नंदिनी और रोहन आसाम में घूमने गए थे, जहाँ एक श्रापित घर के कारण उनकी गर्भवती नंदिनी का बच्चा शैतान बन चुका था। नवजात शिशु की भयावह हरकतों को देख रोहन चीख उठा, “माँ, ये क्या है? कुछ ही मिनट पहले जन्मा बच्चा ऐसे कैसे कर सकता है? ये तो बैठा हुआ है, क्या कोई बच्चा इतनी जल्दी बैठ सकता है?” रोहन की माँ का चेहरा भय से पीला पड़ गया था। उन्होंने काँपते हुए कहा, “क्योंकि ये कोई साधारण बच्चा नहीं, ये एक शैतान है। मैंने तुम्हें कितनी बार मना किया था, पर तुमने मेरी एक न सुनी। नंदिनी, मैंने तुमसे कहा था कि उस तांत्रिक के पास चलते हैं, लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी। अब तुम्हारे सामने इसका नतीजा है।” उनकी आवाज में पछतावा और गहरा डर था।
रोहन ने बेबसी से पूछा, “माँ, अब हम क्या करें?” वे दोनों अभी बात ही कर रहे थे कि शैतान शिशु तेजी से नंदिनी की ओर बढ़ा। वह उसके बहते हुए खून को चाटने लगा और फिर उसके पैरों को बेरहमी से चबाने लगा। नंदिनी दर्द से चीख उठी। रोहन का गुस्सा उबल पड़ा। “उसे छोड़ दे! मैं तुझे ही खत्म कर देता हूँ, ताकि यह सारी समस्या जड़ से मिट जाए।” यह कहकर रोहन ने उस खौफनाक बच्चे को उठाकर जमीन पर पटक दिया, लेकिन वह शिशु हवा में ही तैरने लगा। उसकी आँखें चमक उठीं और एक डरावनी आवाज़ गूँजी, “मुझे कोई नहीं मार सकता! मुझे मिटाना इतना आसान नहीं। मैं सदियों से किसी माँ की कोख में दोबारा जन्म लेने की तलाश में था, पर हर बार कोई बाधा आ जाती थी। इस बार कोई रुकावट नहीं आई। अब मुझे कोई नहीं रोक सकता।” वह रोहन के चारों ओर मंडराने लगा।
अचानक एक रहस्यमयी तांत्रिक वहाँ प्रकट हुआ। उसने तुरंत उस शैतान शिशु के चारों ओर एक काले धागे को बड़ी फुर्ती से लपेट दिया। बंधन में फँसा हुआ महसूस कर वह शिशु उस धागे को तोड़ने के लिए जी-जान से जोर लगाने लगा, पर असफल रहा। तांत्रिक ने दृढ़ता से कहा, “तू चाहे जितनी शक्ति लगा ले, मेरी शक्ति के आगे तू हमेशा कमजोर रहेगा। मेरे बंधनों से तुझे कभी मुक्ति नहीं मिलेगी।” शैतान क्रोधित होकर गरजा, “क्या कहा… मेरे बंधनों से मुक्ति नहीं मिलेगी? यह तो मेरे लिए बच्चों का खेल है! तूने बार-बार मेरे जन्म लेने के प्रयासों को विफल किया, मुझे मार डाला। हर बार मैं तुझसे दो कदम पीछे रहा, पर अब नहीं। अब तक मुझे शरीर नहीं मिला था, पर अब मुझे अपना शरीर मिल चुका है! मुझे कोई नहीं हरा सकता!” इतना कहते ही उस बच्चे ने धागे को तोड़ दिया और पलक झपकते ही अदृश्य हो गया।
