हैवान: श्रापित शिशु

अंधेरे कमरे में, रोहन पीड़ा से कराह रहा था जब उसकी पत्नी नंदिनी उसके लिए खाना लेकर आई। उसे देखते ही रोहन फूट-फूट कर रोने लगा। नंदिनी उसे चुप कराते हुए बोली, “मैंने तुमसे कहा था ना, वहाँ जाना खतरे से खाली नहीं है, रोहन! मगर तुमने मेरी एक न सुनी, और अब यह नतीजा तुम्हारे सामने है।” रोहन ने दुख भरी आवाज़ में कहा, “तुम बिल्कुल सही कह रही हो, मुझे वहाँ नहीं जाना चाहिए था। पर अब इस समस्या का कोई हल भी तो होगा? क्या मैं ऐसे ही रहूँगा? इससे तो मेरी मौत ही भली है! हाँ, मुझे मरना ही होगा, कोई और उपाय नहीं है।”

कहते हुए रोहन ने अपने शरीर की ओर देखा, जहाँ भयानक घाव सड़ चुके थे और उनमें कीड़े रेंग रहे थे। उसकी आँखें थोड़ी सी भी रोशनी सहन नहीं कर पा रही थीं, इसलिए वह अंधेरे कमरे में अपनी मौत का इंतज़ार कर रहा था। नंदिनी ने हिम्मत जुटाकर कहा, “कोई तो रास्ता होगा। मैंने गाँव में माँ से बात की है। उन्होंने कहा है कि वे पहाड़ वाली देवी के यहाँ माथा टेककर आएँगी। शायद वही कोई न कोई रास्ता बता सकती हैं। तब तक तुम खाना खा लो।” नंदिनी ने खाने की थाली रोहन के आगे की, तो खाने की खुशबू से उसने मुँह बिगाड़ लिया।

रोहन ने अजीब सी आवाज़ में कहा, “ये क्या घास-फूस है? मुझे यह नहीं खाना। मुझे कुछ अच्छा चाहिए, जैसे कि… जैसे कि ताज़ा मांस… नरम मांस। उसकी खुशबू कितनी लाजवाब होती है? मुझे उसकी खुशबू आ रही है, ताज़े मांस की खुशबू आ रही है।” कहते हुए उसने अचानक नंदिनी का हाथ पकड़ लिया और उसे चबाने लगा। रोहन की जगह अब एक डरावना, आदमकद राक्षस खड़ा था, जिसका चेहरा अजीब सा था, और नाखून बहुत बड़े थे। वह न तो इंसानों जैसा लग रहा था और न ही जानवरों जैसा। वह नंदिनी के ऊपर झपट पड़ा। यह देखकर नंदिनी की चीख निकल गई।

चीखते हुए वह नींद से जागी और अपने कमरे में पलंग पर बैठकर गहरी साँसें लेने लगी। रोहन वहीं पलंग पर शांति से सो रहा था। नंदिनी ने अपने आप से कहा, “कितना भयानक सपना था! क्या यह सच हो जाएगा? नहीं, यह सच नहीं हो सकता। ईश्वर, मेरी रक्षा करना!” कहते हुए नंदिनी को कुछ दिन पहले की बात याद आने लगी। रोहन और नंदिनी की शादी को छह महीने हो चुके थे, और वे दोनों असम के घने जंगलों में घूमने जाने की योजना बना रहे थे।

रोहन की माँ ने चिंता जताते हुए कहा, “पूरी दुनिया छोड़कर तुम्हें असम के जंगलों में ही घूमने को मिला? नहीं, वहाँ बिल्कुल नहीं जाना है।” रोहन ने अपनी माँ को समझाते हुए कहा, “ओह! मॉम, आप कैसी बातें कर रही हैं? केरल और हिमाचल तो सब लोग जाते हैं, मगर हम लोग कहीं अलग जगह जाना चाहते हैं, इसीलिए असम जा रहे हैं।” माँ ने अपनी आवाज़ में चेतावनी भरते हुए कहा, “क्यों लोग वहाँ नहीं जाते हैं? कभी सोचा है? वहाँ कामाख्या देवी का मंदिर है। वहाँ के जंगलों में कई सारी अपवित्र आत्माएँ हैं, और दुनिया भर के तांत्रिक तंत्र क्रियाएँ करते हैं। मैं तुम्हें किसी भी कीमत पर वहाँ नहीं जाने दूँगी!”

