खुशी की लुका-छिपी
ग्यारह बज चुके थे और बाहर सुबह से मूसलाधार बारिश हो रही थी। बारिश रुकने के इंतज़ार में, मैं सुबह से ही शराब पीकर डायरी लिख रहा था। आज न तो मैं काम पर गया, न ही अपने लिए खाना बनाया। बस अपनी बेटी खुशी की तस्वीर को सामने रखकर उसे याद कर रहा था … Read more