इन्तकाम – भाग – 1 | अधूरी मदद और डरावनी सजा

Hindi Horror Story Life : यह कहानी शुरू होती है एक हसते खेलते परिवार के साथ। लेकिन इसका ऐसा दुःखद अंत होगा। यह किसी ने सोचा नहीं था।
शिखर और अवन्तिका दोंनो की शादी को दो साल हुए थे। आज शिखर के छोटे भाई रौनक की शादी पक्की हो गई थी। अमृता और रौनक दोंनो एक दूसरे से प्यार करते थे। कुछ ही दिनों में दोंनो की शादी होने वाली थी। इन्तकाम

रौनक और शिखर के माता पिता बचपन में ही चल बसे थे। शिखर ने छोटी उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। उसका एक ही सपना था अपने साथ साथ रौनक को भी पढ़ा लिखा कर काबिल बनाना।

शिखर का सपना आज पूरा हुआ था। रौनक एक बहुत बड़ी कंपनी में मैंनेजिंग डायरेक्टर बन गया था। आज अमृता जिसे वह बहुत चाहता था। वह भी उसकी जिन्दगी में आने वाली थी।

शिखर, अवन्तिक और रौनक तीनों अमृता के घर बैठे थे। शादी की बात कर रहे थे। सारी बातें तय हो जाने के बाद तीनों उठ कर खड़े हो गये।

शिखर ने अमृता के पापा से कहा – ‘‘अंकल आप शादी की तारीख निकलवा लीजिये और हां हम शादी बहुत ही सिंपल करना चाहते हैं, तो ज्यादा परेशान मत होना। शादी का सारा इंतजाम मैं देख लूँगा।’’ aatma ki kahani

अमृता के पापा जगवीर जी ने कहा – ‘‘बेटा तुमसे बात करके तो मेरा मन ही हल्का हो गया। तुम चिन्ता मत करो मैं सब कर लूंगा।’’

शिखर ने अवन्तिका की ओर इशारा किया दोंनो विदा लेकर चल दिये। बाहर आकर रौनक ने कहा – ‘‘भैया आप भाभी को लेकर चलो मैं थोड़ी देर में आता हूं।’’

यह सुनकर शिखर ने उसे घूरते हुए कहा – ‘‘तुझे पता है न रात कितनी हो गई है। सुनसान रास्ता है जंगल भी पड़ता है। चल हमारे साथ।’’

अवन्तिका ने कहा – ‘‘ओफ्फो आप भी ओल्ड फैशन हो। इसे थोड़ा सा टाईम दीजिये अमृता के साथ बिताने के लिये इन दोंनो की जिन्दगी का आज बहुत बड़ा दिन है।’’

यह सुनकर शिखर हसने लगा। रौनक को वहीं छोड़ कर दोंनो वापस चल दिये।

शिखर जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहता था। रास्ते का कुछ हिस्सा जंगल से होकर गुजरता था। जहां स्ट्रीट लाईट भी नहीं थी।

शिखर बहुत संभल कर गाड़ी चला रहा था। शिखर ने अवन्तिका से कहा – ‘‘जानती हो अवन्तिका मुझे अपनी शादी की जितनी खुशी नहीं हुई थी उससे ज्यादा आज हो रही है। आज ऐसा लग रहा है जैसे मेरा सपना पूरा हो रहा है। मैंने रौनक को अपने बेटे की तरह पाला है। उसकी शादी से बढ़ कर खुशी मेरे लिये कुछ नहीं हो सकती।’’

अवन्तिका बोली – ‘‘हां मैं समझ सकती हूं। मेरे पापा ने जब मेरी शादी पक्की की थी तो वो भी कितना खुश थी। आज तुम वही खुशी महसूस कर रहे हो।’’

तभी गाड़ी को तेज झटका लगा जैसे गाड़ी किसी चीज से टकराई हो। शिखर और अवन्तिका घबरा गये। शिखर ने फटाफट ब्रेक लगाये। अवन्तिका की चीख निकल गई। शिखर ने कहा – ‘‘पता नहीं शायद कोई जंगली जानवर होगा। मैंने बातों के चक्कर में ध्यान से देखा नहीं। मैं उतर कर देखता हूं।’’

अवन्तिका बहुत डर गई थी। उसने कहा – ‘‘नहीं तुम नीचे मत उतरो चलो यहां से फटाफट।’’

शिखर भी घबरा गया था, लेकिन फिर भी उसने कहा – ‘‘उतर कर तो देखना पड़ेगा कहीं कुछ गाड़ी के नीचे न फसा हो। गाड़ी को कितना नुकसान हुआ ये भी देखना पड़ेगा।’’

वह अवन्तिका से बात कर ही रहा था। तभी अवन्तिका सामने शीशे में देख कर चीख पड़ी। उसे देख कर शिखर ने पीछे मुड़ कर देखा एक आदमी खून से लथपथ सड़क पर खड़ा था और अपने आपको घसीटता हुआ उनकी ओर आने की कोशिश कर रहा था।

वह बुरी तरह जख्मी था। शिखर और अवन्तिका बुरी तरह घबरा गये। शिखर उतर कर उसके पास जाना चाह रहा था। लेकिन अवन्तिका ने चिल्लाते हुए कहा – ‘‘भागो यहां से तुमने एक आदमी को उड़ा दिया है। पुलिस केस हो जायेगा।’’

घबराहट में शिखर ने गाड़ी भगा दी फिर उसने सामने शीशे में देखा वो आदमी गिर पड़ा था और हाथ जोड़ कर मदद के लिये पुकार रहा था। शिखर घबराहट में गाड़ी भगाता हुआ बहुत दूर निकल गया।

अवन्तिका अब भी रो रही थी। शिखर ने कहा – ‘‘हमें शायद उसकी मदद करनी चाहिये थी। उसे अस्पताल ले जाना चाहिये था। वह मर जायेगा।’’

अवन्तिका ने कहा – ‘‘तुमने देखा नहीं उसके उपर गाड़ी चढ़ गई थी। वो बचेगा नहीं अस्पताल ले जाते तो तुम फस जाते।’’

अवन्तिका की हां में हां मिला कर शिखर ने गाड़ी की स्पीड तेज कर दी। कुछ ही देर में वे दोंनो शहर में पहुंच गये। वहां पहुंच कर दोंनो ने राहत की सांस ली।

अवन्तिका ने पानी की बोतल निकाल कर पानी पिया और बोतल शिखर की ओर बढ़ा दी।

शिखर ने मना कर दिया। कुछ ही देर में घर आ गया। शिखर ने गाड़ी पार्क की और उतर कर देखा। गाड़ी पर सामने से डेंट पड़ गया था। एक ओर की फ्रंट लाईट भी टूट गई थी। bhutiya kahani

अवन्तिका जल्दी से गाड़ी से उतरी और शिखर को लेकर अन्दर आकर सोफे पर बैठ गई।

शिखर को बहुत पछतावा हो रहा था – ‘‘हे भगवान आज ही यह सब होना था। पता नहीं बेचारा बचेगा या नहीं।’’

अवन्तिका बोली – ‘‘शिखर अब इस बात को भूल जाओ उसे बचाने के  चक्कर में तुम्हें पुलिस पकड़ लेती और हम सब का क्या होता।’’

शिखर ने अवन्तिका की बात में सहमति जताई लेकिन उसका मन अन्दर से उसे कचोट रहा था। बार बार वही दृश्य दिख रहा था। खून में लथपथ आदमी उठ कर किसी तरह उनकी ओर आ रहा था। फिर वह गिर पड़ा और जमीन पर पड़े पड़े हाथ जोड़ रहा था।

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