अधूरी आत्मा का बदला

शहर की चहल-पहल से दूर, रोहन, उसकी पत्नी कविता, और उनके बच्चे आर्यन (7) व सिया (4) ने एक नई जिंदगी की उम्मीद में राजस्थान के एक दूरदराज गाँव में स्थित अपनी पैतृक हवेली का रुख किया। यह हवेली, रोहन के बिछड़े चाचा की थी, जो दशकों से वीरान पड़ी थी। विशाल, जर्जर दरवाजों और ऊँची दीवारों वाली यह इमारत अपने अंदर एक सदी की खामोशी समेटे हुए थी, जो उनके नए घर के रूप में थोड़ी डरावनी पर आकर्षक लग रही थी।

शुरुआती कुछ दिन शांति से गुजरे, लेकिन हवेली की गहरी खामोशी में एक अजीब सा ठहराव महसूस होता था। सूरज ढलते ही, गलियारों में अचानक एक ठंडी हवा का झोंका आता, मानो हवा में कुछ भारीपन घुल गया हो। कविता को अक्सर लगता कि कोई अदृश्य निगाह उसे देख रही है, लेकिन रोहन इसे नई जगह का वहम कहकर टाल देता था। वहीं, आर्यन, जो स्वभाव से थोड़ा शांत था, जल्द ही एक अदृश्य ‘आंटी’ से बातें करने लगा।

आर्यन के लिए उसकी ‘आंटी’ बेहद वास्तविक हो चुकी थी। वह उसे एक दुखद आँखों वाली, पुरानी साड़ी पहने महिला के रूप में बताता। छोटी सिया भी कभी-कभी एक खाली कोने की ओर देखकर खिलखिलाती या अचानक खामोश हो जाती, जैसे किसी अदृश्य साथी से मिल रही हो। रोहन और कविता इन बातों को बच्चों की कल्पना मानकर शांत रहने की कोशिश करते, पर उनके मन में बढ़ती बेचैनी अब उन्हें परेशान कर रही थी। आर्यन की बातों में उन्हें एक अजीब सी सच्चाई महसूस होने लगी थी।

हवेली की शांति धीरे-धीरे भयानक शोरगुल में बदलने लगी। रात के गहरे सन्नाटे में, ऊपरी मंजिल से कदमों की अस्पष्ट आहटें सुनाई देतीं, जैसे कोई धीमे-धीमे चल रहा हो। बंद दरवाज़े अपने आप खुलने और बंद होने लगे, और कभी-कभी रसोई से बर्तनों के गिरने की खौफनाक आवाज़ आती। कविता को लगातार डरावने सपने आते, जिनमें एक महिला दर्द भरी आवाज़ में मदद के लिए पुकारती। हवेली के कुछ हिस्सों में तापमान अचानक गिरने लगता, और एक असहनीय दुर्गंध फैल जाती थी।

जो रोहन इन सब बातों पर विश्वास नहीं करता था, उसने भी अब अपनी आँखों से अजीबोगरीब चीजें देखीं। रात के गलियारों में एक काली परछाई दिखाई देती, और जब वह अकेला होता तो उसे फुसफुसाहटें सुनाई देतीं। उसने हवेली के पुराने इतिहास के बारे में जानने की कोशिश की, पर गाँव के लोग इस विषय पर बात करने से कतराते थे। वे सिर्फ इतना कहते, ‘यह हवेली ठीक नहीं है’ या ‘यहाँ कुछ बहुत बुरा हुआ था’, जिससे रोहन की बेचैनी और बढ़ गई।

एक अमावस की रात थी, जब अचानक बिजली गुल हो गई। पूरा गाँव और हवेली घने अँधेरे में डूब गए। तभी आर्यन अपनी नींद में बड़बड़ाता हुआ, हवेली के एक बंद, पुराने हिस्से की ओर जाने लगा। कविता ने हवेली की दीवारों से दर्दनाक चीखें सुनीं, मानो कोई अंदर से अपनी मुक्ति के लिए चिल्ला रहा हो। उन्हें लगा कि एक भयानक, दुर्भावनापूर्ण शक्ति अब सीधे उनसे संपर्क कर रही थी, और उन्हें अपने कब्जे में लेने पर उतारू थी।

डरे सहमे रोहन ने अगले दिन गाँव के एक पुराने बुजुर्ग और हवेली के चौकीदार से बात की। बहुत जोर देने पर, चौकीदार ने कई साल पहले की एक दर्दनाक कहानी सुनाई। रोहन के चाचा का गाँव की एक गरीब लड़की, राधिका, से प्रेम संबंध था। राधिका गर्भवती हो गई, लेकिन चाचा ने सामाजिक बदनामी के डर से उसे हवेली के एक गुप्त कमरे में कैद कर दिया। वहीं उसने दम तोड़ दिया, और उसका अजन्मा बच्चा भी उसके साथ ही मर गया। चौकीदार ने बताया कि उसकी आत्मा अभी भी हवेली में भटक रही है, न्याय और मुक्ति की तलाश में।

