इफरित का श्राप

तीन दोस्त, राहुल, दिनेश और अमन, गर्मी की छुट्टियों में क्रिकेट खेलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। राहुल और दिनेश, अमन के घर के दरवाज़े पर खड़े होकर उसे खेलने के लिए बुला रहे थे। “अमन, जल्दी चल यार, तू हमेशा देर करता है!” राहुल ने आवाज़ दी। दिनेश ने बताया कि उन्हें एक बेहतरीन जगह मिली है जहाँ कोई उन्हें परेशान नहीं करेगा और वे आराम से क्रिकेट खेल सकते हैं। यह सुनकर अमन के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई और तीनों खुशी-खुशी खेलने के लिए निकल पड़े।

रास्ते में चलते हुए दिनेश ने अपने दोस्तों से कहा कि छुट्टियों में क्रिकेट खेलना ही सबसे अच्छा काम है। राहुल गेंद को हवा में उछालते हुए चल रहा था, तभी अमन अचानक रुक गया। उसकी नज़र सामने एक सुनसान कब्रिस्तान पर पड़ी। “दिनेश, तुम हमें यहाँ क्यों लाए हो? माँ ने इस जगह पर आने से मना किया है! वह कहती हैं कि यहाँ काला जादू होता है और बुरी शक्तियाँ भटकती हैं। हमें वापस चलना चाहिए, क्रिकेट हम फिर कभी खेल लेंगे,” अमन ने डरते हुए कहा।

अमन की बात सुनकर दिनेश और राहुल भी थोड़ा सहम गए, लेकिन राहुल ने उन्हें समझाते हुए कहा, “अभी तो शाम होने में वक्त है, सिर्फ़ आधे घंटे खेलेंगे और फिर चले जाएंगे। हम कब्रिस्तान के अंदर नहीं, बल्कि उसके दूसरी तरफ खाली मैदान में खेलेंगे।” राहुल की बात सुनकर दिनेश भी मान गया और दोनों कब्रिस्तान की ओर चल पड़े। अमन अभी भी डरा हुआ था, लेकिन अपने दोस्तों को अकेला नहीं छोड़ना चाहता था, इसलिए वह भी उनके पीछे-पीछे चल दिया।

कब्रिस्तान के पीछे एक छोटा सा खाली मैदान था, जहाँ तीनों दोस्त क्रिकेट खेलने लगे। अमन को बल्लेबाज़ी मिली, राहुल गेंदबाज़ी कर रहा था और दिनेश बेचारा दूर फील्डिंग कर रहा था। अमन ने एक ज़ोरदार शॉट मारा और गेंद सीधा कब्रिस्तान के अंदर चली गई। राहुल ने नाराज़ होकर कहा, “यार, तुमने ये क्या किया? अब गेंद कौन वापस लाएगा?” दिनेश ने पलटकर जवाब दिया कि गेंद उसी को लानी चाहिए जिसने उसे अंदर फेंका। अमन ने कहा, “फ़ील्डर किस काम का है अगर वह गेंद नहीं रोक सकता?”

तीनों दोस्तों में गेंद लाने को लेकर बहस चल रही थी, तभी एक अजीब बात हुई। अचानक, गेंद अपने आप कब्रिस्तान की दीवार के पार वापस आ गई। यह देखकर तीनों हैरान रह गए। अमन ने फुसफुसाते हुए कहा, “लगता है अंदर कोई है, जो हमारी बातें सुन रहा है।” उसने तुरंत गेंद उठाई और उसे फिर से कब्रिस्तान के अंदर फेंक दिया। आश्चर्यजनक रूप से, गेंद एक बार फिर अपने आप वापस आ गई। अब उन्हें यकीन हो गया था कि कब्रिस्तान के अंदर कोई अंजान शक्ति मौजूद है।

अमन ने आवाज़ लगाई, “अंदर कौन है?” दिनेश ने भी चिल्लाकर पूछा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अमन ने फिर से गेंद अंदर फेंक दी, और फिर से गेंद अपने आप वापस आ गई। अब तीनों को पूरा यकीन हो चुका था कि कब्रिस्तान के अंदर कोई है जो उनकी गेंद वापस फेंक रहा है, लेकिन बात नहीं कर रहा। राहुल ने हिम्मत करके ज़ोर से पूछा, “क्या आप हमारे साथ क्रिकेट खेलेंगे?” लेकिन इस बार भी उसकी आवाज़ का कोई उत्तर नहीं मिला।

