असम की घनी वादियाँ और चाय के बागान जग-प्रसिद्ध हैं, मगर इसके पीछे छिपे कई रहस्यमई और भूतिया किस्से आज भी कई लोगों के लिए अनजान हैं। यहाँ के कई गाँव में मानो शैतान का वास है, जैसे भगवान रूठ गया हो। यह बात तब की है जब मैं 12 साल की थी। स्कूल की गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने माता-पिता के साथ अपनी नानी के घर असम के जोरहाट जाया करती थी। नानी के घर के ठीक सामने एक बंगला था, जहाँ पाँच लोग रहते थे। उनमें से एक थीं, माजी, जिन्हें सभी बहुत सम्मान देते थे। माजी को मेरी नानी से विशेष लगाव था, क्योंकि मेरी नानी कपड़े सिलने में बहुत माहिर थीं।
मेरी नानी को हर तरह के कपड़े सिलने का हुनर था। मेरे ज़्यादातर कपड़े वही सिलती थीं। नानी, माजी के लिए हर त्यौहार पर सलवार-कमीज सिलती और उसके अंदर हमेशा एक जेब भी बनाती थीं। पुराने ज़माने में लोग अक्सर बैग या पर्स नहीं रखते थे, इसलिए माजी उस जेब में हमेशा अपने पैसे रखती थीं। यह उनकी एक आदत थी जिसे नानी हमेशा पूरा करती थीं, क्योंकि वह माजी की ज़रूरतों को समझती थीं। यह छोटी सी बात ही उनके गहरे रिश्ते को दर्शाती थी।
एक दिन माजी बहुत बीमार हो गईं। उनके घरवालों ने उनका सही इलाज तक नहीं करवाया। मेरी नानी ने माजी की सेवा करने की कोशिश की, पर उनके बेटे और बहू नानी को बार-बार भगा देते। कुछ ही दिनों बाद, माजी की मृत्यु हो गई। नानी ने माजी के अंतिम संस्कार से पहले, उनकी पसंदीदा पीले रंग की सलवार-कमीज सिलकर उन्हें पहनाई। मगर इस बार, गहरे दुख में डूबी नानी जेब सिलना भूल गईं। इसके बाद, माजी का अंतिम संस्कार भी हो गया, और नानी का मन भारी था।
दो दिन बाद, जब नानी ने सुबह अपने घर का दरवाज़ा खोला, तो साक्षात माजी उनके सामने खड़ी थीं, उसी पीले रंग की सलवार-कमीज में। माजी ने एक डरावनी आवाज़ में पूछा, “देख, मैं कैसी लग रही हूँ? पर इस बार तूने मेरे कपड़ों में जेब क्यों नहीं सिली? तुझे पता है ना कि मुझे जेब में पैसे रखने की आदत है?” नानी यह सुनकर बुरी तरह डर गईं और ज़ोर से चीखते हुए, हम सबको बुलाया। जब हम सब वहाँ पहुँचे, तो नानी ने बाहर की ओर इशारा करते हुए कहा, “माजी वापस आ गई हैं। मुझे अभी दिखी थीं।” हमने देखा तो वहाँ कोई नहीं था, और हम सबने इसे नानी का भ्रम बताकर माजी को भूल जाने को कहा।
नानी जानती थीं कि वह कोई भ्रम नहीं, बल्कि माजी की भटकती आत्मा थी। पर वह हमें कैसे समझातीं? माजी की आत्मा अब उन्हें हर जगह दिखने लगी थी – कभी पेड़ पर बैठी हुई, तो कभी अपने बंगले के बाहर टहलती हुई। यह सब देखकर नानी बहुत डर गईं। हमेशा हमें अकेले बाहर घूमने से मना करने वाली नानी, नहीं जानती थीं कि खुद उनके ही साथ यह भूतिया हादसा हो जाएगा। उनका शांत जीवन अब एक अनकहे खौफ से भर गया था।
एक रात, नानी की आँखें अचानक रात के 3 बजे खुल गईं, खिड़की पर कुछ अजीब-सी आवाज़ें सुनकर। डरते-डरते नानी खिड़की के पास गईं, तो उन्हें फिर माजी की आत्मा दिखी। इस डरावने दृश्य को देखकर नानी बेहोश हो गईं। ठीक उसी क्षण, माजी की भटकती आत्मा ने नानी के शरीर में प्रवेश कर लिया। घर में एक अजीब-सी ठंडक फैल गई, और एक गहरा सन्नाटा छा गया, जैसे किसी अनहोनी का संकेत हो।
उस दिन के बाद से, नानी का व्यवहार अजीब और डरावना हो गया। उनकी आँखें खाली-खाली लगती थीं और उनकी आवाज़ में एक अजीब-सी भारीपन आ गया था। दिन-प्रति-दिन, उनकी हालत बिगड़ती गई। मेरे घरवालों को यह समझ में आ गया था कि यह किसी आत्मा का साया है। मेरे घरवालों ने एक सिद्ध पंडित को नानी की इस बिगड़ती हालत के बारे में बताया, क्योंकि अब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी।
पंडितजी ने ध्यान से सारी बात सुनी और बताया, “अगर किसी की मृत्यु के बाद की विधि पूरे नियम अनुसार ना हुई हो, तो उसकी आत्मा भटकती है और अपने किसी चहिते के शरीर में वास करती है। माजी की आत्मा को इसलिए मोक्ष नहीं मिल पा रहा है क्योंकि उसकी जेब में पैसे रखने की इच्छा अधूरी रह गई है। आत्मा की शांति के लिए हवन और पूजा फिर से करवाई जानी चाहिए, वरना उस आत्मा को कभी मोक्ष नहीं मिलेगा।” मेरे घरवालों ने माजी के परिवार से बात की। उनका बेटा पहले तो इसे अंधविश्वास कहकर टालने लगा।
मेरे घरवालों ने माजी के परिवारवालों को भी पंडितजी से मिलवाया। पंडितजी की बातें सुनकर और नानी की हालत देखकर, वे अंततः मान गए। उसके बाद, माजी की आत्मा की शांति के लिए हवन और पूरी विधि से पूजा-पाठ करवाया गया। दो दिन बाद, नानी की हालत में सुधार आने लगा। माजी की आत्मा उनके शरीर से जा चुकी थी और उसे अंततः मोक्ष मिल गया था। नानी की सेहत भी धीरे-धीरे सामान्य हो गई।
मेरी गर्मियों की छुट्टियाँ भी खत्म हो गई थीं। नानी पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी थीं। नानी की यह डरावनी दुर्दशा देखकर मैं बहुत डर गई थी, पर नानी ने मुझे और मेरे घरवालों को तसल्ली देकर वापस खुशी-खुशी भेज दिया। मगर आज भी जब मुझे वह भूतिया किस्सा याद आता है, तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आप भी अपने बड़ों की बातों को अंधविश्वास समझकर कोई भूल न करें और ऐसे रहस्यमई भूतिया जगहों से हमेशा सतर्क रहें।