चुडैल का बदला (chudail ka badla)- चुड़ैल कहानी हिंदी में:

एक बहुत ही ख़ूबसूरत गाँव था| जिसका नाम था बीरनगर| यहाँ सभी लोग बहुत ख़ुशी ख़ुशी से रहा करते थे| गाँव में सभी कुछ अच्छा चल रहा था, और इसी बीच अमेरिका से एक फ़ैमिली अपने पुश्तैनी घर में रहने आती है, उस परिवार में पति पत्नी और उनका छोटा सा बेटा थे, जो अपने हवेली में रहने आए थे| चुडैल का बदला

सभी के आते ही गाँव वालों में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी, क्योंकि यह फ़ैमिली कोई और नहीं बल्कि इसी गाँव में रहने वाले एक पुराने ज़मींदार की थी, और गाँव वाले उनकी बहुत इज़्ज़त करते थे| सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक एक दिन इस परिवार के बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ने लगती है| सभी को लगता है, मौसम का परिवर्तन हुआ होगा| लेकिन बात तो कुछ और ही थी|धीरे धीरे लड़के का चेहरा नीला पढ़ने लगा|

आनन फ़ानन में परिवार ने डॉक्टर को बुलाया, और डॉक्टर को भी कुछ समझ नहीं आया तो, उसने पास में ही बने एक हॉस्पिटल में उन्हें स्वास्थ्य परिक्षण के लिए आमंत्रित किया ताकि बच्चे की बीमारी का पता लगाया जा सके| परिवार ने डॉक्टर की सलाह अनुसार हॉस्पिटल जाना ज़रूरी समझा। सारे परिक्षण होने के बाद भी कुछ नहीं हासिल हुआ। Bhoot Ki Kahani

जैसे ही सारा परिवार गाँव पहुँचा, तो गाँव के कुछ बुजुर्गों ने बच्चे की हालत देखकर उन्हें ओझा के पास जाने को कहा। आज भी गांवों में पुराने रीति रिवाज़ के अनुसार झाड़ फूँक करके इलाज करने की प्रथा क़ायम है। परिवार सभी सदस्य बच्चे के लिए ओझा के पास भी जाने को तैयार हो गए । गाँव के पास ही पहाड़ी में एक बाबा रहते थे। जो की काली विद्या में भी माहिर थे।

जैसे ही उनके आश्रम की सीढ़ियों में वह बच्चा अपने परिवार के साथ पहुँचा तो, ओझा ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगे| “तू क्यों आयी है, इतने बरसों के बाद भी तेरा बदला शांत नहीं हुआ”, यह सब सुनकर बच्चे के माता पिता और गाँव वाले दहशत में आ गए। उन्हें समझ नहीं आया कि बाबा को इतना क्रोध क्यों आ रहा है, जबकि उन्हें अभी तक कोई बात बतायी नहीं गई। लेकिन बाबा तो काली माया में पारंगत थे। इस वजह से उन्हें रूहानी ताक़तों को पहचानना आता था।

सभी लोगों ने आश्रम में प्रवेश किया, लेकिन बाबा ने केबल उस बच्चे को पास आने को कहा। बच्चे की हालत बहुत ही ख़राब थी। उसकी आंखें लाल हो चुकी थी,उसका शरीर नीला दिखाई पड़ रहा था, और उसके शरीर का तापमान आम बुखार से कहीं ज़्यादा था। chudail ka badla

ओझा ने विभूति उठाकर के बच्चे के मुँह पर फेंका। बच्चा ज़मीन पर लेट गया, और ज़ोर ज़ोर से हाथ पैर हिलाने लगा, किसी को कुछ नहीं समझा रहा था, कि बाबा कि विभूति से क्या चमत्कार हुआ कि बच्चा अपने आप ज़मीन पर लेटकर ऐसी हरकतें करने लगा। तभी अचानक बच्चा अपने पैर की उंगलियों के बल खड़ा हो जाता है, और बहुत ही खूंखार औरत की आवाज़ में ओझा को उसके पुराने नाम से बुलाया “अरे वो प्रेमनाथ मैं तुझे नष्ट कर दूंगी”, लड़के का ऐसा स्वर सुनकर उसके माँ बाप घबरा गए, लड़के को इस अवस्था में देखकर उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि ऐसा क्यों हो रहा है।

तभी ओझा ने एक मंत्र पढ़कर बच्चे को अपने क़ाबू में किया। सारे गाँव वाले ओझा से पूछने लग। बाबा ये सब क्या ह। यह बच्चा ऐसा क्यों कर रहा ह। तभी ओझा ने बताया कि, इसके अंदर कोई चुड़ैल आ चुकी है, जो कि आज 70 साल पहले चोरी के आरोप में ज़िंदा जला दी गई थी।

