आधी रात की चीख

रिया अपने पैतृक घर पहुँची। यह एकांत में था, घने पेड़ों से घिरा हुआ। गर्मियों की शाम होने के बावजूद उसकी रीढ़ में सिहरन दौड़ गई। हवा भारी थी, प्राचीन रहस्य उसमें घुले हुए थे। केयरटेकर रामू काका ने उसे चाबियाँ सौंपीं, उनके आँखों में एक अजीब, अनकही चिंता थी जब उन्होंने उसे अलविदा कहा, उसे बिल्कुल अकेला छोड़कर। सामने का दरवाज़ा एक कराह के साथ चरमराता हुआ खुला, एक धूल भरे, शांत अंदरूनी हिस्से को उजागर करते हुए।

शुरुआती कुछ रातें परेशान करने वाली थीं। खाली कमरों से धीमी फुसफुसाहटें आती हुई लगती थीं, और उसकी परिधीय दृष्टि में परछाइयाँ संदिग्ध रूप से नाचती थीं। उसने इसे कल्पना, थकान और घर की उम्र के कारण होने वाली चालें मानकर ख़ारिज कर दिया। एक शाम, बंद अटारी से एक बच्चे की हँसी गूँजी, स्पष्ट और साफ़, जिससे उसकी रीढ़ में सिहरन दौड़ गई। रामू काका ने चेतावनी दी थी कि अटारी को कभी नहीं खोलना है।

उसकी नींद अब दुःस्वप्नों का युद्धक्षेत्र बन गई थी। एक रात, दालान में लगा एक भारी प्राचीन दर्पण ज़मीन पर गिरकर सैकड़ों टुकड़ों में बिखर गया। अगली सुबह, उसने दीवार पर एक हल्का, ख़ून-लाल हाथ का निशान देखा जहाँ दर्पण लटका हुआ था। डर उसे खाने लगा था, जिसने एक बार के रोमांचक नए जीवन की शुरुआत को एक दम घोंटने वाले दुःस्वप्न में बदल दिया था। अटारी से आने वाली हँसी और तेज़ हो गई थी, कभी-कभी एक दुखद रोने में बदल जाती थी।

बेताब होकर, रिया ने रामू काका से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका फ़ोन बंद था। उसने ख़ुद को फँसा हुआ महसूस किया, घर उसे जकड़ रहा था। देर रात, अटारी का दरवाज़ा, जिसे उसने सावधानीपूर्वक जाँच कर बंद किया था, थोड़ा खुला हुआ था। एक ठंडी हवा सीढ़ियों से नीचे आई, जिसमें सड़ने की गंध थी। हिचकिचाते हुए, वह ऊपर चढ़ी, उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। अटारी अँधेरा था, लेकिन एक कोने से एक हल्की, भयानक रोशनी चमक रही थी।

अंदर, भूले हुए ट्रंकों और जालों के बीच, उसे एक पुरानी, फटी हुई डायरी मिली। उसके पन्ने एक छोटी लड़की के बारे में थे, जिसे दशकों पहले एक क्रूर सौतेली माँ ने उसी अटारी में फँसाकर भूखा रखा था। लड़की की आख़िरी प्रविष्टि आज़ादी के लिए एक हताश याचना थी, और फिर, शाश्वत प्रतिशोध का एक भयानक वादा। जैसे ही रिया ने आख़िरी पंक्तियाँ पढ़ीं, एक बच्चे की अलौकिक आकृति उसके सामने साकार हो गई, उसकी आँखें ख़ाली थीं, उसके होंठ एक ख़ामोश, भयानक चीख बना रहे थे। रिया केवल जवाब में चीख़ सकी, उसकी आवाज़ भयावह सन्नाटे में गूँज रही थी, एक ऐसी आवाज़ जो जल्द ही एक और, भयानक और शाश्वत आवाज़ के साथ जुड़ गई।

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