रोहन ने उनकी बात टालते हुए कहा, “माँ, हम लोग कोई बच्चे थोड़े ही न हैं, जो इस तरह समझा रही हो। हम अपना ध्यान रख सकते हैं। हमारी टिकट हो चुकी है, अब इस बारे में और कोई बहस नहीं होगी।” माँ के मना करने के बावजूद, रोहन और नंदिनी असम के लिए निकल गए। दो दिनों तक उन्होंने खूब घूमा-फिरा और आनंद लिया। मगर तीसरे दिन जब वे घूमकर होटल लौटे, तो रोहन ने देखा कि होटल रूम की खिड़की से एक विशाल घर दिखाई दे रहा था। उस घर के आस-पास सफेद रोशनी बिखरी हुई थी, और वहाँ से किसी के रोने की अजीबोगरीब आवाज़ आ रही थी।

रोहन तुरंत अपने कमरे से बाहर निकलकर रिसेप्शन पर पहुँचा और उस रहस्यमयी घर के बारे में पूछताछ करने लगा। सभी लोग हैरानी से उसका चेहरा देखने लगे। तभी एक रूम सर्विस बॉय उसे कोने में ले जाकर धीरे से बोला, “सर, आज शुक्ल पक्ष की अष्टमी है। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को उस घर के आस-पास 100 मीटर के दायरे में यदि कोई गर्भवती महिला रहे, तो उस महल में रहने वाला शैतान जागृत हो जाता है। और या तो वह होने वाला बच्चा या फिर पिता आने वाले छह महीने में शैतान बन जाते हैं, जो अपनी पत्नी या माँ को अपने ही हाथों से मार डालते हैं। लगता है यहाँ आस-पास कोई न कोई गर्भवती महिला ज़रूर है।”

रोहन के पीछे-पीछे नंदिनी भी अपने रूम से बाहर आ चुकी थी। उस लड़के की बातें सुनकर नंदिनी को अचानक याद आया कि वह भी अपना पीरियड मिस कर चुकी है। कहीं ऐसा तो नहीं कि वह प्रेग्नेंट है? नंदिनी के मुँह से चीख निकल गई, “नहीं, मैं प्रेग्नेंट नहीं हो सकती। अगर मैं प्रेग्नेंट हो गई, तो मेरा मरना तय है। नहीं…” वह चीखते हुए बेहोश हो गई। रोहन ने रिसेप्शन की मदद से तुरंत डॉक्टर को होटल में बुलाया। जब डॉक्टर ने नंदिनी का चेकअप किया, तो पता चला कि वह सच में माँ बनने वाली है। वह घर अभी भी चमक रहा था।

होटल के स्टाफ काना-फूंसी करने लगे। सर्विस बॉय ने रोहन से कहा, “सर, आपकी जान खतरे में है। आपको केवल अपोहु तांत्रिक ही बचा सकता है। आप लोग तुरंत उनसे मिल लीजिए।” नंदिनी ने तुरंत पूछा, “कौन तांत्रिक? कहाँ रहते हैं वो? हमें पूरा बता दीजिए, हम लोग तुरंत ही उनसे मिलने जाएँगे।” रोहन गुस्से में बोला, “व्हाट रबिश! कुछ भी बकवास मत करो। नंदिनी, हम लोग कहीं नहीं जा रहे हैं। ये कम पढ़े-लिखे लोग कुछ भी बकवास करते रहते हैं, और तुम उन सब बातों को मान रही हो? ये सब बकवास है और वैसे भी आज की हमारी रिटर्न की टिकट है। चलो थोड़ी देर आराम कर लो और फिर हमें निकलना है।”

