अमावस की रात: शापित डायन का बलिदान

“यह सब कब तक चलेगा, चुड़ैल रानी?” एक दुबली-पतली चुड़ैल ने कहा। “हम कब तक इस घिनौनी गुफा में दुबके रहेंगे, उस डायन के डर से? हमें अपनी ताकत दिखानी होगी! अगर हम चुप रहे, तो वह अपने मीठे शब्दों से पूरे गाँव को हमारे खिलाफ कर देगी, और हमारी संख्या घटते देर नहीं लगेगी।” दूसरी चुड़ैल ने हाँ में सिर हिलाया। “डायन रानी सही कहती हैं। वह अकेली डायन अपने नकली जादू से गाँव वालों का भला कर रही है, उन्हें अपने झांसे में फँसा रही है।” चुड़ैल रानी की आँखें चमक उठीं। “तो सुन लो! परसों अमावस्या की रात है। उसी रात हम इस गाँव पर हमला करेंगे और उस डायन का सदा के लिए अंत कर देंगे! हा हा हा…” उसकी भयानक हँसी गुफा में गूँज उठी।

सारी चुड़ैलें एक साथ चीख उठीं, “हाँ, हाँ! हम बदला लेंगे! हम उसे एक मटके में कैद कर देंगे! पूरे गाँव को फिर से अपना गुलाम बनाएंगे!” उनकी आँखों में खून उतर आया था। “हाँ, हाँ! हम सब मिलकर उस डायन से बदला लेंगे! बदला लेंगे!” उनकी सामूहिक गर्जना से गुफा हिल उठी। सदियों की गुलामी और अपमान का बदला लेने की ललक उनके हर अंग में समा गई थी। अमावस्या की रात उनके लिए सिर्फ एक रात नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत थी, जहाँ वे फिर से सर्वोपरि होंगी।

गाँव में एक सुबह, कांता अपने बेटे को गोद में लिए हाफते हुए डायन रानी के पास आई। उसके बेटे का शरीर साँप के काटने से नीला पड़ चुका था, और मुँह से झाग निकल रहा था। “डायन रानी! मेरे बेटे को बचा लो! मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ!” कांता की आँखों में आँसू थे। डायन रानी ने उसे दिलासा दिया, “अरे कांता! परेशान क्यों होती है? मैं हूँ ना! तेरे बेटे को कुछ नहीं होने दूंगी।” कांता ने अपने बेटे को उसकी गोद में लिटा दिया। डायन रानी ने अपनी आँखें बंद करके कुछ मंत्र बुदबुदाए और उसके सिर पर हाथ फेरा। कुछ ही पल में, लड़का होश में आ गया। कांता खुशी से रो पड़ी।

तभी हरिया, गाँव का कसाई, डायन रानी के सामने झुककर बोला, “आप यहाँ कैसे, डायन रानी? किसी को भेज देतीं, मैं बकरे खुद ही भिजवा देता। आपने इतनी तकलीफ क्यों उठाई?” डायन रानी मुस्कुराई, एक ऐसी मुस्कान जिसमें सदियों का रहस्य छिपा था। “हरिया, मैं इतने सालों से तुम्हारी दुकान पर आ रही हूँ, और तुम हर बार यही कहते हो! जब तुम इंसान अपनी सब्जियाँ लेने खुद बाज़ार जाते हो, तो मैं अपना खाना लेने खुद बाज़ार क्यों नहीं आ सकती?” हरिया उसकी बात सुनकर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा। गाँव वाले उसे अपनी समस्याओं का समाधान मानते थे, लेकिन उन्हें उसके असली रूप का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था।

अचानक, शंभू चीखता हुआ आया, “कोई मेरे घर की आग बुझा दो! मेरा नया घर जल रहा है! डायन रानी, मेरी मदद करो! अगले हफ़्ते मेरी बहन की शादी है, अगर कुछ नहीं किया तो उसका घर बसने से पहले ही उजड़ जाएगा!” डायन रानी का चेहरा फीका पड़ गया। “मैं कुछ नहीं कर सकती, शंभू। तुम्हें तो पता है, मेरा जादू आग पर काम नहीं करता।” उसकी आवाज़ में दर्द था। शंभू ने जब अपनी आखिरी उम्मीद को भी खो दिया, तो वह बेतहाशा बिलखने लगा और जलते हुए घर में घुस गया। उसकी चीखें जल्द ही आग की लपटों में दब गईं, जब वह खुद भी आग की चपेट में आ गया।

