शापित गाँव रुद्रप्रयाग

चार दोस्तों, राहुल, प्रिया, समीर और अंजली ने अपनी छुट्टियों में कुछ रोमांचक करने का फैसला किया। उन्होंने सुना था एक दूरदराज के गाँव, रुद्रप्रयाग के बारे में, जो सदियों से शापित और वीरान पड़ा था। कहानियाँ कहती थीं कि गाँव के लोग रहस्यमय तरीके से गायब हो गए थे, और वहाँ रात में अजीबोगरीब आवाज़ें सुनाई देती थीं। अपनी बहादुरी साबित करने के लिए, उन्होंने वहाँ एक रात बिताने का निश्चय किया।

गाँव तक पहुँचने का रास्ता टूटा-फूटा और कंटीली झाड़ियों से भरा था। जैसे ही वे गाँव में दाखिल हुए, हवा में एक अजीब सी खामोशी और ठंडक महसूस हुई। घर खंडहर बन चुके थे, और धूल से ढके हुए थे। ऐसा लग रहा था मानो समय यहाँ ठहर गया हो। सूरज ढलने लगा और आसमान नारंगी से बैंगनी रंग में बदल गया, जिससे खंडहरों पर एक भयानक छाया पड़ गई। उन्होंने एक पुराने, टूटे हुए मंदिर के पास अपना डेरा डाला।

रात गहरी होने लगी और चाँद बादलों के पीछे छिप गया। अचानक, समीर ने फुसफुसाहट की आवाज़ सुनी। “क्या तुमने सुना?” उसने पूछा, लेकिन प्रिया और अंजली ने इनकार कर दिया। राहुल ने इसे हवा का शोर समझा। फिर, उनके टेंट के बाहर से किसी के चलने की धीमी आवाज़ आई, जैसे सूखे पत्तों पर कोई घिसट रहा हो। उन्होंने टॉर्च जलाई, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। डर की एक लहर उनके दिलों में दौड़ गई।

कुछ देर बाद, प्रिया ने महसूस किया कि समीर कहीं नहीं है। “समीर कहाँ गया?” उसकी आवाज़ में घबराहट थी। उन्होंने उसे बुलाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। तभी, पास के एक वीरान घर से एक दिल दहला देने वाली चीख सुनाई दी, जो समीर की आवाज़ जैसी लग रही थी। राहुल, अंजली और प्रिया एक-दूसरे को देखकर काँप उठे। उन्हें समझ आ गया था कि वे एक बड़ी मुसीबत में फंस गए थे।

तीनों ने तुरंत गाँव से भागने का फैसला किया। वे टॉर्च की रोशनी में अँधेरी गलियों से भागने लगे। हर पल उन्हें लगा जैसे कोई उनका पीछा कर रहा हो। पेड़ों की शाखाएँ डरावने हाथों जैसी लग रही थीं और हवा में एक भयानक हँसी गूँज रही थी। अंत में, वे गाँव की सीमा पर पहुँचे, लेकिन जैसे ही उन्होंने पीछे मुड़कर देखा, गाँव के केंद्र में स्थित सबसे पुराने घर की खिड़की पर एक साया खड़ा था, जिसकी आँखें अँधेरे में चमक रही थीं। वे बिना रुके, पूरी ताकत से भागे, और कभी उस शापित गाँव की ओर मुड़कर नहीं देखा।

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