तांत्रिक हक्का-बक्का रह गया, “नामुमकिन… उसने यह बंधन कैसे तोड़ दिया? वह कहाँ चला गया? अब उसे ढूँढ़ना बेहद कठिन होगा।” रोहन ने घबराकर पूछा, “बाबा, यह सब क्या है और आप कौन हैं? आप यहाँ अचानक कैसे आ गए?” तांत्रिक ने शांत भाव से उत्तर दिया, “तुम लोग मुझे नहीं जानते, लेकिन मैं पिछले सात महीनों से तुम पर नज़र रखे हुए था। हालाँकि, तुम्हारी अनुमति के बिना तुम्हारे होने वाले बच्चे को नुकसान पहुँचाना मेरे गुरु की शिक्षा के विरुद्ध था। जब मुझे उस लड़के ने सारी बात बताई, तब तक तुम लोग आसाम से निकल चुके थे। मुझे उस रात होटल में हुई घटना का पता चला, तब से मैं उस शैतान को रोकने की कोशिश कर रहा हूँ। पर हर बार नाकामयाब रहा। आज भी मुझे असफलता ही हाथ लगी है।”
नंदिनी ने भयभीत होकर पूछा, “लेकिन ये कौन-सी बला है और इसका मकसद क्या है?” तांत्रिक ने गहरी साँस लेते हुए समझाया, “इसे तुम एक शक्तिशाली तांत्रिक कह लो या एक दुष्ट शैतान। यह एक भटकती हुई आत्मा है। मेरे गुरुजी और इसने एक साथ ही तांत्रिक शिक्षा ग्रहण की थी, लेकिन इसका उद्देश्य इस दुनिया पर राज करना था। यह अपनी शक्तियों से लोगों को अपना गुलाम बनाता था। पर बुराई हमेशा अच्छाई से हार जाती है। ठीक ऐसा ही इसके साथ हुआ। इसके हर छल का तोड़ मेरे गुरुजी के पास था। तब इसने अपने शरीर को कहीं छिपा दिया और केवल आत्मा के रूप में लोगों को परेशान करता रहा। गुरुजी ने इसकी आत्मा को उसी के घर में कैद कर दिया और उसे बिना शरीर के रहने का श्राप दिया। वह आत्मा 70 सालों से उस घर के तहखाने में कैद थी, एक नए शरीर का इंतज़ार कर रही थी। अब उसका इंतज़ार खत्म हुआ, तुम्हारे पौते के रूप में उस आत्मा को एक नया शरीर मिल गया है।”
रोहन की माँ ने दहशत से पूछा, “तो अब क्या होगा? क्या मेरा पोता एक प्रेत बन चुका है?” तांत्रिक ने गंभीर स्वर में कहा, “वह साधारण भूत-प्रेत नहीं, बल्कि स्वयं कई भूत-प्रेतों का जनक है। अब जब उसे शरीर मिल चुका है, वह और भी अधिक शक्तिशाली हो गया है। उसे अब कोई खत्म नहीं कर सकता।” रोहन ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “प्लीज़ आप ऐसा मत कहिए, कोई तो उपाय होगा!” तांत्रिक ने उत्तर दिया, “उपाय… वह तभी संभव है जब उसका मूल शरीर मिल जाए। हम बरसों से उसके शरीर की तलाश कर रहे हैं, पर वह आज तक हमें नहीं मिला।” माँ ने एक उम्मीद की किरण देखी, “उस शैतान को नया शरीर मिल गया है। हो सकता है वह अपने पुराने शरीर के पास ज़रूर जाए। हमें उसका पीछा करना चाहिए।” रोहन ने शंका से पूछा, “उसका पीछा…? पर हम उसका पीछा कैसे करेंगे? वह तो यहाँ से गायब हो चुका है ना?” तांत्रिक ने सहमति में सिर हिलाया, “तुम्हारी माताजी ने शायद सही कहा है। मैं अपनी शक्तियों से उसका पता लगाने की कोशिश करता हूँ।” इतना कहकर तांत्रिक ने अपनी आँखें बंद कर लीं और उस शैतान तक पहुँचने का प्रयास करने लगा।