जैसे ही इस खौफनाक सच्चाई का खुलासा हुआ, हवेली में मौजूद आत्मा और भी हिंसक हो गई। वह आर्यन को बार-बार उस गुप्त कमरे की ओर खींचने की कोशिश करती, जहाँ राधिका ने दम तोड़ा था। कविता को राधिका के आखिरी पलों के भयानक दृश्य दिखाई देने लगे, और उसे लगातार घुटन महसूस होती। रोहन को चाचा की एक पुरानी डायरी मिली, जिसमें राधिका की कहानी और उसके कैद होने की पुष्टि हुई। यह सब उसकी आँखों के सामने एक खूनी हकीकत की तरह खुलने लगा।

परिवार ने अंततः एक तांत्रिक की मदद लेने का फैसला किया, ताकि राधिका की अशांत आत्मा को मुक्ति मिल सके। तांत्रिक ने बड़ी मुश्किल से मदद करने को राजी हुआ, क्योंकि उसे पता था कि यह एक अत्यंत शक्तिशाली आत्मा थी। मुक्ति की रस्म शुरू हुई, लेकिन आत्मा ने पूरी ताकत से विरोध किया। हवेली में भयंकर शोरगुल मच गया, चीजें अपने आप उछलने लगीं, और हवा में एक चीख गूंज उठी जो उनके दिलों को दहला रही थी। आत्मा अपनी अंतिम लड़ाई लड़ रही थी।

कई घंटों के संघर्ष और भयानक अनुभवों के बाद, रस्म आखिरकार सफल हुई। हवेली की नकारात्मक ऊर्जा शांत हो गई, पर परिवार पूरी तरह से टूट चुका था। वे उसी रात हवेली छोड़कर चले गए, फिर कभी वापस नहीं लौटे। दीवारों में दफन वह राज अब हवा में तैर रहा था, एक दुखद आत्मा को मुक्ति मिली थी, लेकिन परिवार के मन में उस रात की भयानक यादें हमेशा के लिए कैद हो गईं। हवेली आज भी वहीं खड़ी है, अतीत की एक भयावह कहानी की मूक गवाह बनकर।

अदृश्य छाया का आतंक

राहुल और प्रिया ने शहर की हलचल से दूर एक शांत ठिकाना ढूँढ़ने की उम्मीद में एक पुरानी, भव्य हवेली ...

हवेली की प्रेत छाया

रोहन, प्रिया और उनकी नन्ही बेटी मीरा को कृष्णापुर गाँव की पुरानी हवेली विरासत में मिली। शहर की भागदौड़ भरी ...

मीना का प्रेतग्रस्त जीवन

एक सुदूर गाँव की गहरी पहाड़ियों और रहस्यमय जंगलों के बीच, मीना नामक एक युवती रहती थी। उसकी सौम्यता, धार्मिक ...

अधूरी आत्मा का बदला

शहर की चहल-पहल से दूर, रोहन, उसकी पत्नी कविता, और उनके बच्चे आर्यन (7) व सिया (4) ने एक नई ...

प्रेतवाधित हवेली का रहस्य

शर्मा परिवार, जिसमें राजेश, सुनीता और उनके दो प्यारे बच्चे मीना व रवि शामिल थे, हमेशा एक बड़े और हवादार ...

बर्फीले दानव का अभिशाप

मेरे सिर में होने वाला दर्द सिर्फ़ एक सामान्य पीड़ा नहीं है; यह एक दुष्ट आत्मा है जो मुझ पर ...

डरावनी हवेली का रहस्य

चार दोस्त - माया, रोहन, समीर और प्रिया - एक रात पहाड़ों की ओर ड्राइव कर रहे थे। आधी रात ...

अंधेरी हवेली का रहस्य

राहुल और उसके तीन दोस्त, अमित, रिया और पूजा, एक वीरान हवेली में गए। यह हवेली राहुल को विरासत में ...

प्रतिशोध की काली रात

अनुज की आँखों में प्रतिशोध की आग दहक रही थी। उसके मित्र, रवि, का क्षत-विक्षत शरीर अभी भी उसकी स्मृति ...

प्रेतात्मा का शिशु

एक छोटे शहर की बिंदिया, मातृत्व की गहरी लालसा में जी रही थी। तीन गर्भपात के बाद, उसकी कोख सूनी ...

डरावनी गुड़िया का रहस्य

रात के दो बजे थे, श्मशान घाट पर सन्नाटा पसरा था, जिसे चीरती हुई हवा भयानक शोर कर रही थी। ...

खूनी रात की चुड़ैल

चार जिगरी दोस्त, अमन, रितु, वर्षा और सौरव, अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीते थे। दफ्तर के काम से ...