दीया-कोठरी: एक रात छाया के साथ
जब मैं कोलकाता में छोटा था, मेरे माता-पिता का एक कठोर नियम था—हर रविवार की रात मुझे “दीया-कोठरी” में ही सोना होगा। कोई सफ़ाई नहीं, कोई बहस नहीं। बस मैं, एक जर्जर चारपाई और दीवारों पर फ़र्श से छत तक सजे सैकड़ों मिट्टी के दीये—सरसों के तेल से भरे, जिनकी लुनाई यूँ लगती थी मानो … Read more