आज मैंने अपने पिता को इतना चिंतित और परेशान पहले कभी नहीं देखा था। उन्होंने गहरी साँस ली और बोले, ‘‘बेटा, अब हमें सच में कुछ बड़ा और ठोस कदम उठाना होगा। उस चुड़ैल से हमारे परिवार को बचाने के लिए जल्द कोई उपाय खोजना पड़ेगा, इससे पहले कि वह हमें कोई और नुकसान पहुँचाए।’’
भाग 1: चुड़ैल का कहर और बचने की जद्दोजहद
मैंने सहमति में सिर हिलाया। कुछ ही देर में हम कमलजी के घर पहुँचे। पिताजी ने उन्हें सारी स्थिति विस्तार से बताई।
कमलजी ने सब सुनकर कुछ देर सोचा और फिर कहा, ‘‘क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हरिया बस अपने मन की बातें कर रहा हो? शायद उसे वाकई कुछ पता न हो।’’
इस पर पिताजी ने दृढ़ता से कहा, ‘‘नहीं कमल, ऐसा नहीं है। मुझे पूरा यकीन है कि वह चुड़ैल हरिया का इस्तेमाल करके हम तक अपना संदेश भेज रही है। वह बेहद शातिर है। चलो, एक बार उस तांत्रिक से मिलते हैं। शायद उसका काला धागा ही है जिसकी वजह से वह अभी तक हम पर सीधा हमला नहीं कर पाई है।’’
अगले दिन, हम पिताजी और कमलजी के साथ उस तांत्रिक के पास पहुँचे। हमारी पूरी बात सुनने के बाद तांत्रिक ने गंभीर होकर कहा, ‘‘मुझे भी कुछ तो अजीब लग रहा था कि वह इतनी आसानी से कैसे मुक्त हो गई? शायद जब मैं आँखें बंद करके मंत्र जाप कर रहा था, वह उसी क्षण निकल गई थी।’’
तांत्रिक की यह बात सुनते ही हम तीनों बुरी तरह डर गए। हमें तुरंत समझ आ गया कि यह तांत्रिक हमारी कोई मदद नहीं कर पाएगा। इसलिए, बिना कुछ और कहे, हम चुपचाप वहाँ से बाहर आ गए।