तीनों दोस्त अब बेचैन हो उठे थे। उनसे और इंतज़ार नहीं हुआ, तो उन्होंने कब्रिस्तान की ऊँची दीवार पर चढ़कर अंदर झाँका। अमन ने चिल्लाकर कहा, “अरे! कहाँ चले गए? कोई है क्या? गेंद कौन फेंक रहा था? सामने आओ!” उसकी आवाज़ सन्नाटे में गूँज उठी। वे सब चुपचाप दीवार पर बैठकर कब्रिस्तान की खामोशी को महसूस करने लगे। उनकी नज़रें कब्रों से होते हुए एक पुराने पेड़ पर जा टिकीं। वहाँ, उन्हीं की उम्र का एक बच्चा पेड़ की डाल से उल्टा लटक रहा था।

अमन ने आश्चर्य से पूछा, “तो तुम थे जो हमारी गेंद फेंक रहे थे?” बच्चे ने शांत आवाज़ में जवाब दिया, “हाँ, मैंने ही गेंद वापस फेंकी थी।” अमन ने पूछा कि उन्होंने इतनी देर तक क्यों नहीं जवाब दिया। बच्चा बोला, “क्योंकि अगर मैं जवाब देता, तो तुम मुझे बाहर खेलने के लिए बुलाते। मेरे अब्बू ने मुझे इस कब्रिस्तान से बाहर जाने से मना किया है। वे कहते हैं कि असली शांति यहीं मिलती है। बाहर बहुत शोर-शराबा है, और अंत में सबको यहीं आना होता है, तो फिर बाहर क्यों जाना?”

अमन ने बच्चे से कहा, “अरे, तुम चिंता क्यों करते हो? अगर तुम बाहर नहीं आ सकते तो कोई बात नहीं, हम अंदर आ जाते हैं!” यह कहकर तीनों दोस्तों ने कब्रिस्तान के अंदर छलांग लगा दी। अब उनकी नज़रें एक खाली मैदान ढूँढ रही थीं जहाँ वे खेल सकें। कब्रिस्तान में मौजूद उस बच्चे ने यह देखकर कहा, “क्या हुआ? खेलने की जगह ढूँढ रहे हो? आओ मेरे पीछे, मैं तुम्हें एक अच्छी जगह दिखाता हूँ।” इतना कहकर वह बच्चा दिनेश, अमन और राहुल को अपने साथ कब्रिस्तान के दूसरे कोने पर एक मैदान की ओर ले चला।

खेलने की जगह अच्छी तो थी, लेकिन वह कब्रिस्तान के बिल्कुल दूसरे छोर पर थी। तीनों ने मुश्किल से कुछ देर ही क्रिकेट खेला होगा कि सूरज ढलने लगा और शाम गहराने लगी। दोस्तों ने एक-दूसरे से फुसफुसाते हुए कहा, “हमें अब घर चलना चाहिए, वरना माँ बहुत गुस्सा करेंगी।” दिनेश ने उस बच्चे से कहा, “अच्छा, हम चलते हैं। हम कल फिर तुम्हारे साथ खेलने आएँगे।” दिनेश के इतना कहते ही राहुल और अमन उसके पीछे चल दिए। लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदलने वाले थे।

तीनों दोस्त अभी कुछ ही कदम चले होंगे कि वे अचानक हवा में ऊपर उठने लगे। “अमन, ये हमें क्या हो रहा है? हमें हवा में किसने उठाया?” दिनेश ने घबराकर पूछा। अमन भी अनजान था कि ये सब कौन कर रहा है। बच्चों की जान हलक में अटकी हुई थी, तभी राहुल ने चीखते हुए कहा, “दिनेश और अमन, वो देखो! वो बच्चा ही ये सब कर रहा है!” राहुल के इशारे पर अमन और दिनेश ने देखा कि उस बच्चे की आँखें बंद थीं, और वह कुछ मंत्र बुदबुदाते हुए एक विशाल, भयानक राक्षस में बदल रहा था।

