शादी के दस साल बाद अमित और राधिका को माता-पिता बनने का सौभाग्य मिला था। वे तो उम्मीद ही खो चुके थे, मगर इस खुशखबरी ने उनके सपनों को नई उड़ान दी। अमित राधिका का बेहद ख्याल रखता था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से राधिका की तबीयत ठीक नहीं थी। आज डॉक्टर ने अमित को बताया, “देखिए, वैसे तो इनकी तबीयत ठीक है, पर मानसिक तनाव बहुत ज्यादा है। आप इनका तनाव कम कीजिए, तभी बीपी कम होगा। प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में इतना बीपी बढ़ना अच्छा नहीं, इनका विशेष ध्यान रखिए।”
घर आकर अमित ने राधिका से पूछा, “क्या हुआ तुम्हें? किस बात का तनाव है? सब कुछ ठीक हो जाएगा।” राधिका उदास होकर बोली, “मुझे पता नहीं क्यों, घर में बहुत अजीब सा लगता है। कहीं बाहर जाने का मन नहीं करता।” अमित ने तुरंत समाधान दिया, “बस इतनी सी बात? हम लोग कल ही लोनावला वाले फार्म हाउस में चलते हैं। वीकेंड वहीं मनाएंगे, तुम्हें भी बदलाव मिलेगा।” राधिका खुशी से बोली, “तुमने तो मेरे मन की बात कह दी। बहुत-बहुत धन्यवाद।”
अमित और राधिका थोड़ी तैयारी करके लोनावला के लिए निकल पड़े। रास्ते में आने वाले घाट की वजह से राधिका को थोड़ी घबराहट महसूस हुई। राधिका ने अमित से कहा, “कार रोको, मुझे बेचैनी हो रही है।” अमित ने तुरंत कार रोक दी और राधिका खुली हवा में खड़ी हो गई। शाम का समय था, ठंडी हवा के साथ हल्की रिमझिम बारिश हो रही थी। राधिका ने अमित को भी बाहर बुलाया, “अमित, बाहर आओ। देखो, मौसम कितना सुहावना है!”
अमित ने चिंता जताते हुए कहा, “राधिका, शाम हो गई है। मां ने कहा था कि रात होने से पहले फार्महाउस पहुंच जाना। अब तुम ठीक महसूस कर रही हो तो चलें?” राधिका ने उसे रोका, “रुको तो सही। तुम मेरे साथ हो, मुझे किसी बात का डर नहीं है। थोड़ी देर मौसम का आनंद लो।” वे दोनों वहीं सड़क किनारे मौसम का लुत्फ उठाने लगे, इस बात से बेखबर कि कोई साया लगातार उन पर नज़र रखे हुए था। कुछ देर बाद जब वे अपनी कार में लोनावला की ओर बढ़े, तो वही रहस्यमयी साया उनकी कार के अंदर मौजूद था।
फार्महाउस पहुंचते ही वे चौंक गए, क्योंकि वहां ताला लगा हुआ था। अमित ने राधिका से कहा, “ये रामदीन काका कहां चले गए? मां ने उन्हें बता दिया था कि हम आज रात पहुंचने वाले हैं, फिर ये ताला क्यों है?” अमित अभी रामदीन काका को फोन लगाने ही वाला था कि तभी एक लड़की वहां आई। गांव की औरतों की तरह घाघरा-ओढ़नी पहने हुए, उसका चेहरा भी ढका हुआ था।
लड़की ने नमस्ते करते हुए कहा, “राम राम साहब, मेरा नाम मोनिका है। रामदीन काका की तबीयत ठीक नहीं है, इसीलिए उन्होंने आपकी देखभाल के लिए मुझे भेजा है। माफ कीजिए, आने में देर हो गई।” यह कहते हुए उसने फार्महाउस का ताला खोल दिया। राधिका फार्महाउस की सुंदरता देख कर मंत्रमुग्ध हो गई, “अविश्वसनीय, कितना सुंदर है! रामदीन काका इसकी बहुत अच्छी देखभाल करते हैं। सच में, यहां बहुत सुकून है।” राधिका और अमित फार्महाउस घूम ही रहे थे कि मोनिका ने उनके लिए खाना लगा दिया।
दोनों अभी खाना खा ही रहे थे कि बाहर का मौसम अचानक बदलने लगा। तेज बारिश शुरू हो गई। राधिका ने पूछा, “ये मौसम को अचानक क्या हो गया?” मोनिका ने जवाब दिया, “यह पहाड़ी इलाका है। यहां अक्सर ऐसा मौसम खराब हो जाता है। आप सफर से थककर आए हैं, आप आराम कीजिए। बारिश रुकने के बाद मैं चली जाऊंगी।” अमित ने कहा, “बाहर मौसम बहुत खराब हो रहा है। तुम्हें कहीं जाने की कोई जरूरत नहीं है। यहीं रामदीन काका के क्वार्टर में आराम कर लो।” खाना खाने के बाद अमित राधिका को लेकर अपने कमरे में चला गया।
