अधूरी रात का भयानक रहस्य

चार दोस्त, राहुल, प्रिया, समीर और रोहन, पहाड़ों की एक सड़क यात्रा पर निकले थे। सूरज ढल चुका था और चारों ओर घना अंधेरा छा गया था। अचानक, उनकी कार एक सुनसान रास्ते पर खराब हो गई। आस-पास कोई बस्ती नहीं थी, बस दूर एक पहाड़ी पर एक पुराना, खंडहर-सा दिखने वाला हवेली दिखाई दे रही थी। उस हवेली के बारे में कई डरावनी कहानियाँ मशहूर थीं।

ठंड और डर से काँपते हुए दोस्तों ने तय किया कि सुबह होने तक वे हवेली से दूर ही रहेंगे। लेकिन रोहन, जो हमेशा से बहादुर और रोमांच पसंद करता था, ने उस हवेली के अंदर जाने की चुनौती स्वीकार कर ली। राहुल और प्रिया ने उसे बहुत मना किया, पर वह नहीं माना। ‘मैं बस एक चक्कर लगाकर आता हूँ,’ उसने कहा और अपनी टॉर्च जलाकर हवेली के अँधेरे दरवाज़े की ओर बढ़ गया।

हवेली के अंदर घुसते ही रोहन को सड़ी हुई लकड़ी और नमी की अजीब सी गंध महसूस हुई। धूल और मकड़ी के जालों से भरी दीवारें, टूटे हुए फर्नीचर और खिड़कियाँ, सब कुछ डरावना लग रहा था। ऊपर की मंजिल से हल्की सी आहट सुनाई दी, जैसे कोई धीरे-धीरे चल रहा हो। अचानक, एक तेज ठंडी हवा का झोंका आया, जैसे किसी अदृश्य चीज़ ने उसे छुआ हो। रोहन के रोंगटे खड़े हो गए।

एक पुराने कमरे में रोहन को एक जला हुआ फोटो फ्रेम मिला, जिसमें एक उदास औरत की तस्वीर थी। जैसे ही उसने उसे छुआ, उसके कानों में फुसफुसाहट सुनाई दी। ‘यहाँ से जाओ…’ आवाज़ इतनी हल्की थी कि वह यकीन नहीं कर पाया कि उसने कुछ सुना भी था या यह सिर्फ़ उसका वहम था। उसे लगा जैसे कोई उसे लगातार देख रहा है। दिल की धड़कनें तेज हो गईं और उसने तुरंत बाहर निकलने का फैसला किया।

रोहन डर से काँपते हुए हवेली से बाहर भागा। जैसे ही वह दोस्तों के पास पहुँचा, राहुल और प्रिया के चेहरे का रंग उड़ गया। ‘रोहन, तुम्हारे पीछे…!’ राहुल ने थरथराते हुए कहा। रोहन ने पीछे मुड़कर देखा तो हवेली की एक टूटी हुई खिड़की में एक धुंधली सी आकृति दिखाई दी। ठीक उसी पल, उनकी खराब पड़ी कार अचानक स्टार्ट हो गई। बिना सोचे समझे, वे सब तुरंत गाड़ी में बैठे और वहाँ से जितनी तेज़ी से हो सके भाग निकले।

काफी दूर निकलने के बाद उन्होंने राहत की साँस ली। तब उन्हें एहसास हुआ कि रोहन के हाथ में वही जला हुआ फोटो फ्रेम था, जो उसे हवेली के अंदर मिला था। उस रात के बाद, उनके साथ अजीबोगरीब घटनाएँ घटने लगीं। कभी रात में दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ आती, कभी अजीबोगरीब परछाइयाँ दिखतीं। उन्हें समझ आ गया था कि उस डरावनी हवेली का अभिशाप उनके पीछे आ चुका था और उस फोटो फ्रेम ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया था।

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