पुराना घर चोटिल सांझ के आसमान के सामने छायाचित्र-सा खड़ा था, उसकी कंकाल जैसी टहनियाँ ढलती रोशनी को नोंचती हुई प्रतीत होती थीं। यह घर एलेरा को अपनी परदादी से विरासत में मिला था—एक ऐसी महिला जिससे वह शायद ही कभी मिली थी, जो जीवनभर एकांतवासी रही और जिसकी मृत्यु भी उतनी ही रहस्यमय थी जितना उसका जीवन। घर के भीतर की हवा धूल से भरी थी और उसमें भुला दिए गए गुलाब की पंखुड़ियों और सड़ते हुए पुराने कागज़ों-सी गंध थी। एलेरा ने तय किया कि वह एक रात वहीं गुज़ारेगी—एक अजीब-सी तीर्थयात्रा, उस अतीत तक जिसे उसने कभी जिया ही नहीं था।
जैसे ही बाहर पूरी तरह अंधेरा छा गया, ऊपर से धीरे-धीरे किसी चीज़ के ठक-ठक करने की आवाज़ आने लगी। वह हल्की थी, मानो किसी बच्चे का खिलौना लकड़ी पर हल्का-सा बज रहा हो।
एलेरा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने मन ही मन तर्क किया—शायद पुराने पाइप, हवा का असर, या कोई जानवर। मगर आवाज़ बहुत सटीक और लगातार थी। उसने टॉर्च उठाई और चरमराती सीढ़ियाँ चढ़ने लगी। हर कदम उसके बोझ तले कराह उठा, मानो ऊपर से आती उसी अनजानी लय को दोहरा रहा हो।
आवाज़ उसे मुख्य शयनकक्ष तक ले गई। कमरा अब भी उसकी परदादी की मौजूदगी से भारी था—कुर्सी पर पड़ा एक कीड़ों से कटा हुआ शॉल, और मेज़ पर अधूरा कढ़ाई का काम। ठक-ठक की आवाज़ यहाँ सबसे तेज़ थी, और वह चार-स्तंभों वाले भारी बिस्तर के नीचे से आ रही थी।
गहरी साँस लेकर एलेरा घुटनों के बल झुकी। टॉर्च की रोशनी में उड़ते धूलकण नाच रहे थे। अंधेरे में झाँककर उसने देखा कि वहाँ एक छोटा लकड़ी का म्यूज़िक बॉक्स रखा था। उसका ढक्कन खुला हुआ था और पास ही टूटी हुई बैलेरीना की मूर्ति पड़ी थी। उसके यंत्र का कोई हिस्सा अब भी काँप रहा था, जिससे धीमी-धीमी ठक-ठक की ध्वनि आ रही थी।
जैसे ही उसने उसे उठाने को हाथ बढ़ाया, उसकी उंगलियाँ किसी ठंडी और भुरभुरी चीज़ से टकराईं। वह म्यूज़िक बॉक्स नहीं था। वह तो एक गूँथी हुई चोटी थी, जिस पर फीता बँधा था और जो बहुत पुरानी और सूखी हुई लग रही थी। उसके स्पर्श मात्र से एलेरा की रीढ़ में बर्फ़ीली सिहरन दौड़ गई।
वह चोटी निस्संदेह इंसानी थी—सूखी, भुरभुरी, और फिर भी उसमें किसी मौन, दुखी ऊर्जा की धड़कन थी। जैसे ही उसने हाथ पीछे खींचा, उसकी नज़र बिस्तर के तख़्ते के निचले हिस्से पर पड़ी। वर्षों की मैल के बीच कोई हल्की-सी लिखावट उकेरी हुई थी। उसने अपनी आस्तीन से साफ़ किया। शब्द उभर आए: “वह अब सो रही है, पर उसका गीत अब भी बाकी है।”
अचानक म्यूज़िक बॉक्स से एक तेज़-सी क्लिक की आवाज़ आई और फिर एक धीमा, विकृत-सा संगीत बजने लगा—एक लोरी, जो बेहद शोकाकुल थी। वातावरण और भारी हो गया। एलेरा को अहसास हुआ कि कोई अदृश्य उपस्थिति उसे देख रही है—वह बुरी नहीं थी, पर गहरी उदासी में डूबी हुई थी, इस घर से, उस संगीत से, और उस भुला दी गई चोटी से बंधी हुई।
एलेरा ने बॉक्स और चोटी को वैसे ही छोड़ दिया और धीरे-धीरे पीछे हट गई। लोरी की उदास धुन उसके साथ सीढ़ियों से नीचे तक उतरती रही। घर अपने रहस्यों को सँजोए रहा—और कुछ रहस्य बेहतर है कि अनछुए रह जाएँ।