उस पुरानी हवेली का रहस्य

आज भी उस पुरानी हवेली का ख्याल आते ही मेरी रूह काँप उठती है। कई साल पहले, गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने दोस्तों के साथ पहाड़ी इलाके में घूमने गया था। हम सबने सुना था कि गाँव के बाहरी छोर पर एक वीरान हवेली है, जिसके बारे में ढेरों कहानियाँ प्रचलित थीं। कुछ लोग कहते थे कि वहाँ एक आत्मा भटकती है, जबकि कुछ का मानना था कि हवेली के भीतर एक अदृश्य शक्ति का वास है जो किसी को भी जीवित बाहर नहीं आने देती। हम युवा और रोमांच के भूखे थे, इसलिए हमने एक रात वहाँ जाने का फैसला किया।

अमावस की रात थी और आसमान में चाँद का नामोनिशान नहीं था। टार्च की रोशनी में हम जैसे-तैसे हवेली तक पहुँचे। उसकी टूटी हुई खिड़कियाँ और फफूँदी लगी दीवारें एक अजीब सी उदासी और खौफ पैदा कर रही थीं। अंदर घुसते ही ठंडी हवा का एक झोंका आया, जिससे हमें लगा कि कोई अदृश्य शक्ति हमारा स्वागत कर रही है। धूल से ढके फर्नीचर और मकड़ी के जाले हर जगह थे, लेकिन जो चीज़ सबसे ज़्यादा परेशान कर रही थी, वह थी हवा में घुली हुई एक सड़ी हुई गंध।

हम धीरे-धीरे हवेली के गलियारों में आगे बढ़ रहे थे, हर आवाज़ पर चौंक रहे थे। अचानक, हमें ऊपर से एक धीमी सी आवाज़ सुनाई दी, जैसे कोई सीढ़ियों पर घिसट रहा हो। हम सब एक-दूसरे की तरफ देखने लगे, हमारे चेहरे पर डर साफ झलक रहा था। हिम्मत करके हम ऊपर की मंज़िल पर गए। वहाँ एक कमरा था, जिसका दरवाज़ा आधा खुला था। जैसे ही हमने दरवाज़ा पूरा खोला, एक तेज़ चीख सुनाई दी और टार्च की रोशनी एक पल के लिए बुझ गई।

जब रोशनी वापस आई, तो हमने देखा कि कमरे के बीचों-बीच एक पुराना झूला धीरे-धीरे हिल रहा था, जबकि वहाँ कोई हवा नहीं थी। झूले पर एक गुड़िया बैठी थी, जिसकी आँखें काली और खाली थीं, मानो वह हमें घूर रही हो। हममें से एक दोस्त, जिसका नाम रवि था, बेहोश होकर गिर पड़ा। जैसे ही हम उसे उठाने लगे, हमने महसूस किया कि हवेली का तापमान अचानक गिर गया है और दीवारों से किसी के फुसफुसाने की आवाज़ें आ रही हैं।

हम सब बुरी तरह घबरा गए थे। हमने रवि को उठाया और जैसे-तैसे उस हवेली से बाहर भागे। उस रात के बाद हममें से किसी ने भी उस हवेली का नाम तक नहीं लिया। रवि को कई दिनों तक बुखार रहा और वह उस रात की भयानक घटना के बारे में कुछ भी नहीं बता पाया। आज भी वह अनुभव हमें सिखाता है कि कुछ रहस्य ऐसे होते हैं जिन्हें अनछुआ छोड़ देना ही बेहतर होता है। वह रात और उस हवेली का खौफ आज भी मेरे सपनों में पीछा करता है।

पहाड़ी बंगले की छाया

आलोक, प्रिया और उनकी सात वर्षीय बेटी सिया ने शहर की गहमागहमी छोड़कर पहाड़ों के बीच एक एकांत, पुराने बंगले ...

शून्य हवेली का अभिशाप

प्रिया और रोहन शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से थककर, रामपुर गाँव में स्थित अपने पुश्तैनी घर, ‘शून्य हवेली’ में ...

छाया का साया

रोहन और प्रिया ने शहर की हलचल से दूर एक शांत गाँव में अपना नया जीवन शुरू करने का निर्णय ...

अदृश्य छाया का आतंक

राहुल और प्रिया ने शहर की हलचल से दूर एक शांत ठिकाना ढूँढ़ने की उम्मीद में एक पुरानी, भव्य हवेली ...

हवेली की प्रेत छाया

रोहन, प्रिया और उनकी नन्ही बेटी मीरा को कृष्णापुर गाँव की पुरानी हवेली विरासत में मिली। शहर की भागदौड़ भरी ...

मीना का प्रेतग्रस्त जीवन

एक सुदूर गाँव की गहरी पहाड़ियों और रहस्यमय जंगलों के बीच, मीना नामक एक युवती रहती थी। उसकी सौम्यता, धार्मिक ...

अधूरी आत्मा का बदला

शहर की चहल-पहल से दूर, रोहन, उसकी पत्नी कविता, और उनके बच्चे आर्यन (7) व सिया (4) ने एक नई ...

प्रेतवाधित हवेली का रहस्य

शर्मा परिवार, जिसमें राजेश, सुनीता और उनके दो प्यारे बच्चे मीना व रवि शामिल थे, हमेशा एक बड़े और हवादार ...

बर्फीले दानव का अभिशाप

मेरे सिर में होने वाला दर्द सिर्फ़ एक सामान्य पीड़ा नहीं है; यह एक दुष्ट आत्मा है जो मुझ पर ...

डरावनी हवेली का रहस्य

चार दोस्त - माया, रोहन, समीर और प्रिया - एक रात पहाड़ों की ओर ड्राइव कर रहे थे। आधी रात ...

अंधेरी हवेली का रहस्य

राहुल और उसके तीन दोस्त, अमित, रिया और पूजा, एक वीरान हवेली में गए। यह हवेली राहुल को विरासत में ...

प्रतिशोध की काली रात

अनुज की आँखों में प्रतिशोध की आग दहक रही थी। उसके मित्र, रवि, का क्षत-विक्षत शरीर अभी भी उसकी स्मृति ...