अपनी शक्तियों के बल पर तांत्रिक ने शीघ्र ही उस शैतान बच्चे को उसी पुराने घर के भीतर पाया, जहाँ उसकी आत्मा को कैद किया गया था। बच्चे की शक्ल अब और भी भयानक हो चुकी थी। शैतान ने क्रूरता से कहा, “तांत्रिक, तू क्या सोच रहा है… कि मेरे पुराने शरीर के पास पहुँच कर मुझे नष्ट कर देगा? मुझे नया शरीर मिल चुका है, अब मुझे अपने पुराने शरीर की कोई आवश्यकता नहीं है। मुझे अपना राज कायम करने से कोई नहीं रोक सकता, कोई भी नहीं, समझा?” उसकी बात सुनकर तांत्रिक के चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान आ गई, जिसे देख रोहन गुस्से में बोला, “हम इतनी बड़ी मुसीबत में हैं और आपके चेहरे पर ये हँसी क्यों?” तांत्रिक ने समझाया, “यह हँसी नहीं, बल्कि मेरा विश्वास है कि मैं अब भी उसे हरा सकता हूँ। हमें तुरंत आसाम चलना होगा। वह अपनी जन्मभूमि में वापस लौट चुका है।” तांत्रिक के निर्देश पर रोहन और उसकी माँ, दोनों उसके साथ आसाम के लिए निकल पड़े।
रास्ते में रोहन ने अपनी माँ से कहा, “माँ, आपका वहाँ जाना ठीक नहीं होगा, आप होटल में ही हमारा इंतज़ार कीजिए।” पर माँ ने दृढ़ता से जवाब दिया, “नहीं, मैं भी तुम लोगों के साथ चलूँगी, जो होगा देखा जाएगा। मुझे अपने पोते को वापस लाना है।” आखिरकार, वे सब उस प्राचीन घर के बाहर खड़े थे, जो बरसों से बंद पड़े किसी भयानक खंडहर जैसा दिख रहा था। जैसे ही उन्होंने घर में प्रवेश किया, मानो एक भूचाल आ गया हो। पूरा घर हिलने लगा, घर की सारी वस्तुएँ ज़मीन पर गिरने लगीं, और खिड़की-दरवाजे अपने आप बंद हो रहे थे। बाहर जानवर चीखने-चिल्लाने लगे। भीतर का माहौल बेहद ठंडा था, गर्मी के मौसम में भी वे लोग उस घर के अंदर काँप रहे थे। तांत्रिक ने शांति बनाए रखने की सलाह दी, “यह सब उसका छलावा है। अगर हम डर गए, तो वह हम पर हावी हो जाएगा। तुम दोनों बस एक-दूसरे का हाथ पकड़कर साथ रहना, बाकी सब मैं सँभाल लूँगा।”
तांत्रिक ने अपने झोले में हाथ डाला और उसमें से चार-पाँच नींबू निकाले। वह हर नींबू पर कुछ मंत्र बुदबुदाते हुए लौंग लगाता जा रहा था। जैसे ही सभी नींबूओं में लौंग लग गई, उसने उन्हें ज़मीन पर छोड़ दिया। देखते ही देखते, नींबूओं का रंग हरे से बदलकर गहरा लाल हो गया और वे एक निश्चित दिशा की ओर तेजी से बढ़ने लगे। तांत्रिक ने निर्देश दिया, “उस तरफ चलो, हमें वहीं पर कुछ मिल सकता है।” नींबू एक कमरे के भीतर जाकर रुक गए। जब वे लोग उस कमरे में घुसे, तो वहाँ एक अजीब सी धुंध छाई हुई थी। उस धुंध में साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था। कुछ पलों में धुंध छटी और वह शैतान बच्चा उनके सामने प्रकट हुआ। उसका चेहरा तो बच्चे जैसा था, लेकिन उसका शरीर अस्वाभाविक रूप से विशाल हो चुका था।
