प्रेतवाधित हवेली का निर्माण

माया ने शहर की भागदौड़ से दूर, एक छोटे, शांत गाँव में एक पुराना मकान किराए पर लिया। मकान थोड़ा जीर्ण-शीर्ण था, लेकिन माया को उसमें अपने सपनों का घर बनाने का जुनून था। गाँव वाले उसे चेतावनी देते थे कि उस जमीन पर एक शापित कुआँ है, और उस हवेली में कुछ रहस्यमय शक्तियाँ वास करती हैं। लेकिन माया ने उनकी बातों को अंधविश्वास मानकर अनसुना कर दिया। वह दिन-रात मकान की मरम्मत और सजावट में लगी रहती थी, मानो उसे किसी अदृश्य शक्ति ने बांध रखा हो।

उसकी दोस्त, रीना, उससे मिलने आई और माया की हालत देखकर चिंतित हुई। रीना ने कहा, “तुम इतनी मेहनत क्यों कर रही हो? थोड़ा आराम भी करो, जिंदगी का लुत्फ़ उठाओ। यह जगह अजीब है, तुम्हें यहाँ अकेला नहीं रहना चाहिए।” माया ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “मुझे अपने भविष्य के लिए काम करना है। यह मेरा सपना है, और मैं इसे पूरा करके ही दम लूंगी।” रीना ने एक गहरी साँस ली, उसे उस हवेली की ठंडी हवाओं में एक अनजानी दहशत महसूस हो रही थी।

जैसे-जैसे मकान तैयार होता गया, माया को अजीबोगरीब अनुभव होने लगे। रात में, उसे दीवारों से फुसफुसाहटें सुनाई देतीं, जैसे कोई उससे बात करने की कोशिश कर रहा हो। कभी-कभी, उसे लगता कि कोई उसके पीछे खड़ा है, उसकी गर्दन पर ठंडी साँसें छोड़ रहा है। कमरे के तापमान में अचानक बदलाव आते, और चीजों की जगह बदल जाती। माया इन सभी बातों को थकान का नतीजा मानती रही और खुद को काम में और अधिक डुबोती गई।

एक रात, जब वह अकेली थी, तो उसे ऊपरी मंजिल से रोने की आवाजें सुनाई दीं। डर के मारे उसका पूरा शरीर काँपने लगा। हिम्मत जुटाकर वह ऊपर गई, तो देखा कि एक पुरानी तस्वीर, जिसमें एक उदास परिवार की तस्वीर थी, ज़मीन पर पड़ी है। तस्वीर में मौजूद लोगों की आँखें लाल हो चुकी थीं। तभी, पीछे से एक ठंडी हवा का झोंका आया और उसने महसूस किया कि कोई अदृश्य हाथ उसके बालों को खींच रहा है। एक डरावनी हँसी गूँजी, और दीवारें हिलने लगीं।

माया चिल्लाई और भागने की कोशिश की, लेकिन दरवाज़े अपने आप बंद हो गए। घर की हर चीज़ जीवित हो उठी थी, और अँधेरे साये हर कोने से निकलने लगे। पुरानी हवेली ने माया को अपने शिकंजे में कस लिया था, जैसे वह उसका अगला शिकार हो। रीना ने कई बार माया से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उस रात के बाद माया कभी नहीं दिखी। गाँव वाले आज भी उस हवेली के पास से गुजरने से डरते हैं, जहाँ आज भी अजीबोगरीब आवाज़ें सुनाई देती हैं।

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