अमावस्या की रात आ गई। डायन रानी अपनी गुफा में बैठी थी। “बड़ी तेज़ भूख लग रही है। बहुत दिनों बाद इन ताज़ा बकरों का खून पीकर मैं फिर से जवान हो जाऊँगी। हा हा हा…” उसने अपने गले से हरे रंग का हार उतारा। हार के उतरते ही, उसका रूप भयानक हो गया। वह अब एक कंकाल जैसी दिखने वाली आकृति में बदल गई थी, जिस पर मांस के लोथड़े चिपके थे। उसकी आँखें गड्ढों में धँसी थीं, और उसके नाखून नुकीले खंजर जैसे थे। बकरे डर के मारे छटपटाने लगे, पर डायन रानी ने एक झटके में उन्हें पकड़ा और अपने नुकीले दाँत उनमें गड़ाकर उनका खून पी लिया।

बकरों का खून पीने के बाद, डायन रानी ने अपना हार वापस पहनना चाहा। लेकिन, वह हार वहाँ नहीं था। उसका हृदय तेज़ी से धड़कने लगा। “मेरा… मेरा हार किसने चुरा लिया? मैंने तो यहीं रखा था! वह कहाँ जा सकता है? अगर मैंने उसे नहीं पहना, तो अनर्थ हो जाएगा!” उसकी आवाज़ में घबराहट थी। उसे पता था कि उसका यह रूप गाँव वालों को डरा देगा, और वे उसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। यह हार सिर्फ उसके रूप को ही नहीं, बल्कि उसके रहस्य को भी छिपाता था।

दूसरी तरफ, चुड़ैल रानी अपनी चुड़ैलों के साथ बैठी थी, उनके हाथों में वही हरा हार था। “खुशी मनाने का यह वक्त सही नहीं है,” उसने गंभीर होकर कहा। “अभी हमने सिर्फ उस डायन का हार चुराया है, लेकिन उसे जान से मारना अभी बाकी है। यह मत समझना कि हम यह लड़ाई जीत चुके हैं।” एक चुड़ैल ने कहा, “चुड़ैल रानी बिल्कुल सही कह रही हैं। आज अमावस्या की रात है, उसकी शक्तियाँ हमसे कहीं ज़्यादा होंगी, लेकिन इस हार के बिना वह अपनी हिफ़ाज़त नहीं कर सकती।” चुड़ैल रानी ने हार को कसकर पकड़ा। “तो चलो, अब गाँव वालों को अपनी शक्तियाँ दिखाते हैं और फिर से पूरे गाँव को अपना गुलाम बनाते हैं!”

चुड़ैल रानी बाकी चुड़ैलों के साथ मिलकर पूरे गाँव को चारों तरफ से घेर लेती है। उनके मुँह से आग की लपटें निकलती हैं, जो पूरे गाँव को जलाना शुरू कर देती हैं। गाँव वाले मौत के डर से चीखते हुए इधर-उधर भागते हैं। चुड़ैलें एक-एक करके हवा में उड़ती हुई नीचे आती हैं, ज़मीन से गाँव वालों को उठाती हैं, उन्हें हवा में ले जाती हैं, उनका मांस खाती हैं, और बचे हुए शरीर को वापस नीचे ज़मीन पर फेंक देती हैं। चीखें और मातम का शोर पूरे गाँव में गूँज रहा था।

इतने में, डायन रानी वहाँ आ जाती है, उसका भयानक रूप अभी भी बरकरार है। उसकी आँखों में आग थी। “मैं कहती हूँ, इन गाँव वालों को परेशान करना बंद करो, वरना मैं तुम्हें मौत के घाट उतार दूंगी!” उसकी आवाज़ में एक अजीब सी गूँज थी, जो हवा में डर भर देती है। चुड़ैल रानी ने उपहास से हँसते हुए कहा, “अरे! मेरी मौत का छोड़, तू अपनी मौत का देख! तुम्हारा हार तो अब मेरे पास है! फिर तो तू खुद की जान की हिफ़ाज़त कर ले, मेरी बहना!”

डायन रानी का चेहरा गुस्से से भर गया। “बहन मत बोल मुझे! मैं तेरी बहन नहीं, तेरी मौत हूँ, जिससे तू अब न तो छिप सकती है और न भाग सकती है! तुझे क्या लगा था… तू मेरा हार चुरा लेगी तो मेरी शक्तियाँ कमज़ोर पड़ जाएँगी? नहीं… वह हार तो बस मेरे असली रूप को छुपाता है, मेरी शक्तियों को कमज़ोर नहीं करता। समझी, चुड़ैल रानी?” डायन रानी की बात सुनकर चुड़ैल रानी की हँसी रुक गई। वह समझ गई कि उसने एक बड़ी गलती कर दी थी।

चुड़ैल रानी अब भी अपनी बची-कुची चुड़ैलों के साथ थी, आग उगलते हुए लोगों को ज़िंदा जला रही थी। दूसरी तरफ, डायन रानी अकेली, अपने विकराल रूप में खड़ी थी, गाँव वालों की जान बचाने के लिए चुड़ैल रानी से लड़ रही थी। चुड़ैल रानी ने डायन रानी पर वार करते हुए कहा, “जो लोग अपनी मौत के डर से तेरे पीछे छिपे हैं, वही लोग तेरा असली रूप देखने के बाद तेरे से दूर भागने लगेंगे!” उसकी बातों में ज़हर था।

