सूनी हवेली का रहस्य

अमन, प्रिया, राहुल और सोनिया, चार जिगरी दोस्त, शहर से दूर एक पुरानी, परित्यक्त हवेली की ओर बढ़ रहे थे। यह हवेली दशकों से वीरान पड़ी थी, और उसके बारे में अनगिनत डरावनी कहानियाँ प्रचलित थीं। एक चुनौती थी कि उन्हें रात भर वहीं रुकना था। अँधेरा घना हो चुका था, और ठंडी हवा पेड़ों से सनसनाती हुई गुजर रही थी, जैसे कोई अदृश्य आत्मा उन्हें रोक रही हो। हवेली की विशाल लोहे की जाली, जिस पर जंग लग चुकी थी, एक भयावह चीख के साथ खुली। भीतर एक अजीब सी खामोशी पसरी हुई थी, जो उनके दिलों में डर की पहली आहट पैदा कर रही थी।

वे हिम्मत जुटाकर अंदर दाखिल हुए। धूल और जालों से ढके कमरे, टूटे हुए फर्नीचर और दीवारों पर बनी धुंधली तस्वीरें एक अजीब सा माहौल बना रही थीं। अचानक, दूर किसी कोने से एक धीमी आहट सुनाई दी, जैसे कोई कराह रहा हो। प्रिया ने राहुल का हाथ कसकर पकड़ लिया। “शायद यह सिर्फ हवा है,” राहुल ने खुद को समझाने की कोशिश की, लेकिन उसकी आवाज में कंपकंपी साफ थी। कुछ ही पल बाद, एक पुराना झूमर, जो छत से लटका हुआ था, धीरे-धीरे बिना किसी कारण के हिलने लगा। उनकी आँखें एक दूसरे को देख रही थीं, जिनमें अनकहा डर साफ झलक रहा था।

वे एक बड़े हॉल में पहुंचे, जहाँ बीच में एक बड़ा सा ओक की लकड़ी का मेज रखा था। अमन ने अपने फोन की रोशनी से चारों ओर देखा। अचानक, हॉल के दूसरे छोर पर एक परछाई तेजी से गुजरी। “वहाँ कौन है?” सोनिया ने फुसफुसाते हुए पूछा। अमन ने टॉर्च उस दिशा में घुमाई, लेकिन वहाँ कुछ नहीं था। तभी, एक तेज हवा का झोंका आया और पास का एक दरवाजा जोर से बंद हो गया। जब उन्होंने मुड़कर देखा, तो प्रिया गायब थी। “प्रिया कहाँ गई?” राहुल चिल्लाया। उन्होंने प्रिया को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। हवेली की खामोशी अब और भी डरावनी लग रही थी।

बाकी तीनों दहशत में आ गए। उन्होंने प्रिया को ढूंढने की कोशिश की, हर कमरे में देखा, हर कोने में आवाज लगाई, लेकिन प्रिया कहीं नहीं मिली। हर आहट उन्हें डरा रही थी, हर परछाई उन्हें किसी अज्ञात खतरे का संकेत दे रही थी। उन्हें एहसास हो गया था कि यह सिर्फ एक पुराना घर नहीं, बल्कि कुछ और है, कुछ ऐसा जो उन्हें फंसा चुका है। बाहर निकलने का रास्ता ढूँढने की कोशिश में, वे ऊपरी मंजिल की ओर भागे, जहाँ गलियारे में एक पुरानी पेंटिंग की आँखें उन्हें घूरती हुई लग रही थीं।

वे नीचे उतरने की सीढ़ियों की तलाश कर रहे थे, तभी एक बंद कमरे से प्रिया की धीमी आवाज सुनाई दी, “मुझे बचाओ…” तीनों ने उस कमरे का दरवाजा तोड़ने की कोशिश की, लेकिन वह अंदर से बंद था। अचानक आवाज बंद हो गई, और फिर एक ठंडी, भयावह हंसी की गूँज हवेली में फैल गई। वह हंसी प्रिया की नहीं थी। उनके रोंगटे खड़े हो गए। जब वे आखिरकार दरवाजा तोड़ने में सफल हुए, तो कमरा खाली था, सिवाय एक पुरानी डायरी के। उसमें लिखा था: “जो भी यहाँ आता है, वह कभी वापस नहीं जाता।” और फिर, उनके पीछे से एक ठंडी साँस ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया।

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