माया ने शहर की भागदौड़ से दूर, एक छोटे, शांत गाँव में एक पुराना मकान किराए पर लिया। मकान थोड़ा जर्जर था, लेकिन उसकी दीवारों में एक अजीब-सी शांति छिपी थी। चारों ओर घना जंगल और सुनसान सड़कें थीं। पहले कुछ दिन तो माया को वहाँ का एकांत बहुत भाया, उसे लगा कि यहाँ वह अपने मन को शांति दे पाएगी। लेकिन, धीरे-धीरे उस शांति के पीछे छिपी हुई बेचैनी उसे महसूस होने लगी। रात होते ही गाँव एक गहरी खामोशी में डूब जाता, जो अक्सर माया को विचलित कर देती थी।
कुछ ही हफ्तों में, माया को अजीबोगरीब आवाज़ें सुनाई देने लगीं। कभी खाली गलियारों में किसी के चलने की आहट, कभी बंद दरवाजों के पीछे से फुसफुसाहट। वह पहले तो सोचती कि यह पुराने घर की ही आवाज़ें होंगी, हवा या चूहे होंगे। लेकिन, आवाज़ें इतनी स्पष्ट थीं कि उन्हें नज़रअंदाज़ करना मुश्किल था। एक रात, उसे अपने बिस्तर के पास किसी के खड़े होने का अहसास हुआ। उसने आँखें खोलीं, पर वहाँ कोई नहीं था, सिवाय ठंडी हवा के झोंके के जिसने उसके रोंगटे खड़े कर दिए।
धीरे-धीरे, आवाज़ें अब चीज़ों को हिलाने लगीं। सुबह उठने पर उसे अपनी घड़ी बिस्तर से दूर ज़मीन पर मिलती, या रसोई के बर्तन अपनी जगह से हटे हुए मिलते। माया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा था। एक दोपहर, सफाई करते हुए उसे एक पुरानी, धूल भरी डायरी मिली, जो अलमारी के सबसे निचले दराज में छिपी हुई थी। उसके पीले पन्नों पर किसी औरत की धुंधली हैंडराइटिंग थी। माया ने डरते-डरते डायरी खोली।
डायरी में लिखा था कि यह घर एक ज़माने में एक खुशहाल परिवार का था। लेकिन, एक दिन घर की मालकिन, जिसका नाम लीला था, को बेरहमी से मार दिया गया था। उसके पति ने हत्या को छिपाने की कोशिश की, लेकिन लीला की आत्मा ने घर को नहीं छोड़ा। वह अपनी मौत का बदला लेने के लिए भटक रही थी। डायरी में लीला के गुस्से और दर्द की हर पंक्ति माया के भीतर एक सिहरन पैदा कर रही थी। डायरी के अंतिम पन्ने पर लिखा था, “जो भी यहाँ आएगा, वह मेरे दर्द का साथी बनेगा।”
जैसे ही माया ने डायरी बंद की, घर की सारी लाइटें अचानक बुझ गईं। चारों ओर घना अंधेरा छा गया। ठंडी हवा के झोंके और तेज़ हो गए, और माया को लगा जैसे कोई उसके बहुत करीब खड़ा है। उसने हिम्मत करके ऊपर देखा। कमरे के कोने में, एक काली छाया धीरे-धीरे आकार ले रही थी। उसकी आँखें लाल अंगारों-सी चमक रही थीं। लीला की आत्मा अपने भयानक रूप में उसके सामने खड़ी थी, बदला लेने की प्यास उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी। माया की चीख गले में ही अटक गई, और उसके होश उड़ गए।