इस भयावह दृश्य को देखकर सभी बच्चे हवा में ही छटपटाने लगे। उन्हें अपनी मौत साफ़ नज़र आ रही थी। कुछ देर पहले जो बच्चा उनके साथ क्रिकेट खेल रहा था, वह अब एक भयानक इफ़्रित का रूप ले चुका था। अमन ने डरते हुए पूछा, “कौन हो तुम और हमसे क्या चाहते हो?” राहुल रोते हुए गिड़गिड़ाने लगा, “देखो, तुम्हें जो चाहिए, मैं पापा से दिलवा दूंगा। प्लीज़, हमें छोड़ दो!” लेकिन उस क्रूर राक्षस ने तीनों बच्चों की एक न सुनी।

राक्षस ने गरजते हुए कहा, “मैं इफ़्रित हूँ, इफ़्रित! और तुम तीनों मेरे शिकार हो। अब तुम्हें मुझसे कोई नहीं बचा सकता।” इतना कहकर वह इफ़्रित तेज़ी से दिनेश के पास उड़ा। उसने दिनेश की गर्दन पकड़ी और उसके शरीर से सारा खून चूसने लगा। दिनेश को अपनी आँखों के सामने तड़पता देख राहुल और अमन की रूह कांप उठी। इफ़्रित की इस क्रूरता ने उनके डर को इतना बढ़ा दिया था कि उनका खून सूख गया। दिनेश का बेजान शरीर अब भी हवा में ही झूल रहा था।

दिनेश को मौत के घाट उतारने के बाद, इफ़्रित का अगला निशाना राहुल था। उसने राहुल को पकड़ा और उसके साथ भी वही भयावह खेल खेला। इफ़्रित ने सबसे पहले राहुल का सिर पकड़ा और उसकी दोनों आँखें फोड़ दीं। राहुल दर्द से चीखने लगा, उसकी तड़प देख अमन की आँखों से आँसू बहने लगे, जिन्हें वह चाहकर भी रोक नहीं पा रहा था। उसका कलेजा मुंह को आ रहा था।

अमन की आँखों के सामने ही इफ़्रित ने राहुल के शरीर से भी सारा खून पीकर उसे बेजान कर दिया। दिनेश के साथ क्रूरता और राहुल के साथ होती हैवानियत देखकर अमन को दिल का दौरा पड़ गया और वह वहीं दम तोड़ दिया। इफ़्रित ने अमन के बेजान शरीर को भी नहीं बख्शा। उसने उसके साथ भी वही किया जो उसने दिनेश और राहुल के साथ किया था। अब तीनों बच्चों के बेजान शरीर हवा में लहरा रहे थे, उनकी आत्माएँ शांति की तलाश में भटक रही थीं।

तीनों बच्चों का खून पीकर इफ़्रित और भी ज़्यादा शक्तिशाली हो चुका था। उसने कुछ मंत्र पढ़े और ज़मीन पर तीन नई कब्रें बन गईं। अगले ही पल, तीनों बच्चों के निर्जीव शरीर उन कब्रों में हमेशा के लिए दफ़न हो गए। फिर इफ़्रित वापस उसी पेड़ पर जाकर उल्टा लटक गया और धीरे-धीरे अदृश्य हो गया। बच्चों के गायब होने की खबर पूरे इलाके में आग की तरह फैल गई। मामला सीबीआई तक पहुँच गया, लेकिन कोई भी बच्चों को ढूँढ नहीं पाया। दरअसल, इफ़्रित का ज़िक्र कुरान में भी किया गया है।

इफ़्रित बेहद शक्तिशाली और चालाक होते हैं। वे हमारी ही दुनिया में हमारे बीच छिपे रहते हैं। उनका एकमात्र मकसद अपनी प्रजाति को बढ़ाना और ऐसे और भी इफ़्रित पैदा करना है, जो एक दिन इंसानों को अपना गुलाम बनाकर मानवता पर राज कर सकें। कई पुरानी किताबों में लिखा है कि इफ़्रित को काले जादू से मारा जा सकता है, और ऐसे कई उदाहरण भी मौजूद हैं। लेकिन आज की दुनिया में ये विद्याएँ विलुप्त हो रही हैं, या फिर इफ़्रित के नाम पर बहुत से भ्रम फैलाए जा रहे हैं। सच तो यह है कि जिसने भी असली इफ़्रित को देखा है, वह किसी को बताने के लिए ज़िंदा नहीं बचा।

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