उसे ऐसी सजा देने वाले कोई और नहीं बल्कि इसी बच्चे के दादा जी थे, और वह चुड़ैल अपना बदला लेने इसलिए आयी है, क्योंकि वह गर्भवती अवस्था में ज़िंदा जली थी। और उसके कोख में पल रहा मासूम बच्चा भी जल गया, इसी वजह से वह उस वंश बच्चे को भी दर्दनाक मौत देना चाहती है, ताकि उसका बदला पूरा हो सक।

ये सारी कहानी जानने के बाद उसके परिवार वाले ओझा के सामने गिड़गिड़ाने लगे, और अपने बच्चे की जान की भीख माँगने लगें। तभी ओझा ने अपनी घोर तपस्वी शक्ति से मंत्रों के उच्चारण के साथ उस चुड़ैल को मासूम बच्चे से बाहर निकाल दिया और कुछ ही क्षणों में बच्चा सामान्य हालत में आने लगा। सभी को लगा की सब कुछ हमेशा के लिए ठीक हो गया, लेकिन यह तो एक शुरुआत थी।

एक डरावनी रसोई में "लाचुंग की आत्मा" कहानी के अनुसार दिखाया गया दृश्य, जहाँ एक महिला बुरी आत्मा के वश में है, उसका चेहरा विकृत और आँखें उलटी हुई हैं। सामने खड़ा पिता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है, जबकि बच्चा डर के मारे चीख रहा है और माँ स्तब्ध खड़ी है। बैकग्राउंड में पुराने ज़माने की रसोई और धुंधली रोशनी डर का माहौल बना रही है।

लाचुंग की आत्मा

रचित, उसकी पत्नी राशि और आठ साल का बेटा तुषार, ग्रेटर नोएडा की भागदौड़ से थक चुके थे। उन्हें सुकून ...
छम-छम की आहट — एक सुनसान हवेली के गलियारे में गूंजती रहस्यमयी पायल की आवाज़, धुंध और परछाइयों से घिरी डरावनी रात को दर्शाता चित्र।

छम-छम की आहट: रायपुर गांव की चुड़ैल की दहशत

रायपुर गांव की रातें अब पहले जैसी नहीं रहीं। हर रविवार या अमावस्या की रात, जैसे ही अंधेरा गहराता, गांव ...
दीया-कोठरी की रहस्यमयी रात में एक युवती डरावनी छाया के साथ खड़ी है, टिमटिमाते दीयों की रोशनी में साया धीरे-धीरे पास आता हुआ

दीया-कोठरी: एक रात छाया के साथ

जब मैं कोलकाता में छोटा था, मेरे माता-पिता का एक कठोर नियम था—हर रविवार की रात मुझे “दीया-कोठरी” में ही ...
जलती कार और जंगल की परछाइयाँ

इन्तकाम भाग – 4 | जलती कार और जंगल की परछाइयाँ

अवन्तिका यह सुनकर अंदर आकर सोफे पर बैठ गई। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। शिखर भी उसके पीछे ...
आत्मा की पुकार

आत्मा की पुकार | Short Horror Story in Hindi

अमावस्या की वो रात जब बिल्कुल अंधेरा था। हाथ को हाथ नहीं दिखाई पड़ता था। ऐसी अंधेरी रात में निशांत ...
पुनर्जन्म

पुनर्जन्म | Hindi Horror Story

एक अंधेरी गुफा में एक तांत्रिक आत्मा को वश में करने की कोशिश में लगा था। सामने अग्निकुण्ड में आहूति ...
मेरा क्या कसूर

मेरा क्या कसूर? | Horror Story in Hindi

Horror Story in Hindi : मनीष अपनी पत्नि सीमा से बहुत प्यार करता था। सीमा भी मनीष के बिना रह ...
रिया का नया घर

रिया का नया घर बन गया एक भयानक कहानी

रिया हमेशा से ही आत्मनिर्भर थी और उसकी उम्र 28 साल थी। दिल्ली में अपनी ड्रीम जॉब मिलने के बाद, ...
भारत की सबसे डरावनी भूतिया कहानी

भारत की सबसे डरावनी भूतिया कहानी

आपने बहोत सारि real horror stories पढ़ी होंगी, लेकिन आज मई जो स्टोरी आपको बताने जा रही हूँ वो भारत ...
नरपिशाच का श्राप

इन्तकाम – भाग – 3 | नरपिशाच का श्राप

अवन्तिका और शिखर बहुत देर रात तक जागते रहे। सुबह माली के दरवाज़े की घंटी बजाने से शिखर चौंककर उठा। ...