देर रात करीब 2:00 बजे किसी आहट से राधिका की नींद खुल गई। उसे ऐसा लगा जैसे घर में कोई घूम रहा हो। राधिका ने अमित को जगाते हुए कहा, “अमित, घर में कोई घुस आया है?” अमित ने नींद में ही कहा, “तुम्हारे मन का भ्रम होगा। यहां कोई नहीं है, सो जाओ।” यह कहकर अमित करवट लेकर सो गया। मगर राधिका को अभी भी ऐसी आवाजें आ रही थीं, मानो कोई सीढ़ी चढ़कर ऊपर आ रहा हो।
राधिका धीरे से अपने कमरे से बाहर निकली तो कमरे के बाहर वही कार वाला साया मौजूद था। वह छत से चिपका हुआ था और रात के अंधेरे में साफ नजर नहीं आ रहा था। राधिका ने आवाज दी, “कौन है यहां पर? मोनिका, क्या तुम हो? मोनिका…।” राधिका मोनिका को आवाज दे ही रही थी कि घर के मुख्य दरवाजे पर जोर-जोर से दस्तक होने लगी। राधिका घबराकर बोली, “इतनी रात को कौन होगा? दरवाजे पर कोई है! कब से दरवाजा बज रहा है।”
अमित फिर बोला, “कोई नहीं है। मैंने तो कोई आवाज नहीं सुनी। तुम्हारे मन का भ्रम होगा, चलकर सो जाओ।” राधिका ने कहा, “मैं सच कह रही हूं।” मगर अमित ने उसकी बात नहीं सुनी और उसे कमरे में ले गया। दूर खड़ी मोनिका यह सब देख रहस्यमयी तरीके से मुस्कुरा रही थी। अगली सुबह, देर रात तक सो न पाने के कारण राधिका देर तक सोती रही। अमित ब्रेकफास्ट टेबल पर अखबार पढ़ते हुए कॉफी पी रहा था।
मोनिका ने अमित से कहा, “साहब, आपको ऐसा नहीं लगता कि मैडम जी के दिमाग की हालत ठीक नहीं है?” मोनिका की बात सुनकर अमित गुस्से में उसकी ओर देखकर बोला, “क्या बकवास कर रही हो? मैं राधिका के बारे में कुछ भी नहीं सुन सकता।” मोनिका ने अपनी बात बदलने की कोशिश की, “आप तो गुस्सा हो गए। मेरे कहने का मतलब यह नहीं था। मैं तो यह कहना चाह रही थी कि मम्मी साहब ऐसी हालत में आपकी जरूरतों को कैसे पूरा कर सकती हैं? यदि आपकी कोई जरूरत हो, तो मैं मौजूद हूं।”
अमित ने मोनिका से पूछा, “क्या कहना चाहती हो?” मोनिका ने रहस्यमयी ढंग से कहा, “समझदार को इशारा काफी है।” वे दोनों बातें कर ही रहे थे कि उनके घर पुलिस आ गई। पुलिस अधिकारी ने पूछा, “रामदीन आपके घर का काम करता था?” अमित ने जवाब दिया, “हां, क्यों… क्या हुआ?” पुलिस ने बताया, “शहर के बाहर उसकी लाश मिली है। लाश बहुत बुरी हालत में है। ऐसा लग रहा है कि मानो किसी ने उसके शरीर का खून ही चूस लिया हो।”
अमित आश्चर्यचकित होकर बोला, “ऐसा कैसे हो सकता है? उनकी तो तबीयत ही ठीक नहीं थी, इसीलिए वह दो दिन की छुट्टी पर थे। उनके बदले उनके घर से मोनिका हमारे घर का काम कर रही थी।” पुलिस अधिकारी ने कहा, “तो आप उन्हें बुला दीजिए ताकि हम पूछ सकें कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं थी?” इंस्पेक्टर के बार-बार बुलाने पर भी मोनिका उनके सामने नहीं आई। अमित और राधिका जहां आराम करने का सोच कर आए थे, उनका दिन और भी ज्यादा व्यस्त और भयावह हो गया।
रात होते ही राधिका को तो नींद आ गई, लेकिन देर रात तक अमित को नींद नहीं आ रही थी। उसे बार-बार मोनिका की बातें याद आ रही थीं। उसने अपने पास सो रही राधिका की ओर देखा, फिर आंखें बंद करके सो गया। देर रात वही कार वाला साया उन लोगों के कमरे में आया। वह राधिका के उभरे हुए पेट को सहला रहा था। उसने राधिका की गर्दन पर जैसे ही अपने दांत लगाने की कोशिश की, उसे झटका लगा और वह पीछे हट गया।
