जल्दी जल्दी कदम बढ़ा रहा था। उसे पता था। इस जंगल में रात को बारह बजे के बाद शैतानी ताकतों का कब्जा हो जाता है।

इसलिये वह जल्दी जल्दी कदम बढ़ा रहा था। तभी उसे पीछे से एक कार आती दिखाई दी। उसने सोचा उससे लिफ्ट मांग लेता हूं। वह मुड़ कर हाथ दे रहा था। लेकिन जिस कार से वह सहारे की उम्मीद कर रहा था। उसी ने उसे कुचल दिया। कार में बैठे दो लोगों ने अपनी बातों के चक्कर में उसे अनदेखा कर दिया।
पूरा शरीर खून से लथपथ था। वह हाथ जोड़ कर उसे ले जाने की प्रार्थना कर रहा था। गले से आवाज नहीं निकल रही थी। लेकिन फिर भी बुरी तरह चिल्ला रहा था।

एक मिनट के लिये गाड़ी रुकी। गाड़ी को रुकता देख वह आदमी किसी तरह घसिटते हुए गाड़ी की तरफ बढ़ने लगा। लेकिन यह क्या? दूसरे ही मिनट में गाड़ी चल दी और तेजी से दूर निकल गई। एक आखिरी उम्मीद थी वह भी टूट गई।

वह घायल अवस्था में अंधेरे में चिल्ला रहा था – ‘‘हे भगवान कोई तो मेरी मदद करो। किसी को तो भेज दो मेरी जान बचाने के लिये।’’

लेकिन इस अधेरे सुनसान जंगल में उसकी आवज दब कर रह गई। वह आदमी किसी तरह अपने आप को घसीटता हुआ किनारे एक पेड़ के सहारे बैठ जाता है। कहीं और कोई गाड़ी उसे न कुचल दे इस डर से वह सड़क से हट जाना चाहता है।

वह आदमी बुरी तरह से कराह रहा था। उसके शरीर से खून निकल रहा था। लेकिन गुम चोट भी लगी थी। जिसका दर्द धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था।

तभी पेड़ के पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। उस आदमी ने पलट कर देखा तो एक काला गहरा साया खड़ा था। उसे देख कर आदमी में कुछ हिम्मत आई – ‘‘भैया मुझे बचा लो मुझे अस्पताल पहुंचा दो नहीं तो मैं मर जाउंगा।’’

तभी दूसरी ओर से आवाज आई – ‘‘चिंता मत कर हम इस दर्द से तुझे छुटकारा दिलाने आये हैं।’’

आदमी ने झट से पलट कर देखा तो दूसरी और एक और साया खड़ा था। वह अदमी कहने लगा – ‘‘भगवान आपका भला करे मुझे बहुत दर्द हो रहा है जल्दी से ले चलो मैं जिन्दगी भर आपका अहसान मानूंगा।’’

तभी पहले वाले ने कहा – ‘‘जीकर क्या करेगा? ये इंसान तुझे फिर से मारेंगे। हमारे साथ चल फिर कभी मरने से डर नहीं लगेगा।’’

वह आदमी बुरी तरह डर जाता है। उसे समझ आ जाता है कि यह कोई साधारण आदमी नहीं है। वह कहता है – ‘‘तुम कौन हो? मुझसे क्या चाहते हो?’’

यह सुनकर दोंनो हसने लगते हैं। उनमें से एक कहता है – ‘‘हम नरपिशाच हैं। हम सिर्फ खून पीते हैं। जिसका हम खून पीते हैं वो हमारे जैसा बन जाता है।’’

यह सुनकर वह आदमी रोने लगता है। माफी मांगने लगता है। तभी दूसरा आदमी बोलता है – ‘‘तुझे उनसे बदला नहीं लेना जिन्होंने तुझे मारा है। हम तेरा खून पीकर तुझे नरपिशाच बना देंगे। फिर तू अपना बदला ले सकेगा इस दर्द से मुक्त हो जायेगा।’’ bhoot ki kahani

वह आदमी बात कर ही रहा था। डर के मारे वह थर थर कांप रहा था। तभी पहले वाले नरपिशाच ने उसके कंधे के पास अपने दांत गढ़ा दिये। कुछ ही देर में दोंनो ने मिलकर उस अदमी को पकड़ कर उसका पूरा रक्त पी लिया। बिना रक्त के कुछ ही मिनट में वह मर गया।

दोंनो नरपिशाच ठहाका लगा कर हसने लगे। एक ने उसके शव को नीचे खाई में फेंक दिया।

तभी सामने वही आदमी खड़ा दिखाई दिया। उसकी आंखों से भयंकर आग निकलती लग रही थी। आंखें लाल सुर्ख।

पहले वाले नरपिशाच ने कहा – ‘‘अब तुझे इंतकाम लेना है। जितने लोगों का खून पियेगा। उतनी ही तेरी शक्ति बढ़ती जायेगी। लेकिन जिसने तुझे मारा है।

उसका रक्त पीने से तेरी शक्ति चार गुना हो जायेगी।

तीनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर जंगल में गुम हो गये।

शेष आगे …

एक डरावनी रसोई में "लाचुंग की आत्मा" कहानी के अनुसार दिखाया गया दृश्य, जहाँ एक महिला बुरी आत्मा के वश में है, उसका चेहरा विकृत और आँखें उलटी हुई हैं। सामने खड़ा पिता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है, जबकि बच्चा डर के मारे चीख रहा है और माँ स्तब्ध खड़ी है। बैकग्राउंड में पुराने ज़माने की रसोई और धुंधली रोशनी डर का माहौल बना रही है।

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