शैतान ने अट्टहास करते हुए कहा, “तुम्हें क्या लगा, तुम लोग यहाँ अपनी मर्जी से आए हो? नहीं, तुम यहाँ मेरी मर्जी से आए हो! पर अब तुम यहाँ से वापस नहीं जा सकते। तुम लोगों को अब यहीं कैद रहना होगा।” इतना कहते ही उस विशालकाय बच्चे ने अपने हाथ हवा में उठाए, और पल भर में रोहन और उसकी माँ दोनों हवा में लटक गए। उनके शरीर अदृश्य जंजीरों से बंधे थे। लेकिन तांत्रिक अभी भी ज़मीन पर स्वतंत्र खड़ा था। यह देखकर शैतान हैरान रह गया। उसने दोबारा अपनी शक्ति का प्रयोग किया, पर तांत्रिक अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ। तांत्रिक ने शांति से कहा, “बुराई कितनी भी कोशिश कर ले, हमेशा अच्छाई से हार जाती है। शैतान की सत्ता से ऊपर ईश्वर की सत्ता है। ईश्वर हमें यहाँ तक लेकर आए हैं, तो रास्ता भी वही दिखाएँगे।”
यह कहकर तांत्रिक अपने गुरु को याद करने लगा। एक तेज रोशनी चमकी और उसके गुरुजी उसे अदृश्य रूप में दिखाई दिए। उन्होंने दीवार की ओर देखा और इशारा किया। वहाँ एक चलचित्र की तरह सब स्पष्ट दिख रहा था: शैतान का पुराना शरीर उसी घर के बगीचे में दफन था। देखते ही देखते उसके शरीर में आग लग गई।
तांत्रिक अपने गुरु का इशारा तुरंत समझ गया। ईश्वर का ध्यान करते हुए वह तत्काल बगीचे में पहुँचा और उस शैतान के पुराने शरीर को ज़मीन से बाहर निकाला। शैतान ने उसे रोकने की हरसंभव कोशिश की, पर किसी अदृश्य दैवीय शक्ति के आगे वह पूरी तरह लाचार हो गया। तांत्रिक ने बिना देरी किए उस शरीर को आग के हवाले कर दिया। जैसे-जैसे शैतान का पुराना शरीर जलता जा रहा था, ठीक उसी तरह उसका नया, शिशु रूपी शरीर भी जलने लगा। रोहन और उसकी माँ अपने जिगर के टुकड़े को इस तरह जलते हुए देखकर व्याकुल हो उठे। रोहन की माँ ने चीखते हुए पूछा, “बाबा, आपने ये क्या किया? ये तो मेरा पोता था!”
मगर कुछ ही पलों बाद, जलती हुई आग के बीच उन्हें एक छोटा, सामान्य बच्चा दिखाई देने लगा। तांत्रिक ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने कहा था ना, ईश्वर की शक्ति के आगे शैतान की शक्ति हमेशा कमजोर होती है। शायद ईश्वर ने अब तक इसे इसीलिए बचाए रखा, ताकि वह आपके पोते को एक माध्यम बना सके। जो कार्य जब जैसे होना होता है, तब वैसे ही होता है। अब आपका पोता पूरी तरह से इंसान बन चुका है।” इतना कहते ही वह तांत्रिक रहस्यमय ढंग से वहाँ से गायब हो गया। रोहन और उसकी माँ हैरान थे कि वह कहाँ चला गया। दूसरी ओर, बच्चा अब सामान्य रूप से रो रहा था।
रोहन की माँ ने तुरंत अपने पोते को गोद में उठाया और वे गाँव की ओर लौट आए। जब उन्होंने गाँव वालों को पूरी कहानी बताई, तो सभी हक्के-बक्के रह गए। दरअसल, जिस तांत्रिक ने उनकी मदद की थी, वह तो 20 साल पहले ही उस बुरी आत्मा का शिकार बनकर मर चुका था। रोहन की माँ ने नम आँखों से कहा, “शायद हमें उस शैतान से बचाने के लिए ही वह किसी भली आत्मा के रूप में हमारी मदद करने आए थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।” अब गाँव वाले भी खुश थे, क्योंकि उन्हें उस शैतान से कोई डर नहीं था। यह भयानक कहानी यहीं समाप्त होती है।