राधिका के गले में उसकी सासु मां का दिया हुआ रक्षा कवच था, जो उन्होंने प्रेग्नेंसी में उसे बुरी नजर से बचाने के लिए पहनाया था। तेज झटके से वह साया बुरी तरह बौखलाकर गायब हो गया। तभी कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। राधिका गहरी नींद में सोई हुई थी, मगर अमित की नींद खुल गई। उसने देखा बाहर मोनिका खड़ी थी। मोनिका घाघरा-ओढ़नी में नहीं बल्कि पारदर्शी वस्त्र में खड़ी थी।
उसने इशारे से अमित को अपने करीब बुलाया। अमित सम्मोहित होकर उसके पीछे-पीछे चलने लगा। दोनों सर्वेंट क्वार्टर में आ चुके थे। मोनिका ने उसे अपने करीब आने का इशारा करके पलंग पर लेट गई। वह गहरी सांसें ले रही थी। जैसे ही अमित उसके पास गया, उसने उस पर चुम्बनों की बौछार कर दी और धीरे से उसका शर्ट खोल दिया।
देखते ही देखते दोनों एक-दूसरे में इतना खो गए कि अमित को होश ही नहीं था कि मोनिका का रूप बदल रहा था। मोनिका और कोई नहीं, बल्कि वही साया थी जो रास्ते से उन लोगों की कार में आई थी। जैसे ही उसका वासना का खेल पूरा हुआ, वह हवा में उड़ चली। अमित को भी होश आ गया। जैसे ही उसे अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने मोनिका की ओर देखा तो मोनिका पलंग पर नहीं थी, बल्कि कमरे की छत पर लटकी हुई थी।
अमित डरकर पीछे हटा। “कौन हो तुम?” अमित ने पूछा। साया ने जवाब दिया, “मैं जो कोई भी हूं, मुझे तेरा बच्चा चाहिए। जन्मे बच्चे की खुशबू कितनी दिलचस्प होती है, वो मुझे यहां तक खींच लाई। तुझसे मैंने तेरा अंश हासिल कर लिया है। बस उस अजन्मे बच्चे की बलि, फिर मैं और मेरा होने वाला बच्चा दोनों अमर हो जाएंगे।” यह कहते हुए वह जोर-जोर से हंसने लगी। उसके दोनों पैर उल्टे थे।
अमित चिल्लाया, “मेरा बच्चा? नहीं, वह तुम्हें कभी हासिल नहीं होगा… कभी नहीं।” यह कहते हुए वह अपने कमरे की तरफ भागा, उसने राधिका को उठाया और तुरंत कार में बैठ गया। राधिका ने पूछा, “क्या हुआ? इतने घबराए हुए क्यों हो?” मगर राधिका के किसी भी सवाल का वह जवाब नहीं दे पाया और कार स्टार्ट करने की कोशिश करता रहा। कार चालू ही नहीं हो रही थी।
तभी इंस्पेक्टर गांव के कुछ लोगों के साथ वहां पहुंचा और अमित से बोला, “गांव के लोगों का मानना है कि रामदीन काका की मौत किसी पिशाचिक शक्ति की वजह से हुई है और वह इस वक्त तुम्हारे ही घर में है। जैसे ही हमें पता चला, हमने कल रात को ही आपके घर को सील कर दिया था। शैतानी शक्ति के प्रभाव के कारण हम आपके घर के भीतर दाखिल नहीं हो पा रहे थे। अच्छा हुआ आप बाहर आ गए, अब हमें उसे मुक्ति देनी होगी।”
अमित ने पूछा, “मुक्ति..? उसे मुक्ति कैसे मिलेगी?” राधिका ने बेचैनी से पूछा, “ये सब क्या हो रहा है, कोई बताएगा मुझे?” अमित खुद उस पिशाचिक शक्ति को महसूस कर चुका था, इसलिए उसने ज्यादा सवाल नहीं किए। उन गांव वालों ने कुछ मंत्र पढ़ते हुए उस घर को आग लगा दी। मोनिका उस घर के भीतर जल रही थी। जलते हुए वह अपने असली भयानक रूप में आ गई।
उसका भयानक रूप देख राधिका डर गई। सभी को उसके उल्टे पैर साफ नजर आ रहे थे। मोनिका चीख रही थी, “मुझे कोई खत्म नहीं कर सकता, कोई भी नहीं। क्या हुआ, जो आकाश मेरी कोख में नहीं आया? मैं आकाश के अंश के रूप में जन्म लेने वाली हूं।” कहते हुए वह जोर-जोर से हंस रही थी। कुछ दिनों के बाद, जब राधिका की डिलिवरी हुई, तो उसे एक बेटी हुई और उस बेटी के दोनों पैर उल्टे थे।