नंदिनी अभी भी उस तांत्रिक से मिलना चाहती थी। उसने रोहन से विनती की, “एक बार वो लड़का जिस तांत्रिक से मिलने के लिए कह रहा है, मिल लेते हैं। कहीं कुछ गलत हो गया, तो हम खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाएंगे, क्योंकि इससे हमारे बच्चे का भविष्य जुड़ा है।” रोहन ने झल्लाकर कहा, “ये तांत्रिक और जादू-टोने वाले बाबाओं की दुकान तुम महिलाओं के कारण ही चलती है सच में। किसी की भी बात मान जाते हो। चलो, अब आराम करो।” कहते हुए रोहन नंदिनी का हाथ पकड़कर उसे कमरे में ले जाने लगा। मगर वह लड़का अभी भी पीछे से कह रहा था, “एक बार उस तांत्रिक से मिल लीजिए और हाँ, यदि मेरी बात पर यकीन नहीं होता, तो कुछ दिनों के बाद बुरे ख्वाब आना शुरू हो जाएंगे। फिर आप तुरंत यहाँ आ जाना, शायद कुछ हो जाए।”

मगर रोहन ने उसकी बात नहीं मानी। दोनों शहर वापस आ चुके थे। कुछ दिनों के बाद, नंदिनी को अब हर रात भयानक ख्वाब आने लगे। कभी रोहन उसे मारने वाला होता, तो कभी उसकी होने वाली संतान। नंदिनी की आंखों से सोते हुए भी आंसू निकल रहे थे। वह खुद से कह रही थी, “मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है, क्या सही है और क्या गलत है?” तभी रोहन उठकर बैठ गया और उसे रोते हुए देखकर गुस्से में बोला, “ये क्या है नंदिनी? जब से तुम आसाम से आई हो, तुम बिल्कुल बदल गई हो। तुम्हें खुद की तो फ़िक्र है नहीं, कम से कम हमारे होने वाले बच्चे की फ़िक्र तो करो। हर वक्त रोती रहती हो, टेंशन में रहती हो। इसका उस पर क्या असर पड़ेगा, जानती हो?”

नंदिनी ने रोते हुए जवाब दिया, “रोहन, तुम्हें क्या लगता है कि मुझे अपने होने वाले बच्चे की फ़िक्र नहीं है? या खुद की फ़िक्र नहीं है? मगर मैं क्या करूँ? मैं खुद परेशान हूँ। मुझे हर वक्त वही भयानक सपना आता है।” रोहन ने उसे शांत कराने की कोशिश की, “तुम उस लड़के की बातों के बारे में ज़्यादा मत सोचो। जैसा हम सोचकर सोते हैं, वैसा ही हमें ख्वाब में भी दिखता है। ये सब तुम्हारे दिमाग की उपज है और कुछ नहीं। चलो, तुम्हें डॉक्टर को दिखा दूँगा।” नंदिनी दृढ़ता से बोली, “मैं जो कुछ भी बोल रही हूँ, वो सब झूठ नहीं है, मेरे मन का वहम नहीं है। नहीं, मैं सच कह रही हूँ और मैं अपनी होने वाली संतान के साथ कोई रिस्क नहीं ले सकती। समझे? इसीलिए मैं कल आसाम जा रही हूँ।”

नंदिनी असम जाना चाहती थी, मगर रोहन भी अपनी ज़िद पर अड़ा हुआ था और उसने उसे असम वापस जाने नहीं दिया। समय पंख लगाकर उड़ चुका था। देखते ही देखते नंदिनी की डिलीवरी का वक्त आ गया। नौ महीने पूरे हो चुके थे। नंदिनी ने अपने पति से कहा, “रोहन, किसी भी वक्त डिलीवरी हो सकती है। मुझे बहुत डर लग रहा है।” रोहन ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा, “डर कैसा डर? मैं तुम्हारे साथ हूँ ना।”