इतना कहकर, चुड़ैल रानी ने अपने पैरों के नीचे डायन रानी का हार कुचलकर तोड़ दिया। हार के टूटते ही, डायन रानी अपने और भी विकराल और भयानक असली रूप में आ गई। एक पल के लिए गाँव वाले सहम गए, लेकिन फिर एक भी इंसान उससे दूर नहीं भागा, बल्कि वे और हिम्मत से डायन रानी के पीछे खड़े हो गए। उन्हें पता था कि डायन रानी ही उनकी एकमात्र आशा है, चाहे उसका रूप कितना भी डरावना क्यों न हो।

डायन रानी ने एक गहरी साँस ली। “तूने हार को तोड़कर मुझे श्राप से मुक्त कर दिया।” उसकी आवाज़ में अब एक नई शक्ति थी। इतना कहकर, डायन रानी अपनी पूरी जान लगाकर अपनी शक्तियों का आह्वान करती है, जिसकी वजह से आसमान में ढेर सारी बिजलियाँ कड़कने लगती हैं। अगले ही पल, सारी बिजलियाँ एक साथ इकट्ठा होकर डायन रानी पर गिरती हैं, जिससे वह अपने सबसे विकराल रूप में आ जाती है – पहले से भी बड़ी और कहीं ज़्यादा खूँखार!

बाकी बची चुड़ैलें डरकर चिल्लाईं, “भागो! अपनी जान बचाओ, वरना डायन रानी का यह विकराल रूप हममें से किसी को ज़िंदा नहीं छोड़ेगा!” डायन रानी ने चुड़ैल रानी की ओर देखा। “तुझे इंसानों की चीखें सुनने में बड़ा मज़ा आता है ना? तो अब ये इंसान तेरी चीखें सुनेंगे!” चुड़ैल रानी गिड़गिड़ाने लगी, “मुझे माफ़ कर दो! मैं वादा करती हूँ, फिर कभी उस गुफा से बाहर नहीं निकलूंगी! तू तो मेरी छोटी बहन है ना? अपनी दीदी को माफ़ नहीं करेगी?”

डायन रानी की आँखों में कोई रहम नहीं था। “दीदी? आज जब मरने की बारी आई तो रिश्ता याद आ गया? जब मेरा हार चुराया था, मुझे मारने के लिए अपनी चुड़ैलों की सेना लेकर आई थी, तब यह रिश्ता याद नहीं आया था तुझे?” इतना कहते हुए, डायन रानी अपनी विशाल छड़ी हवा में घुमाती है, जिसमें से आग का एक गोला निकलता है और सीधे चुड़ैल रानी पर जाकर गिरता है। एक भयानक चीख के साथ, चुड़ैल रानी की मौत हो जाती है।

चुड़ैल रानी के मरते ही, डायन रानी अपने भयानक रूप से वापस लड़की के रूप में आ जाती है। “150 साल पहले मुझे श्राप मिला था। अगर मैंने अपना जादू आग के खिलाफ इस्तेमाल किया, तो उस आग में मैं भी जल जाऊँगी।” उसकी आवाज़ में दुख था। “इसलिए मैंने मरने के डर से कभी आग के खिलाफ अपना जादू इस्तेमाल नहीं किया था। शायद अब वक्त आ चुका है।” गाँव वाले सहमे हुए उसे देख रहे थे।

डायन रानी अपनी आँखें बंद करके हवा में उड़ने लगती है। उसके होंठ लगातार मंत्र का उच्चारण कर रहे थे। अचानक, वह अपनी आँखें खोलती है और घरों में लगी सारी आग सीधे उड़कर डायन रानी के पास आ जाती है और उसे जलाने लगती है। ऐसे ही करके, पूरे गाँव की आग बुझ गई थी, लेकिन एक अकेली डायन आग के बीच में जल गई। गाँव में उदासी का माहौल छा गया।

हरिया ने रोते हुए कहा, “अब कौन हमारे दुख दूर करेगा? कौन हमारे बच्चों की हिफ़ाज़त करेगा, उन्हें अच्छी बातें बताएगा… कौन?” तभी एक ज़ोरदार बिजली चमकी और हवा में हल्का सा डायन रानी का चेहरा दिखाई दिया। हरिया ने खुशी से चीखते हुए कहा, “हुर्रे! डायन हमारी रक्षा करने के लिए वापस आ गई है!” गाँव वाले उम्मीद और भय के मिले-जुले भाव से आसमान की ओर देख रहे थे, जहाँ अब सिर्फ एक धुँधली आकृति थी, जो उनकी रक्षक बन चुकी थी।

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