रात के सन्नाटे में, मीरा अपने नए घर की खाली दीवारों को घूर रही थी। शहर के शोर से दूर, यह पुरानी हवेली उसे शांति का वादा करती थी, लेकिन आज पहली रात ही उसे एक अजीब बेचैनी महसूस हो रही थी। लकड़ी के फर्श की चरमराहट, हवा में घुली धूल और पुरानी किताबों की गंध—सब कुछ उसे अपने अतीत की ओर खींच रहा था। उसने सोचा, शायद यह थकान है, या इस बड़े, खाली घर का अकेलापन। वह खिड़की से बाहर अँधेरे को देखती रही, जहाँ चाँद की रोशनी पेड़ों की डालियों पर एक अजीब सी छाया बना रही थी। एक हल्की सी ठंडी हवा कमरे में घुसी, और मीरा को लगा जैसे किसी अदृश्य हाथ ने उसे छू लिया हो।
कुछ दिनों बाद, अजीबोगरीब घटनाएँ शुरू हुईं। आधी रात को मीरा को सीढ़ियों से किसी के उतरने की आवाज़ आती, जैसे कोई अदृश्य व्यक्ति धीरे-धीरे चल रहा हो। कभी-कभी रसोई से बर्तनों के खड़कने की आवाज़ आती, जबकि वहाँ कोई नहीं होता। उसने सोचा, शायद चूहे होंगे, या हवा का झोंका। लेकिन एक रात, उसे अपने कान के पास एक फुसफुसाहट सुनाई दी, बहुत धीमी, लेकिन स्पष्ट। ऐसा लगा जैसे कोई उसका नाम पुकार रहा हो, पर आवाज़ इतनी अस्पष्ट थी कि वह समझ नहीं पाई। उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा, और उसने चादर कसकर पकड़ ली।
छायाएँ अब अधिक स्पष्ट होने लगी थीं। रात में, मीरा को लगता जैसे कोई उसके कमरे के दरवाज़े से झाँक रहा है। कभी-कभी उसे अपनी दृष्टि के कोने से एक काली आकृति दिखती, जो पलक झपकते ही गायब हो जाती। एक बार, वह अपनी रसोई में थी जब उसने अपने पीछे किसी की मौजूदगी महसूस की। मुड़कर देखा तो कुछ नहीं था, सिवाय ठंडी हवा के एक झोंके के, जिसने उसके रोंगटे खड़े कर दिए। वह अब अकेली नहीं थी, यह एहसास उसे हर पल सता रहा था। नींद हराम हो चुकी थी, और दिन में भी उसे हर जगह उन आँखों का अहसास होता था जो उसे देख रही थीं।
मीरा ने घर के इतिहास के बारे में जानने की कोशिश की। पुरानी लाइब्रेरी में उसे कुछ पुरानी पत्रिकाएँ और अख़बार मिले। उनमें एक कहानी थी—कई दशक पहले, इसी घर में एक महिला रहस्यमय ढंग से गायब हो गई थी। गाँव के लोग कहते थे कि उसकी आत्मा अभी भी घर में भटकती है, और वह किसी और शरीर में प्रवेश करने की तलाश में है। मीरा को लगा, यह सब सिर्फ़ पुरानी कहानियाँ हैं, लेकिन उसके दिल में एक अजीब सा डर बैठ गया। क्या यह वही आत्मा थी जो उसे परेशान कर रही थी? क्या वह उसी महिला की कहानी का हिस्सा बन रही थी?
एक तूफानी रात, बिजली चमक रही थी और हवा ज़ोरों से चल रही थी। मीरा अपने कमरे में बैठी थी जब उसे अपने पीछे एक ठंडी साँस महसूस हुई। उसने मुड़कर देखा, और इस बार कोई छाया नहीं थी। एक धुंधली आकृति, सफ़ेद रंग की, उसके ठीक सामने खड़ी थी। उसकी आँखें गहरी और खाली थीं, और उसके होंठ धीरे-धीरे हिल रहे थे। मीरा ने चीखना चाहा, पर आवाज़ उसके गले में ही अटक गई। उस आकृति ने धीरे-धीरे हाथ बढ़ाया, जैसे उसे छूने की कोशिश कर रही हो। मीरा को लगा जैसे उसकी आत्मा शरीर से बाहर खींची जा रही हो, जैसे उसका अस्तित्व मिट रहा हो।
अगली सुबह, गाँव वालों ने मीरा के घर की खिड़की खुली देखी। अंदर, सब कुछ शांत था। मीरा का बिस्तर व्यवस्थित था, जैसे वह कभी सोई ही न हो। पर मीरा कहीं नहीं थी। उसकी चीज़ें, उसके कपड़े, सब वहीं थे। लेकिन वह खुद गायब थी। गाँव के लोगों ने कई दिनों तक उसे ढूँढ़ा, पर उसका कोई निशान नहीं मिला। कुछ दिनों बाद, एक नई लड़की उसी घर में रहने आई। एक शाम, वह खिड़की के पास खड़ी थी, और गाँव वालों को लगा कि उन्होंने मीरा को मुस्कुराते हुए देखा। पर उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, और उसकी मुस्कान में एक अजीब सा रहस्य छिपा था।