दोनों बात कर ही रहे थे कि अचानक नंदिनी को लेबर पेन शुरू हो गया। रोहन अपनी माँ के साथ नंदिनी को लेकर तुरंत अस्पताल पहुँचा। रोहन ने डॉक्टर से पूछा, “डॉक्टर, अभी तो आठ दिन बाकी हैं। इतनी जल्दी लेबर पेन?” डॉक्टर ने जवाब दिया, “इट्स नॉर्मल, नाइन मंथ्स के बाद कभी भी डिलीवरी हो सकती है। यू डोंट वरी, यहाँ पर इंतज़ार कीजिए, जल्द ही आपको खुशखबरी मिलेगी।” लेबर रूम के बाहर खड़ा रोहन परेशान होकर चहलकदमी कर रहा था। तभी कुछ देर बाद बच्चों के रोने की तेज़ आवाज़ आई। उसकी माँ और रोहन दोनों खुश हो गए।

तभी एक नर्स डरकर बाहर की तरफ भागी। रोहन ने घबराकर पूछा, “क्या हुआ? सब कुछ ठीक तो है ना?” डॉक्टर ने काँपते हुए कहा, “वो बच्चा… वो बच्चा नहीं है, बल्कि शैतान है।” रोहन ने अविश्वास से पूछा, “बच्चा, बच्चा नहीं, बल्कि शैतान है? क्या कहना चाहती हैं आप?” रोहन तुरंत लेबर रूम में घुस गया और वहाँ का नज़ारा देखकर उसके होश उड़ गए। नंदिनी बेहोश पड़ी थी और उसके बगल में लगभग साल भर का एक बच्चा बैठा हुआ था। वह नंदिनी के पेट से बहते खून को अपनी जीभ से चाट रहा था। उस बच्चे ने रोहन की ओर देखकर मुस्कुराया और डरावनी हँसी के साथ बोला, “पापा…”

परछाई का साया

अमित को हमेशा से पुरानी, वीरान जगहों में एक अजीबोगरीब आकर्षण महसूस होता था। जब उसे अपने परदादा की दूरदराज ...

हवेली का शाप

एक ठंडी, बरसाती रात थी जब विक्रम सुनसान सड़क पर अपनी गाड़ी चला रहा था। शहर से दूर, एक पुराने ...

प्रेतवाधित गुड़िया का रहस्य

अंजलि ने शहर की हलचल से दूर, एक शांत गाँव में स्थित पुराना पुश्तैनी घर खरीदा। उसे लगा था कि ...

वीरान हवेली का रहस्य

रोहन अपने दोस्तों के साथ गांव के किनारे बनी वीरान हवेली के सामने खड़ा था। यह हवेली कई सालों से ...

लालची सास का श्राप

ममता देवी का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने राहुल से कहा, "इस अभागन के पेट में फिर से लड़की ...

प्रेतवाधित कलाकृति का अभिशाप

पुराने शहर के एक सुनसान कोने में, एक पेंटर रहता था जिसका नाम था रमेश। उसकी कला में एक अजीबोगरीब ...

भूतिया गुफा का खौफ

मोहन नगर राज्य में राजा विक्रम सिंह का राज था, जहाँ समृद्धि पर एक प्राचीन अभिशाप का साया मंडरा रहा ...

ब्रह्मदैत्य का ब्रह्मास्त्र

आईने के सामने खड़ी मोइला अपने सीने पर उभरे त्रिशूल के निशान को भय से निहार रही थी। तभी एकाएक, ...

वीरान गाँव का रहस्य

राजन एक अकेले यात्री था जो पहाड़ों में एक नया रास्ता खोजने निकला था। सूरज ढलने लगा और घना कोहरा ...

काल भैरवी का क्रोध

कालीबाड़ी गाँव में हर तीन साल पर काल भैरवी की एक विशेष आरती होती थी। यह एक प्राचीन परंपरा थी, ...

प्रेतवाधित हवेली का निर्माण

माया ने शहर की भागदौड़ से दूर, एक छोटे, शांत गाँव में एक पुराना मकान किराए पर लिया। मकान थोड़ा ...

अंधेरे की आहट

माया ने शहर की भागदौड़ से दूर, एक छोटे, शांत गाँव में एक पुराना मकान किराए पर लिया। मकान थोड़ा ...