राहुल और उसके तीन दोस्त, अमित, रिया और पूजा, एक वीरान हवेली में गए। यह हवेली राहुल को विरासत में मिली थी, जो दशकों से खाली पड़ी थी। दोस्तों ने उसे भीतर से देखने की ज़िद की। हवेली के बड़े दरवाज़े खोलते ही एक अजीब सी, ठंडी हवा का झोंका आया, जैसे हवेली के पुराने राज़ उनका इंतज़ार कर रहे हों। अंदर हर जगह धूल की मोटी परत और मकड़ी के जाले थे। उन्हें एक विशाल बैठक मिली, जिसमें एक पुरानी, बड़ी पेंटिंग टंगी थी। पेंटिंग में बनी आकृति की आँखें उन्हें घूरती हुई महसूस हो रही थीं, मानो वे उन्हें देख रही हों।
शाम ढलते ही हवेली में अजीबोगरीब आवाज़ें गूँजने लगीं। कभी किसी के पैरों की आहट, तो कभी हल्की फुसफुसाहट। पेंटिंग में बनी आकृति की आँखें अचानक चमकने लगीं, और दोस्तों को लगा जैसे वो पेंटिंग साँस ले रही हो। धीरे-धीरे एक-एक करके राहुल के दोस्त गायब होने लगे। पहले अमित, फिर रिया, और अंत में पूजा। हर दोस्त के गायब होने के बाद, पेंटिंग में बनी आकृति और अधिक स्पष्ट और डरावनी लगने लगती थी। राहुल अकेला रह गया था, उस भयावह हवेली में, पेंटिंग की चमकती आँखों के सामने।
राहुल को एहसास हो गया कि पेंटिंग में कोई शैतानी आत्मा कैद है, और वही उसके दोस्तों को एक-एक करके निगल रही है। उसने हवेली से भागने की कोशिश की, पर दरवाजे अपने आप बंद हो गए। पेंटिंग की आकृति अब दीवार से बाहर निकलकर पूरी तरह से जीवंत हो चुकी थी। उसकी आँखें लाल अंगारों की तरह जल रही थीं और वह राहुल की ओर बढ़ रही थी। राहुल ने समझा कि यह हवेली नहीं, बल्कि यह पेंटिंग ही उनके पीछे पड़ी थी। उसने हिम्मत जुटाकर पास पड़ा एक पुराना, नुकीला खंजर उठाया।
जैसे ही राहुल ने खंजर उस शैतानी आकृति की ओर बढ़ाया, हवेली का फर्श ज़ोर से हिलने लगा। दीवारों में दरारें पड़ने लगीं और पेंटिंग से एक भयानक चीख निकली, जो हवेली में गूँज उठी। आकृति पीछे हटकर वापस पेंटिंग में समाने लगी, पर वह पूरी तरह से गायब नहीं हुई। राहुल ने देखा कि उसके दोस्त हवेली के एक गुप्त तहखाने में बंद थे। उनकी आत्माएँ पेंटिंग में नहीं, बल्कि उस तहखाने में कैद थीं। अब राहुल को अपने दोस्तों को बचाना था और इस हवेली के गहरे राज़ को हमेशा के लिए दफन करना था, इससे पहले कि वह आत्मा फिर से अपनी शक्ति इकट्ठा कर ले।











